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धौलपुर के इन गांवों में जिंदगी ट्यूब से बंधी चारपाई पर टिकी है, स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पार करते हैं पार्वती नदी

राजस्थान के धौलपुर जिले के सैंपऊ की ग्राम पंचायत नुनहेरा के करीब आधा दर्जन से ज्यादा गांवों की 2 हजार से ज्यादा आबादी के लिए बारिश का मौसम खतरे से भरा होता है. ये सभी गांव पार्वती नदी के किनारे बसे हैं और हर साल बारिश के वक्त यह नदी खतरे की रेखा पार कर जाती है.

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हाइलाइट्स
  • चारपाई से बंधे होते हैं दो ट्यूब

  • अब तक नहीं बना पुल या रपट

राजस्थान के धौलपुर जिले के सैंपऊ की ग्राम पंचायत नुनहेरा के करीब आधा दर्जन से ज्यादा गांवों की 2 हजार से ज्यादा आबादी के लिए बारिश का मौसम खतरे से भरा होता है. ये सभी गांव पार्वती नदी के किनारे बसे हैं और हर साल बारिश के वक्त यह नदी खतरे की रेखा पार कर जाती है. यहां के स्कूली बच्चों को पढ़ाई के लिए रोजाना जान जोखिम में डालनी पड़ती है. बच्चे ट्यूब से बंधी हुई चारपाई के सहारे नदी पार करते हैं. नदी पार करने का यह रास्ता लगभग 800 मीटर लंबा है, जो तसीमों कस्बे तक जाता है. हालांकि अगर ये रास्ता न लें तो उन्हें 10 से 12 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है.

चारपाई से बंधे होते हैं दो ट्यूब
ग्रामीणों ने बताया कि प्रत्येक घर में दो ट्यूब से बंधी हुई चारपाई मिल जाएगी, जिसका इस्तेमाल नदी पार करने में किया जाता है. नदी के दोनों किनारों पर एक-एक चारपाई लोहे की जंजीर और ताले से बंधी रहती है, ताकि जरूरतमंद इसका इस्तेमाल कर सकें. एक तरफ चारपाई पेड़ से और दूसरी तरफ विद्युत पोल से बंधी होती है. सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि बीमार मरीज, रोजमर्रा की जरूरत का सामान लाने वाले ग्रामीण भी इसी ट्यूब चारपाई का सहारा लेते हैं. कई बार तेज बहाव और गहराई के कारण यह तरीका खतरनाक साबित होता है.

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एनीकट बना और बढ़ गई परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि 2018 में गहलोत सरकार ने गढ़ी चटौला गांव में एनीकट बनाने की घोषणा की थी, जो मार्च 2019 में बनकर तैयार हो गया. लेकिन इसके बाद से आरी, मढ़ैया, भूरा का पुरा, बघेलों का पुरा, महंत का अड्डा, पंछी का पुरा जैसे गांवों में जलभराव की समस्या और बढ़ गई है.

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अब तक नहीं बना पुल
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार पुल बनाने की मांग की है. तहसीलदार से लेकर प्रशासन तक सभी को ज्ञापन सौंपा गया है, लेकिन अब तक कोई कार्य नहीं हुआ. अब तक किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने इस गंभीर समस्या की सुध नहीं ली. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में एक किशोर की मौत चारपाई पलटने से हो चुकी है. फिर भी प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. लोगों का कहना है कि शायद कोई बड़ा हादसा होगा, तभी सिस्टम जागेगा.

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450 परिवारों की जिंदगी खतरे में
इन गांव ढाणियों में करीब 450 परिवार रहते हैं. सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के मौसम में होती है, जब पार्वती नदी उफान पर होती है. तब चारपाई से नदी पार करना और भी जोखिम भरा हो जाता है. ग्रामीणों ने हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी इस बारे में लिखित में अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब तो सरकार उनकी सुध लेगी.

-उमेश मिश्रा की रिपोर्ट