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Exclusive: केस सुलझाने के लिए कभी नौकरानी बनीं तो कभी पहुंचाई खुद को चोट, ये हैं देश की पहली महिला जासूस, रजनी पंडित को लोग बुलाते हैं लेडी जेम्स बॉन्ड 

India's First Lady Detective: रजनी पंडित देश की पहली महिला जासूस हैं. रजनी पंडित को लोग लेडी जेम्स बॉन्ड भी बुलाते हैं. रजनी पंडित को 35 साल जासूसी के फील्ड में हो चुके हैं और उनके पास करीब 80 हजार से ज्यादा केस आ चुके हैं. अपने काम के लिए उन्हें कई अवार्ड भी मिल चुके हैं.

India's First Women detective Rajani Pandit India's First Women detective Rajani Pandit
हाइलाइट्स
  • मर्डर मिस्ट्री भी कर चुकी हैं सोल्व 

  • आजतक नहीं देखी स्पाई या डिटेक्टिव की कोई मूवी

India's Lady James Bond Rajani Pandit:  जरा सोचिए जब हम ‘जासूस’ शब्द सुनते हैं तो हमारे जेहन में सबसे पहली तस्वीर कैसी बनती है? लंबा कोट, आंखों पर काला चश्मा, हाथ में मैग्नीफाइंग ग्लास, बूट्स, एक छोटी टोर्च …हमने अक्सर अपनी किताबों, फिल्मों, सीरियल में इसी तरह के जासूसों/स्पाई या डिटेक्टिव को देखा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये असल में कैसे दिखते हैं? दरअसल, ये आपके और हमारे जैसे आम लोगों की तरह ही दिखते हैं. तस्वीर में दिख रही ये शख्स महिला जासूस हैं. जी हां, रजनी पंडित देश की पहली महिला डिटेक्टिव (India's First Women Detective) हैं, जो पिछले 35 साल में 80 हजार से ज्यादा केस सुलझा चुकी हैं. लोग इन्हें लेडी बॉन्ड या लेडी शेरलॉक (lady James Bond) भी कहते हैं. अपने सफर के बारे में बात करते हुए रजनी पंडित (Rajani Pandit) ने GNT डिजिटल को बताया कि उनमें सच की खोज करने का ये कीड़ा बचपन से था. वे शुरू से ही लोगों के झूठ को पकड़ लेती थीं. काफी समय तक उन्हें मालूम नहीं था कि वे जासूस बनना चाहती हैं या नहीं, जैसे-जैसे वे बड़ी होती गई उनकी दिलचस्पी इस फील्ड में बढ़ती गई. आज वे देश की पहली महिला जासूस हैं और उनकी खुद की प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी है. 

आजतक नहीं देखी स्पाई या डिटेक्टिव की कोई मूवी

रजनी बताती हैं कि उन्होंने आज तक भी कोई स्पाई (Spy) या डिटेक्टिव की मूवी नहीं देखी. वे कहती हैं, “कॉलेज के टाइम से ही मैं जॉब करने लगी थी. मैं एक मेडिसिन पैकिंग की कंपनी में नौकरी करने लगी. वहां एक महिला मेरे सामने रोने लगीं कि मेरे घर में शादी का माहौल है और चोरी होने लगी है. उनके घर में 3 बेटे थे और नई नबेली बहू आई थी. ऐसे में मैंने उन्हें कहा कि आप मुझे ये काम दे दो.. जब मुझे जॉब से ब्रेक मिलेगा तब मैं आपका काम करूंगी. मैंने ये काम 15 दिन तक किया. सारी नजरें रखीं. कुछ दिन जब मैंने नजर रखी तो समझ आया कि उनका एक बेटा था जो घर से निकलकर अपने दोस्त के घर में जाता था. मैंने ये सब उन्हें बता दिया.. और वो पकड़ में आ गया.”

ऐसे ही रजनी आगे बताती हैं कि उन्हें धीरे धीरे केस मिलते चले गए. वे कहती हैं, “मैं जॉब करते करते कई लोगों से मिली. लोगों ने मुझे छोटे मोटे घर के मामले बताए और मैंने उन्हें सुलझाकर दिए. ऐसे ही एक बिजनेसमैन थे जो अपनी बीवी से झूठ बोल रहे थे वो हर दिन पैसे खर्च करके आते थे. और बदले में कहते थे कि किसी ने मेरी पॉकेट मारी है या चोरी हो गई है. लेकिन मैंने उनका पीछा किया.. और वो मुझे पहचान न जाएं इसके लिए मैंने बुरखा पहनकर ये पूरा केस सुलझाया. मुझे पता चला कि वो बिजनेसमैन जुआ खेलते था और वहां पैसे हारता था. ऐसे ही कई घर, रिश्ते और सम्बन्ध बचाने में मेरी जासूसी काम आई.” 

