
केंद्र सरकार ने गांवों को अपनी पहचान दिलाने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की है. इसके तहत देश के सभी गांव को विश्व स्तर पर पहचान दिलाया जाएगा.गांव को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के लिए गांवों की संस्कृति, कला, संगीत, मेले या फिर किसी दूसरी खासियत से उन्हें पहचान दिलाई जाएगी. वहीं सरकार की तरफ से ऐसे गांवों को विशिष्ठ पहचान यानि यूनिक आईडी भी दिया जाएगा. फ़िलहाल देश में साढ़े छह लाख से अधिक गांव है. देश में मौजूद गांवों में से ज्यादातर प्राचीन विरासत समेटे हुए है.
देश के गांवों को विश्व पटल पर लाने का पहल संस्कृति मंत्रालय ने नेशनल मिशन ऑन कल्चर मैपिंग के तहत शुरू हुई है. इस पहल का स्लोगन मेरा गांव मेरी धरोहर रखा गया है. इस पहल को इस साल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मुहिम के तहत अभी तक देश के करीब एक लाख से ज्यादा गांवों का सर्वे किया जा चुका है. वहीं कई गांवों की जानकारी जांची भी जा चुकी है.
गांवों की संस्कृति, कला होगी संरक्षित
केंद्र सरकार का इस पहल के तहत गांवों की पहचान बनाए रखना है. इसके साथ ही नै पीढ़ी को अपने गांव और क्षेत्रीय पहचान से परिचित कराना है. संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक इस पहल की शुरुआत तब की गई जब ग्रामीण जनजीवन से जुड़ी कला, संस्कृति, उत्सव, मेले आदि खत्म हो रहे हैं, या फिर लोग उसे भूलते जा रहे हैं. जो कभी उस गांव की पहचान रहा करती थी. उन गांवों की पहचान फिर से सभी से कराया जाएगा. इसके साथ ही उसे संरक्षित भी किया जाएगा.
आर्थिक स्थिति होगी मजबूत
इसके साथ ही उन गांवों की भी पहचान की जाएगी जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है. उन गांवों की पहचान वहां पर पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं का विकास किया जाएगा. ऐसा होने पर उस गांव के लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही विश्व पटल पर उस गांव को पहचान भी मिलेगी. इसके साथ ही उन गांवों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.