Flute wala auto driver
Flute wala auto driver लोगों की ख्वाहिशें बढ़ती उम्र के साथ अक्सर दम तोड़ने लगती हैं. जीवन की जिम्मेदारियों में लोग अपने सपने भूल जाते हैं. लेकिन कुछ लोग अपनी ख्वाहिशों को जिम्मेदारियों के बीच भी बचाकर रखते हैं और मौका मिलते ही इन्हें जीने लगते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है दिल्ली के ऑटो चालक मुकेश चिंडालिया की.
46 साल के मुकेश दिल्ली के त्रिलोकपुरी में रहते हैं. और ऑटो चलाकर अपनी आजीविका कमाते हैं. लेकिन जैसे ही मौका मिलता है वह बांसुरी लेकर अपने मन की धुन में रम जाते हैं. मुकेश का बचपन से सपना था कि वह बांसुरी बजाना सीखें, पर मौका नहीं मिला. लेकिन 43 साल की उम्र में किसी को बांसुरी बजाते देखा तो दोबारा चस्का लगा और इस बार मुकेश ने इस ख्वाहिश को पूरा करने की ठान ली.
घरवालों ने किया विरोध
मुकेश कहते हैं घर में उनकी बीवी-बच्चों ने उनके इस शौक का विरोध किया. जब उन्होंने घर में बताया कि उन्हें बांसुरी सीखनी है, क्लास करनी है तो बीवी-बच्चे नाराज़ हो गए. उन्होंने कहा कि पहले कमाई पर ध्यान दो. हालांकि तमाम मुश्किलों के बावजूद मुकेश ने इस बार ठान लिया था कि वह बांसुरी सीख कर रहेंगे.
गुरु ने माफ कर दी फीस
मुकेश बताते हैं कि शुरू में उन्होंने अपने गुरु को ₹500 फीस दी. लेकिन कुछ दिन बाद गुरु ने महसूस किया कि यह एक मामूली ऑटो वाला है और इसमें जज्बा है. इसलिए उन्होंने मुझसे फीस लेनी बंद कर दी और मुझे एक महंगी बांसुरी भी गिफ्ट में दी.
ऑटो में रखते हैं बांसुरी
मुकेश कहते हैं कि उनके ऑटो में हमेशा 3 बांसुरी रखी रहती हैं. ऑटो में बांसुरी को देखकर कई बार लोग भी खुश होते हैं और वह उनसे बांसुरी बजाने की गुजारिश करते हैं. फिर सुनने के बाद तारीफ भी करते हैं. मुकेश बताते हैं कि उन्होंने पहली बांसुरी पंद्रह सौ रुपए की खरीदी थी.
मुकेश कहते हैं कि वह आगे और भी अच्छी तरह से बांसुरी बजाना सीखना चाहते हैं. जिसके लिए उनकी कोशिश लगातार जारी है.