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हजारीबाग की महिलाओं ने शुरू की सामुदायिक खेती...तरबूज बेचकर कमा रहीं लाखों रुपये

झारखंड के हजारीबाग की रहने वाली महिलाएं आज सामुदायिक खेती करके लाखों की कमाई कर रही हैं. महिलाओं के पास बहुत छोटे-छोटे खेत थे जिन पर बहुत कम खेती होती थी. इन महिलाओं ने मिलकर एक ग्रुप बनाया और अपने खेतों को मिलाकर एक बड़ा खेत तैयार किया.

हाइलाइट्स
  • आसपास के इलाकों में भेजे जाते हैं तरबूज

  • महिलाओं ने बनाया ग्रुप

झारखंड के हजारीबाग में महिलाओं ने अब आगे आकर सामुदायिक खेती के तरफ कदम बढ़ाया है. इस इलाके में तरबूज की बंपर पैदावार कर सबको चौंका दिया है. 200 एकड़ जमीन पर लगभग 700 महिला किसान जी तोड़ मेहनत कर रही हैं और इस मेहनत का फल इन्हें ऐसे मिला कि अब यह तरबूज बेचकर लखपति बन रहीं हैं.

महिलाओं ने बनाया ग्रुप
झारखंड के हजारीबाग जिले से 15 किलोमीटर की दूरी पर चरही में महिलाओं ने सामुदायिक खेती का नायाब नमूना पेश किया है .चरही और उसके आसपास के गांव की 700 महिलाएं आज तरबूज की खेती कर रही हैं .इन सभी महिला किसानों के पास बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में जमीन थी और इन टुकड़ों पर बहुत कम मात्रा में खेती होती थी. बरसात पर पूरी खेती आश्रित थी और सिंचाई के भी बहुत अच्छे जुगाड़ नहीं थे. ऐसे में इन महिलाओं ने एक ग्रुप बनाया और फिर अपनी-अपनी जमीनों को मिलाकर एक बड़ी जमीन बना ली ताकि पटवन की सुविधा हो सके और समूह में खेती की जा सके जिससे बड़े पैमाने पर खेती भी हो सकती थी और मुनाफा भी अधिक हो सकता था .

आसपास के इलाकों में भेजे जाते हैं तरबूज
महिलाओं ने नकदी फसल के बारे में सोचा और हजारीबाग के आसपास की जलवायु और आसपास के जिलों में तरबूज की मांग को देखते हुए तरबूज की खेती करने का संकल्प लिया. महिलाओं ने इसके लिए प्रशिक्षण भी लिया और फिर पिछले साल थोड़ी बहुत मात्रा में खेती प्रारंभ की. पिछले साल कोरोना के बावजूद इन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ. इस बार इन महिलाओं ने बड़े पैमाने पर इसकी खेती शुरू की और लगभग 200 एकड़ में तरबूज लगाया आज उनकी मेहनत रंग लाई है. इनके उपजाए तरबूज हजारीबाग के साथ-साथ आसपास के सभी जिलों में और निकटवर्ती राज्यों में भेजे जाते हैं .

जिन किसानों को साल भर में बमुश्किल 20 से 30 हज़ार ही खेती से आते थे. आज इनकी कमाई 4 से 5 गुना बढ़ गई है. जिस किसान की जितनी जमीन पर खेती हुई है उस हिसाब से लाभ में उसका हिस्सा तय होता है .अब इन महिला किसानों के हौसले बुलंद हैं. वह कहती हैं कि अब 12 महीने वह खेती करेंगे और जिससे अधिक लाभ हो वैसे नकदी फसलों पर वह अपना ध्यान केंद्रित करेंगे.

(हजारीबाग से बिसमय की रिपोर्ट)