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Grow Insulin Plant at Home: डायबिटीज़ का घरेलू इलाज है इंसुलिन प्लांट, जानिए घर पर कैसे उगाएं यह पौधा

इंसुलिन प्लांट (Insulin Plant) एक औषधीय पौधा है जो डायबिटीज के प्रबंधन में सहायक माना जाता है. इसे आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इसे क्रेप अदरक, स्पाइरल फ्लैग, या कीकंद जैसे नामों से भी जाना जाता है.

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भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज़ के मरीज़ हैं. यह आंकड़ा तेज़ी से बढ़ भी रहा है. डायबिटीज़ से निपटने का सबसे आसान तरीका है अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करना और अपने खानपान में ऐसी चीजें शामिल करना जो आपके ब्लड शुगर लेवल को काबू में रखें. अगर आप भी कुछ ऐसा ढूंढ रहे हैं जो आपके ब्लड शुगर लेवल को कम करे, तो शायद आप इंसुलिन प्लांट के बारे में जानना चाहेंगे. 

कोस्टस इग्नियस (Costus Igneus) या चमेकोस्टस कस्पिडेटस (Chamaecostus cuspidatus) के वैज्ञानिक नामों वाला इंसुलिन प्लांट (Insulin Plant) एक औषधीय पौधा है जो डायबिटीज के प्रबंधन में सहायक माना जाता है. इसे आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इसे क्रेप अदरक, स्पाइरल फ्लैग, या कीकंद जैसे नामों से भी जाना जाता है. यह पौधा दक्षिण-पूर्व एशिया, खासकर भारत में लोकप्रिय है.  

यह न सिर्फ डायबिटीज के लिए फायदेमंद है, बल्कि खांसी, जुकाम, स्किन इन्फेक्शन और पाचन समस्याओं में भी राहत देता है. आइए, जानते हैं कि इसे होम गार्डन में कैसे उगाएं और यह डायबिटीज में कैसे मदद करता है.

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इंसुलिन प्लांट क्या है?
इंसुलिन प्लांट एक झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी ऊंचाई 2-3 फीट तक होती है. इसके पत्ते हरे, चौड़े और सर्पिल आकार में होते हैं, और इस पर छोटे लाल या नारंगी फूल खिलते हैं. इसकी पत्तियों में प्रोटीन, फ्लेवोनॉयड्स, एंटीऑक्सीडेंट्स, और कोर्सोलिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं.

यह पौधा सीधे इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता, लेकिन इसके पत्तों में मौजूद कोर्सोलिक एसिड अग्नाशय से इंसुलिन स्राव को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे ब्लड शुगर ग्लाइकोजेन में परिवर्तित होता है.

होम गार्डन में इंसुलिन प्लांट कैसे उगाएं?
इंसुलिन प्लांट को होम गार्डन में उगाना आसान है, खासकर बरसात के मौसम में. इसे गमले या जमीन में लगाया जा सकता है:

  • मिट्टी और गमला तैयार करें : दोमट या रेतीली मिट्टी, जिसमें खाद अच्छी मात्रा में हो, उपयुक्त है. 6-8 इंच का गमला चुनें. मिट्टी को अच्छी जल निकासी वाली रखें.
  • पौधा या बीज चुनें : नर्सरी से पौधा खरीदें या इसकी कटिंग का उपयोग करें. ऑनलाइन बीज भी उपलब्ध हैं.
  • रोपण का समय : बरसात का मौसम सबसे अच्छा है, क्योंकि नम मिट्टी और हल्का गर्म वातावरण इसके लिए आदर्श है. 
  • देखभाल : पौधे को आंशिक छाया में रखें, खासकर गर्मियों में. सर्दियों में ठंड और कोहरे से बचाएं. नियमित पानी दें, लेकिन जलभराव से बचें. यह कम देखभाल वाला पौधा है और आसानी से बढ़ता है.

डायबिटीज में कैसे मदद करता है?
इंसुलिन प्लांट की पत्तियों में कोर्सोलिक एसिड और अन्य प्राकृतिक रसायन होते हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. शोधों के अनुसार, इसके नियमित सेवन से टाइप-2 डायबिटीज में सुधार देखा गया है. उपयोग का तरीका: 

  • पत्तियां चबाना : रोज सुबह 1-2 ताजी पत्तियां धोकर चबाएं. इनका स्वाद हल्का खट्टा होता है. 
  • पाउडर : पत्तियों को छाया में सुखाकर पाउडर बनाएं. इसे पानी में मिलाकर सुबह-शाम पिएं. 
  • नियमितता : कम से कम एक महीने तक नियमित सेवन से ब्लड शुगर में कमी देखी जा सकती है. 

हालांकि, यह मधुमेह की दवाओं का पूर्ण विकल्प नहीं है. इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है, क्योंकि यह कुछ लोगों में चक्कर आना या दस्त जैसे दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है. यह पौधा कोलेस्ट्रॉल कम करने, खांसी, सर्दी, अस्थमा, और त्वचा संक्रमण में भी फायदेमंद है. इसके एंटीऑक्सीडेंट्स मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाते हैं.

सावधानियां

  • डॉक्टर की सलाह के बिना इसका अधिक सेवन न करें.
  • डायबिटीज की दवाओं के साथ इसका उपयोग सावधानी से करें, क्योंकि यह ब्लड शुगर को बहुत कम कर सकता है. 
  • गर्भवती महिलाएं और बच्चे इसका उपयोग न करें.

इंसुलिन प्लांट एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय है, जो डायबिटीज प्रबंधन में सहायक हो सकता है. इसे होम गार्डन में आसानी से उगाकर आप प्रकृति के इस उपहार का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन, इसे दवाओं के पूरक के रूप में ही उपयोग करें और चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें.