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Viral Lion Cub Waking Service: चीन के इस होटल में सुबह आपको जगाने आएगा लायन कब, जानें कितनी सुरक्षित है यह सर्विस?

इस होटल में सुबह-सुबह जगाने आएगा आपको लायन कब. लेकिन इसी तरह की पिछली कई सर्विस सुरक्षा के चलते बंद हो चुकी है.

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चीन का एक रिज़ॉर्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है. वजह है इसका अजीबोगरीब मॉर्निंग कॉल सर्विस, जिसमें मेहमानों को जगाने के लिए होटल कर्मचारी के साथ उनके कमरे में एक शेर का बच्चा भी आता है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे एक प्यारा-सा लायन कब सुबह-सुबह मेहमानों के कमरे में आता है और बच्चे उससे खेलने लगते हैं.

नवंबर तक सेवा की बुकिंग हुई फुल
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट पर छपी खबर के अनुसार, होटल में ऐसे कुल 20 कमरे हैं जहां यह सेवा मिलती है.  एक रात का किराया लगभग 88 डॉलर है. होटल कर्मचारियों के अनुसार, यह सेवा पूरे नवंबर माह के लिए बुक हो चुकी है. होटल यह दावा भी करता है कि उनके पास शेरों को पालने का कानूनी अधिकार है और उन्होंने यह सेवा स्थानीय प्रशासन में रजिस्टर भी कराई है.

यह अनोखी मॉर्निंग कॉल सर्विस रोज़ाना सुबह 8 बजे से 10 बजे तक चलती है. हर सेशन लगभग सात मिनट का होता है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शेर का बच्चा हमेशा एक ट्रेनड केयरटेकर के साथ रहता है. इस सर्विस के लिए मेहमानों को भी ‘एशियाटिक लायन वेक-अप सर्विस एग्रीमेंट’ पर साइन करना पड़ता है.

सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में उठे सवाल
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस सेवा को बेहद रोचक बताया है. एक यूजर का कहना है कि इस सर्विस से उसका बच्चा अब देर तक नहीं सोएगा. वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिनका मानना है कि सर्विस में भालू और बाघ के बच्चे भी शामिल किए जाएं.

हालांकि, कुछ यूजर्स सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि जंगली जानवरों के साथ आखिर बच्चे कितने सेफ हैं? बीजिंग यूथ डेली के संपादकीय में इस सेवा को “ग़लत दिशा में गया कदम” बताया गया. साथ ही कई सवाल उठाए गए जैसे क्या यह गतिविधि एनिमल परफॉर्मेंस की श्रेणी में आती है? क्या शेर के बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है? क्या यह सेवा पशु अधिकारों का उल्लंघन नहीं है?

इसी साल जून में चोंगकिंग के एक होटल में रेड पांडा वेक-अप सर्विस पर भी विवाद हुआ था, जिसे बाद में प्रशासन ने बंद करवा दिया था. रेड पांडा दूसरी श्रेणी के संरक्षित जीव हैं, जबकि शेर और बाघ पहली श्रेणी के अत्यधिक संरक्षित प्रजातियों में शामिल हैं.