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आपकी फेवरेट CCD यूं ही नहीं बनी सबकी फेवरेट , जानिए अब तक का सफ़र

तब Cafe Coffee Day में एक कप कॉफी 25 रुपए में मिला करती थी. सीसीडी ने नौजवानों को खूब आकर्षित किया और धीरे धीरे कॉफ़ी का चस्का बढ़ने लगा. सीसीडी के आउटलेट जल्द ही अलग-अलग शहरों में खुलने लगे. चूंकि सीसीडी की कॉफ़ी उनके बागान से ही आया करती थी, इस वजह से भी यहां कॉफ़ी की चुस्की लेना पसंद करते थे. साथ ही इंटरनेट सेवा और बैठने की बेहकर इंतेजाम ने युवाओं और कपल्स को अपनी तरफ खींचा.

COFFEE COFFEE
हाइलाइट्स
  •  साल 1996 में सिद्धार्थ ने  कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड नाम की कंपनी शुरू की

  • 1996 में ही डेढ़ करोड़ के निवेश के साथ CCD की शुरुआत की गई

Cafe Coffee Day History : कॉफी पर कहीं बाहर जाने की बात हो तो Cafe Coffee Day की याद सबसे पहले आती है.  लेकिन क्या आपको ये पता है कि  इस कंपनी को आज जो पहचान और मुकाम मिला है उसके पीछे की कहानी क्या है.  एक दौर था जब कंपनी के मालिक  वीजी सिद्धार्थ  कंपनी को बुलंदियों तक पहुचाने के लिए कर्ज में डूब गए थे. बढ़ते कर्ज की वजह से CCD के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने नदी में कूदकर आत्महत्या थी, और तब लोगों को लगा कि सिदार्थ की मौत के बाद कंपनी का नामोंनिशान मिट जाएगा, लेकिन उनकी पत्नी ने ऐसा होने नहीं दिया. आइये, जानते हैं क्या है Cafe Coffee Day की शुरुआती कहानी और कैसे पत्नी ने कर्ज़ तले दबी कंपनी को उबारने का काम किया. 

Cafe Coffee Day की अब तक की कहानी (Cafe Coffee Day History)

CCD बनने से पहले की कहानी  Cafe Coffee Day History : CCD एक भारतीय कंपनी है और इससे संस्थापक  वीजी सिद्धार्थ थे. वीजी सिद्धार्थ ने 1996 में इस कंपनी की नींव रखी थी. सिद्धार्थ  गंगैया हेगड़े कर्नाटक के चिकमंगलूर  कॉफ़ी की  बागाबानी  करते थे. वीजी सिद्धार्थ अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बिजनेस करना चाहते थे. लेकिन, उनके पिता चाहते थे वो नौकरी करें. जब सिद्धार्थ नहीं मानें, तो पिता ने उन्हें क़रीब 7 लाख रुपए दिए, जिससे सिद्धार्थ ने ज़मीन ख़रीद ली थी. 

हालांकि, सिद्धार्थ ने BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज़ से जुड़ी एक कंपनी में क़रीब दो साल तक काम किया, दो साल की नौकरी के बाद वो ऊब गए और  बेंगलुरु  वापस आ गए.सिद्धार्थ ने यहां पर ‘सिवान सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी खोली और कंपनी से जो मुनाफ़ा हुआ उससे कई कॉफ़ी के बागान ख़रीदे.  कहते हैं कि 1992 तक वीजी सिद्धार्थ ने क़रीब 6-7 हज़ार एकड़ में फैले कॉफ़ी के बागान ख़रीद लिए थे. 

डेढ़ करोड़ के साथ  की CCD की शुरुआत

 साल 1996 में सिद्धार्थ ने  कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड नाम की कंपनी शुरू की. वो ख़ुद एक कॉफ़ी उत्पादक थे, तो उन्होंने इस बिजनेस को बड़े स्तर पर ले जाने का सोचा. 1996 में ही डेढ़ करोड़ के निवेश के साथ CCD की शुरुआत की गई. इसका पहला आउटलेट 11 जुलाई 1996 में बेंगलुरु के Brigade Road के पास खुला था. 

25 रुपए में मिलती थी एक कप कॉफी

तब Cafe Coffee Day में एक कप कॉफी   25 रुपए में मिला करती थी. सीसीडी ने नौजवानों को खूब आकर्षित किया और धीरे धीरे कॉफ़ी का चस्का बढ़ने लगा. सीसीडी के आउटलेट जल्द ही अलग-अलग शहरों में खुलने लगे. चूंकि सीसीडी की कॉफ़ी उनके बागान से ही आया करती थी,  इस वजह से  भी यहां कॉफ़ी की चुस्की लेना पसंद करते थे. साथ ही इंटरनेट सेवा और बैठने की बेहकर इंतेजाम ने युवाओं और  कपल्स को  अपनी तरफ खींचा. 

आगे चलकर झेलना पड़ा नुकसान 

कंपनी की तरक्की के बाद सिद्धार्थ की परेशानी बढ़ने लगी.  दरअसल CCD के मालिक पर Income Tax Department ने 700 करोड़ के टैक्स चोरी के आराप  लगा दिए, और मामले की जांच पड़ताल करने लगी. बिजनेस बढ़ाने के लिए सिद्धार्थ ने बाजार  से काफी कर्ज़ ले लिया था. कहते हैं कि 2019 तक कंपनी 6547 करोड़ रुपए के कर्ज़ तले डूब गई थी. कर्ज़ को कम करने के लिए सिद्धार्थ ने माइंडट्री नाम की IT कंपनी के 20.32 प्रतिशत शेयर बेच डाले, जिससे 3200 करोड़ का कर्ज़ कम हुआ. लेकिन, अभी भी 3 हज़ार 347 करोड़ का कर्ज़ बाकी था. इनकी टेंशन इस क़दर बढ़ी कि सिद्धार्थ ने 2019 में नदी में कूदकर अपनी जान दे दी

पत्नी ने संभाली कंपनी की कमान

विजी सिद्धार्थ के मौत के  कि उनकी पत्नी मालविका हेगड़े ने कंपनी की बागडोर अपने हाथों में ले ली.  मालविका हेगड़े कर्नाटक के पूर्व सीएम एस.एस कृष्णा की बेटी हैं. साल 1991 में उन्होंने विजी सिद्धार्थ से शादी की थी. कंपनी के भविष्य की सबसे बड़ी बाधा कर्ज़ था, तो मालविका ने कर्ज़ उतारने पर ज़ोर दिया. और वो इसमें कामयाब भी रहीं. 

बता दें कि आज  CCD के क़रीब 1,192 आउटलेट्स भारत के अलग -अलग  शहरों में हैं.