Dhinga Gavar Festival
Dhinga Gavar Festival राजस्थान के जोधपुर में दुनिया भर का सबसे अनोखा मेला जोधपुर में होता है. 16 दिन की पूजा करने के बाद सुहागिनें अलग-अलग स्वांग रच कर जोधपुर के भीतरी शहर में रात भर सड़कों पर निकलती हैं. पूरी रात महिलाओं का राज होता है. इसे बेंतमार के नाम से भी जाना जाता है. इस मेले की यह परंपरा है कि जोधपुर में पुराने समय में भाभी अपने देवर और अन्य कुंवारे युवकों को प्यार से छड़ी मार कर बताती थीं कि वो कुंवारे हैं. बेंत मारने के बाद कुंवारे लड़कों की जल्द ही शादी हो जाती है.
रात के वक्त सड़कों पर दिखती हैं सिर्फ महिलाएं
इस मौके पर रात के वक्त सड़कों पर सिर्फ महिलाएं दिखती हैं. हर महिला के हाथ में एक छड़ी होती है जैसे ही पुरुष सामने दिखता है तो उस छड़ी से पुरुषों को मार पड़ती है. इसमें 16 दिन तक गवर माता का पूजन होता है. वहीं 16वें दिन पूरी रात महिलाएं घर से बाहर रहती है और अलग-अलग समय में धींगा गवर की आरती करती है, इस मेले में हर महिला अलग-अलग स्वांग रच कर पूरी रात शहर में घूमती है. दुनिया में सिर्फ जोधपुर में ही धीगा गवर का आयोजन किया जाता है, जिसे देखने के लिए न सिर्फ राजस्थान बल्कि दुनियाभर के लोग जोधपुर पहुंचते हैं.
12 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं महिलाएं
इस धींगा गवर की अनूठी पूजा करने वाली महिलाएं दिन में 12 घंटे निर्जला उपवास करती हैं. दिन में एक समय खाना खाती हैं. इसी तरह 16 दिन तक अनुष्ठान व पूजन चलता है, जोधपुर की स्थापना राव जोधा ने 1459 में की थी. मान्यता है कि धींगा गवर पूजन तभी से शुरू हुआ है. राज परिवार से इस पूजन की परंपरा शुरू हुई थी. 564 सालों से यह पूजा चली आ रही है.
भगवान शिव ने मां पार्वती को दिया था वरदान
महिलाओं के अनुसार मान्यता है कि मां पार्वती के सती होने के बाद जब दूसरा जन्म लिया तो वह धींगा गवर के रूप में आई थीं. भगवान शिव ने मां पार्वती को इस पूजन का वरदान दिया था. इसके बाद से धींगा गवर की पूजा होती है, 16 दिन तक व्रत रखने वाली महिलाएं एक समय भोजन करती है. इन 16 दिनों में माता की पूजा में मीठा का भोग लगाया जाता है, जो महिलाएं यह व्रत रखती हैं उनके हाथ में एक डोरा बंधा होता है जिसमें कुमकुम से 16 टीके लगाए जाते हैं.
-अशोक शर्मा की रिपोर्ट