हर तरह के केस आते हैं

बताते चलें कि रजनी पंडित को 35 साल जासूसी के फील्ड में हो चुके हैं और उनके पास करीब 80 हजार से ज्यादा केस आ चुके हैं. वे बताती हैं कि उनके पास बच्चा कहां जाता है से लेकर मर्डर तक के मामले आते हैं. रजनी कहती हैं, "मेरे पास है तरह के केस आते हैं. जैसे बच्चे कहां जाते हैं, रात में बीवी या पति लेट आ रहा है तो कहां है, कंपनी का डुप्लीकेट सामान अगर बाजार में बिक रहा है तो वो क्यों, चोरी के केस, शादी को लेकर कोई इन्क्वायरी, क्रिमिनल माइंड के लोग हैं उनके बारे में इन्क्वायरी आती है, मर्डर का कोई केस है वो भी आता है, कोई आदमी लापता हुआ है तो उसकी वजह क्या है जैसे अलग अलग मामले आते हैं." 

मर्डर मिस्ट्री भी कर चुकी हैं सोल्व 

जिंदगी के सबसे मुश्किल केस के बारे में बात करते हुए रजनी बताती हैं कि वो एक हत्या की गुत्थी थी. जिसमें शहर में एक पिता और पुत्र दोनों की हत्या हो गई थी, कातिल का कोई सुराग नहीं मिला था. इसका शक एक महिला पर था. रजनी के पास जब ये केस आया तो उन्होंने इसे सुलझाने की ठानी. GNT डिजिटल को वे बताती हैं कि, “मुझे केस देखते ही लगा कि इसके तार घर से ही जुड़े हैं. लेकिन घर में कैसे घुसा जाए? जिस महिला पर हत्या का शक था उसके घर में मैं नौकरानी बनकर घुसी. मैं वहां 6 महीने रही. घर वालों का विश्वास जीता. हालांकि, एक दिन छोटी सी गलती थी मैं शक के घेरे में आ गई. रिकॉर्डर का क्लिक बटन आवाज कर गया. उस महिला ने मेरा बाहर निकलना तक बंद कर दिया. कई महीने बीत गए. एक दिन मर्डरर उस महिला से मिलने आया. लेकिन अब दिक्कत थी कि मैं घर से बाहर कैसे जाऊं, ऐसे में मैंने किचन में जाकर चाकू अपने पैर पर गिराया और खून आने लगा. उस महिला ने मुझे बाहर पट्टी कराने भेजा. जिसके बाद मैंने एसटी डी बूथ पर जाकर अपने क्लाइंट सब बताया. कुछ ही देर में वहां पुलिस पहुंच गई और उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.”

बेटी के डिटेक्टिव बनने पर क्या था पापा का रिएक्शन?

रजनी का मानना है कि एक डिटेक्टिव अकेला काम नहीं कर सकता है उसके लिए अच्छी टीम की जरूरत है. टीम का साथ है तो कोई भी केस सुलझाया जा सकता है. वे आगे कहती हैं, “मेरे पापा सीआईडी में थे लेकिन मैं कभी उनके ऑफिस तक में नहीं गई. लोग बस मुझपर भरोसा करते गए और मैं आगे बढ़ती गई. जब मैंने पापा को पहली बार इस बारे में बताया था तो उन्होंने भी कहा था कि ये कोई सिंपल प्रोफेशन नहीं है तुम्हें बहुत सारी परेशानियों का सामने करना पड़ेगा. लेकिन में डर से रुकी नहीं. मैं बस बढ़ती चली गई. डर शब्द मेरी डिक्शनरी में नहीं है.”

लोग अक्सर सवाल खड़ा करते थे 

रजनी जासूसी के फील्ड में आई परेशानियों के बारे में बात करते हुए कहती हैं, “चूंकि इस फील्ड कोई महिला नहीं थी तो ये बड़ा चैलेंज था. जैसे जब हम कोई नई जूती लेते हैं तो वो खूब आवाज करती है. ऐसे ही जब कोई महिला कुछ नया शुरू करती है तो लोग टीका-टिप्पणी करते हैं. मुझे अक्सर नेता लोग भी कहते थे कि आपको कोई और फील्ड नहीं मिला क्या? या आपने ये क्यों चुना है? एक रिपोर्टर ने तो यहां तक लिख दिया था कि ये दूसरों के पीछे पड़ने वाली औरत है…लेकिन मुझे पता था कि मुझे सच्चाई सामने लानी है. जब मुझे पहले अवार्ड मिलने वाला था तो लोगों ने काफी सवाल उठाए कि इस फील्ड के इंसान को ये देना चाहिए या नहीं? उनका कहना था कि ये दूसरों का घर तोड़ती है. फिर कई लोगों ने मेरा साथ भी दिया. उसके बाद से कई जगहों पर भारत की पहली जासूस होने का खिताब मिला. हालांकि जब अवार्ड मिला था तब मुझे खुद नहीं पता था कि मैं भारत की पहली महिला जासूस हूं. लोगों ने मुझे बताया कि मैं लेडी बॉन्ड हूं या पहली लेडी डिटेक्टिव हूं.”

यहां देखें पूरा इंटरव्यू-