

हमारे देश का संसद भवन अपने आप में अनकों खासियत लिए हुए हैं. देश में बनाए जाने वाले सारे कानून यहीं बनते हैं. दिल्ली में मौजूद संसद भवन की इमारत 93 साल पुरानी है लेकिन इसकी कलाकृति को आज भी नायाब माना जाता है. संसद भवन की बाहर से एक झलक देखने के लिए ना सिर्फ हमारे देश के तमाम लोग बल्कि विदेशों से भी लोग जाते हैं. संसद भवन को एक अंग्रेजी अफसर ने बनवया था. 12 फरवरी 1921 को संसद भवन की नींव रखी गई थी, और इसका नक्शा सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने बनाया था.
दिल्ली के लुटियंस इलाके में ही दिग्गज राजनेताओं से लेकर जाने माने कारोबारी रहते हैं. लुटियंस जोन न केवल राजधानी दिल्ली बल्कि देश का भी सबसे पॉश रेजिडेंशियल है,और ये नाम सर एडविन लुटियंस के नाम पर रखा गया है. जानने के लिए संसद भवन के बारे में बहुत सारी बातें हैं, लेकिन आज हम बात करेंगे संसद भवन के पंखो के बारे, क्या आपको पता है कि संसद भवन में लगे पंखे उल्टे होते हैं? और इसके पीछे की वजह क्या है ?
आखिर क्यों उल्टे लगे हैं संसद भवन के पंखे?
संसद भवन के पंखे छत से नहीं बल्कि जमीन से खंभों की तरह ऊपर की तरफ लगे हुए हैं, और इसके पीछे इसके आर्किटेक्चर का हाथ है. संसद भवन के सेंट्रल हॉल में पंखों के डिजाइन ऐसे ही हैं. सेंट्रल हॉल में ही सभी एमपी मौजूद रहते हैं. सेंट्रल हॉल की छत मंदिर के गुम्बद जैसी बनाई गई है. इन छतों की ऊंचाई काफी है और यहां पर डंडों के साथ ही पंखों को लगाया जा सकता था. कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये शुरुआत से ही ऐसे लगे हुए हैं. ऐतिहासिक धरोहर में छेड़छाड़ न हो इसके लिए पंखों को ऐसे ही रहने दिया गया.
सेंट्रल हॉल में क्यों बनाया गया गुम्बद
गुम्बद बनाने के पीछे एक लॉजिक है वो ये कि इस बिल्डिंग के दोनों मुख्य आर्किटेक्ट्स ने ये डिजाइन मध्यप्रदेश के मुरैना में मौजूद चौसठ योगिनी मंदिर से लिया था. चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कमरे हैं, गुम्बद है और साथ ही साथ हर कमरे में एक-एक शिवलिंग लगा हुआ है.
रिपोर्टस ये दावा करती हैं कि हमारा संसद भवन इसी मंदिर के आधार पर डिजाइन किया गया है. हमारा संसद भवन 101 खंबो पर टिका हुआ है. इसके अलावा, और भी कई खंबे बनाए गए हैं. 6 एकड़ में फैली इस इमारत में छत की शक्ल में विशाल गुम्बद बनाया गया है.