scorecardresearch

14 साल तक कानूनी लड़ाई और तारीख पर तारीख... मरे हुए बेटे के लिए मां ने नहीं मानी हार, लंबे अरसे बाद मिला मुआवजा

मूल रूप से हरदोई शहर के लक्ष्मी पुरवा के रहने वाले विपिन कुमार ट्रक चलाने का काम करते थे. 3 जुलाई 2009 को विपिन घर से फर्रुखाबाद गए, वह फर्रुखाबाद से आलू से भरा ट्रक लेकर बनारस की तरफ जा रहे थे, रास्ते में भदोही के औराई थाना क्षेत्र के कटरा के पास ट्रक का टायर अचानक फट गया और ट्रक अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गई.

रामदेवी रामदेवी

हरदोई में एक मां को 14 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार मुआवजा मिला है. श्रमिक क्षतिपूर्ति अधिनियम के मामले में बतौर श्रमिक क्षतिपूर्ति आयुक्त के रूप में सुनवाई करते हुए डीएम ने बीमा कंपनी को 6 प्रतिशत ब्याज सहित क्षतिपूर्ति के भुगतान करने का आदेश दिया है. क्षतिपूर्ति आयुक्त के आदेश के बाद बीमा कंपनी से अपने पुत्र के मौत के मुआवजे की लड़ाई लड़ रही थी. मां को क्षतिपूर्ति के रूप में 4,16,167  रुपए का भुगतान करना पड़ा है. 

ग्रामीण इलाके में और बिना पढ़ी-लिखी मां के कानूनी संघर्ष की यह दास्तां सदर तहसील क्षेत्र के जिगनिया खुर्द गांव के मजरे कोटरा की है. दरअसल मूल रूप से हरदोई शहर के लक्ष्मी पुरवा के रहने वाले विपिन कुमार ट्रक चलाने का काम करते थे. 3 जुलाई 2009 को विपिन घर से फर्रुखाबाद गए, वह फर्रुखाबाद से आलू से भरा ट्रक लेकर बनारस की तरफ जा रहे थे, रास्ते में भदोही के औराई थाना क्षेत्र के कटरा के पास ट्रक का टायर अचानक फट गया और ट्रक अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गई.

इस सड़क हादसे में विपिन की मौत हो गई. घर के कमाऊ शख्स की मौत के बाद घर चलाने की जिम्मेदारी विपिन के बूढ़े पिता पर आ गई. इस बीच पुत्र की मौत के बाद पिता रामकुमार बीमार हो गए तो ऑपरेशन के लिए उनको शहर में अपना मकान बेचना पड़ा. रामकुमार और उनका एक पुत्र सुरेश मजदूरी करके किसी तरह गुजर बसर करने लगे. इसके बाद रामकुमार ने वकील छोटेलाल गौतम के जरिए बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग की लेकिन बीमा कंपनी ने मुआवजा देने में जब कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो उन्होंने कानूनी रास्ता अपनाया. रामकुमार ने कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम (Workmen's Compensation Act,1923) के तहत डीएम के न्यायालय में बीमा कंपनी के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया.

रामकुमार लगातार डीएम की अदालत में चक्कर काटते रहे. बूढ़े पति के साथ पत्नी रामदेवी भी डीएम की अदालत में तारीख पर सुनवाई के लिए पहुंचती थीं. करीब तीन साल पहले रामकुमार की मौत हो गई. इसके बाद मुकदमा लड़ने की जिम्मेदारी रामदेवी पर आ गई लेकिन राम देवी ने हिम्मत नहीं हारी और वह लगातार केस की सुनवाई पर अदालत में आती रहीं. इस बीच सरकार की तरफ से मुकदमों को प्राथमिकता पर निपटाए जाने का आदेश हुआ.

इसके बाद डीएम एमपी सिंह ने इस पूरे प्रकरण में मुकदमे में मौजूद साक्ष्य और राम देवी के अधिवक्ता छोटे लाल गौतम और बीमा कंपनी के अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को क्षतिपूर्ति राशि मृतक की मां को छह प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश जारी किया, जिसके बाद बीमा कंपनी ने करीब 14 साल बाद विपिन की मां रामदेवी को 4,16,167 रुपए का भुगतान किया है.

-हरदोई से प्रशांत पाठक की रिपोर्ट