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कहानी जोकर की उन्हीं की जुबानी, बोले- मेरा नाम जोकर न बनी होती तो आज हम न होते

कहते हैं जिंदगी में किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट अगर आ जाए तो क्या बात है. जोकर एक ऐसा शब्द या कैरेक्टर है जिसको शायद हंसाने का पर्याय माना जाता है. दिल्ली के पहाड़गंज की इन तंज गलियों में शाम होते ही कई जोकर रोजगार की जद्दोजहद में दूसरो को हंसाने निकल जाते है. मुकुराते हुए चहरो की पीछे की कहानी , लाख गम लिए बैठे है जिंदगी में और हंसना कबसे भूल गए है, आवाज के इस समुंदर में जैसे मानो किसी से रूठ गए,

Paharganj Jokers Story Paharganj Jokers Story
हाइलाइट्स
  • राज कपूर को अपना दादा मुनि मानते है ये जोकर

  • 12 से 15 घंटे जोकर बनने पर मिलते हैं उनको रोज का 400 रुपए

जोकर एक ऐसा शब्द जो हर किसी के चहरे पर मुस्कान ला देता है. पहाड़गंज में शाम होते ही मेक अप से सजे हुए ये जोकर जब निकलते है तो सबके आकर्षण का केंद्र होते है. पूरी सड़क पर नाचते, हंसते,गाते, आने जाने वाले लोगो से मजाक करके उनको हसाने का प्रयास करते है. पवन प्रताता जो पिछले 15 साल से जोकर है वो कहते है मेरी परिवार की मैं तीसरी पीढ़ी हूं जो जोकर बन कर लोगो को हसाता हूं, आमतौर पर मजाक का पात्र कोई नही बनना चाहता पर एक हम जोकर है जो दूसरो के लिए एक हसी का सबब है. 

पवन राज कपूर को मानते हैं अपना आदर्श
पवन असल में राज कपूर को अपना आदर्श मानते है वो कहते है अगर राज कपूर साहब ने मेरा नाम जोकर नही बनाई होती तो शायद जोकर का रोजगार ही खत्म हो जाता. वो कहते है राज कपूर हमारे दादा मुनि है. हम सभी जोकर मानते है की शायद जोकर के दर्द को उसकी परेशानी को वो दूसरो को हसने की वजह देता है. ये बाद सिर्फ बातो में रह जाती है. कोई समझ ही नही पता अगर हम पर फिल्म न बनी होती. 

पवन को जोकर बनने पर मिलते हैं 400 रुपये
पवन कहते है वो उनके जैसे 20 से जायदा जोकर 12 से 15 घंटे काम करते है और तब उनको रोज का 400 रुपए मिलता है. जिसमें पूरे परिवार को पालना है, अब सोचिए क्या कोई इतनी कमाई में मुस्कुरा पायेगा, पर हम हंसते भी हसाते भी है. पवन की तरह प्रदीप भी जोकर है. वो कहते है कई बार इस करेक्टर में हम इतना उतार जाते है की याद ही नहीं रहता कि असल में हम भी नॉर्मल है. सड़क पर लगभग आधा जीवन बीत गया. वो कहते है सर्कस अब रही नही, जोकर अब बचे नही, जो है हम है आप हमें विलुप्त होती प्रजाति कह सकते है. असल में इन जोकरों का काम पहाड़ गंज में जो भी सैलानी आते है उनको होटल रेस्टोरेंट तक ले जाने का होता है.

पहाड़गंज में जोकर करते हैं गाइड का काम
पहाड़गंज होटल एसोशियन के वाइस प्रेसिडेंट विशाल नारंग कहते है की ये असल में यहां गाइड की भूमिका में है. ये नही हो तो ना जाने कितने रेस्टोरेंट और होटल बंद हो जाए. पहाड़गंज में कई सारे होटल या रेस्टोरेंट तंग गलियों में बने है. जहां तक सैलानी के लिए पहुंचना नामुमिन सा होता है. ऐसे में ये एक गाइड की भूमिका अदा करते है. वहीं पहाड़गंज में होटल मालिक पंकज कहते है कि ये आज के दौर की जररूत है अगर ये न हो ,तो हमारे पास काम नहीं होगा हमने खुद 4 जोकर रखे हैं.

असल में कहानी इन जोकरों की , उनकी जुबान से अलग इसलिए है की हर किसी को हंसाने की सोच रखने वाले ये लोग उस दौर में लोगो के चहरे पर मुस्कुराहट ला देते है जिस दौर में इंसान जिंदगी जीना भूल गया है.