
कल्पना कीजिए- एक बारिश होती है और पूरा शहर ठप! सड़कें दरिया बन जाती हैं, गाड़ियां बहने लगती हैं और अरबों का नुकसान हो जाता है. अब सोचिए वही शहर बारिश को दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त बना ले. पानी को रोककर, सहेजकर और सही जगह इस्तेमाल कर ले. यही है स्पंज सिटी (Sponge City) का कमाल.
डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन (Copenhagen) ने पिछले 15 सालों में यह कमाल कर दिखाया है. कभी बाढ़ से परेशान रहने वाला यह शहर अब बारिश को अपने लिए वरदान बना चुका है.
2011 की बारिश ने बदल दी तस्वीर
कोपेनहेगन को यह रास्ता चुनने की वजह भी बेहद दर्दनाक थी. साल 2011 में यहां आई भीषण बारिश ने पूरे शहर को डुबो दिया. नुकसान हुआ 1.8 अरब डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रुपये) का. इसके बाद तय हुआ कि अब शहर को सिर्फ नालों और पंपों से नहीं बचाया जा सकता. कुछ बड़ा और स्थायी करना होगा.
यहीं से शुरू हुआ Cloudburst Project- एक ऐसा प्लान जो शहर को 100 साल तक बाढ़ और समुद्र के बढ़ते स्तर से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया.
क्या है Sponge City मॉडल?
Sponge City का सीधा मतलब है- ऐसा शहर जो स्पंज की तरह काम करे. यानी बारिश का पानी सोख ले, रोक ले और जरूरत पड़ने पर उसे इस्तेमाल भी कर ले.
इस तरह बारिश का पानी सड़क पर बहने के बजाय शहर की एक्विफर (भूजल परत) को रिचार्ज करता है और टनल्स में जमा होकर सूखे समय में काम आता है.
बारिश ही नहीं, सूखे में भी मददगार
कोपेनहेगन के आर्किटेक्ट कहते हैं, “बारिश से शहर को बचाना ही हमारा मकसद नहीं था. स्पंज सिटी मॉडल हमें सूखे समय में भी पानी देता है.”
अब तक कितनी सफलता मिली?
हालांकि Cloudburst Project अभी आधा भी पूरा नहीं हुआ है (2032 तक खत्म होना था), लेकिन इसका असर दिखना शुरू हो गया है.
क्यों है यह दुनिया के लिए जरूरी?
आज जब भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका तक, हर जगह क्लाइमेट चेंज की वजह से कभी बेमौसम बाढ़, कभी भीषण सूखा हो रहा है, तो Sponge City मॉडल सबके लिए सबक है. दिल्ली, मुंबई या चेन्नई जैसे शहरों में अगर यह मॉडल अपनाया जाए तो हर साल बारिश में डूबने वाली सड़कों से राहत मिल सकती है. गांवों और कस्बों में भूजल रिचार्ज के लिए भी यह कारगर है. यह शहरों को सिर्फ सुरक्षित ही नहीं बनाता बल्कि ग्रीन और ब्यूटीफुल भी बना देता है.
स्पंज सिटी कोई साइंस फिक्शन नहीं
कोपेनहेगन ने साबित किया है कि शहर अगर चाहें तो पानी को दुश्मन नहीं, दोस्त बना सकते हैं. Sponge City कोई साइंस फिक्शन नहीं, बल्कि एक प्रैक्टिकल मॉडल है- जो न केवल क्लाइमेट चेंज का हल देता है, बल्कि शहरों को और भी खूबसूरत बना देता है.