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ब्रा से जुड़े इतिहास के बारे में कितना जानते हैं आप

लॉन्जरी को लेकर भारत की महिलाओं में आज भी एक स्टीरियोटाइप बना हुआ है. लोग आज भी ब्रा के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं, हालांकि पिछले कुछ समय से लोग महिलाओं के मसले पर बात करने लगे हैं. फिर भी ब्रा को लेकर जो स्टीरियोटाइप बना है वो अभी तक वहीं का वहीं है, कई जगहों पर आज भी महिलाएं ब्रा को कपड़ों के अंदर छुपा कर रखती हैं.

ब्रा का इतिहास ब्रा का इतिहास
हाइलाइट्स
  • ब्रा की शुरूआत सबसे पहले मिस्र से हुई

  • कुछ फैक्टस बताते हैं कि प्राचीन मिस्र में रहने वाली महिलाएं चमड़े की ब्रा पहना करती थीं

लॉन्जरी को लेकर भारत की महिलाओं में आज भी एक स्टीरियोटाइप बना हुआ है. आज के इस मॉडर्न जमाने में भी लोग ब्रा के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं.  महिलाएं ब्रा क्यों पहनती हैं इसको लेकर दुनिया भर में तरह तरह के तर्क दिए जाते हैं. कई बार ब्रा नहीं पहनने की भी सलाह दी जाती है. जैसे ब्रेस्ट कैंसर डे पर खासतौर से.. या फिर सोते वक्त या जब भी आप घर पर हों. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्रा से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ता है. वहीं ब्रा पहनने को लेकर तर्क ये है कि इससे बॉडी शेप सही रहता है... महिलाएं सुंदर दिखती हैं वगैरह.. आज मार्केट में तरह-तरह की ब्रा मौजूद हैं, आज ब्रा को महिलाओं के कपड़ों का जरूरी हिस्सा बना दिया गया है. हालांकि इसके बावजूद भी महिला संगठन फेमिनिजन के नाम पर ब्रा का विरोध करते आए हैं. तो वहीं अपने देश में आज भी महिलाएं अपने अंडर गारमेंट कपड़ों के नीचे रखकर सुखाती हैं, इतना ही नहीं समाज में ब्रा की समस्या के बारे में लोग खुलकर बात करना पसंद नहीं करते हैं. वक्त के साथ बहुत बड़े बड़े बदलाव तो हुए लेकिन आज भी समाज में ब्रा स्ट्रैप का दिखना भी एक बड़ा मुद्दा बना दिया जाता है. 

आज के आर्टिकल में हम आपको ब्रा के इतिहास और इससे जुड़े कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में आप शायद ही जानती हों. 

ब्रा की शुरुआत-

ब्रा की शुरूआत सबसे पहले मिस्र से हुई. मिस्र की महिलाएं सदियों पहले से ब्रा पहनती आई हैं. कुछ फैक्टस बताते हैं कि प्राचीन मिस्र में रहने वाली महिलाएं चमड़े की ब्रा पहना करती थीं, और चमड़े की कोई चीज बॉडी के सॉफ्ट पार्ट पर पहनना कितना मुश्किल हो सकता है ये हर कोई समझ सकता है.

वक्त के साथ ब्रा में आए कई बदलाव-

करीब 17 से 18 वीं शताब्दी तक आते-आते सफेद रंग का अंडरगारमेंट चलन में आया था.ये दिखने में कमीज जैसी होती थी, इसलिए इस अंडर गारमेंट को ब्रा नहीं कहा जा सकता था. 

करीब 1890 के दौरान कई देशों की महिलाओं ने कोर्सेट पहनना शुरू कर दिया, जो देखने में किसी जैकेट की तरह दिखता था. इस अंडरगारमेंट में पीछे डोरियां दी जाती थी, जिसे पहनते समय अच्छे से कसा जाता था. उस समय कोर्सेट पहनने से महिलाओं के शरीर को इतना नुकसान पहुंचता था कि डॉक्टर ने इस ब्रा को न पहनने की सलाह दी. माना जाता है कि कोर्सेट पहनने की वजह से सांस फूलना, पेट गड़बड़ और मन घबराने जैसी कई दिक्कतें पेश आती थी.

कुछ यूं हुई थी मॉडर्न ब्रा की शुरूआत

मॉर्डन ब्रा का आविष्कार साल 1889 तक हो गया था. गूगल पर मॉडर्न ब्रा के बारे में सर्च करेंगे तो एक नाम जरूर दिखाई देगा और वो है फ्रांस की रहने वाली हरमिनी काडोले. हरमिनी काडोले ने ही मॉर्डन ब्रा बनाई थी. जिसके बाद उन्हें कोर्सेलेट जॉर्ज का नाम दे दिया गया. इस ब्रा को पहनना बेहद आसान था, साथ ही इसे पहनने में महिलाओं को ज्यादा वक्त भी नहीं लगता था. 

बदलते समय के साथ ब्रा का रंग रूप भी बदलने लगा, और ये पहले से कहीं ज्यादा सुंदर बनाई जाने लगी.  1940 के बाद ब्रा को नायलॉन के कपड़ों से तैयार किया जाने लगा, जिस वजह से अंडर गारमेंट हल्के होने लगे.  यही वजह थी कि इस समय तक कई महिलाओं नें ब्रा को अपनाकर अपनी जिंदगी के शामिल कर लिया. 

ब्रा के आने के साथ शुरू हुआ इसका विरोध-

साल 1907 में मशहूर फैशन मैगजीन ‘वोग’ने Brassiere शब्द को फेमस करने में भूमिका निभाई जिसका मतलब था शरीर के ऊपरी हिस्से पहनने वाला कपड़ा.बता दें कि Brassiere का शॉर्ट फॉर्म है. ब्रा के आने बाद कुछ समय में ही इसका विरोध भी शुरू हो गया. जिसके बाद महिलावादी संगठनों ने ब्रा से नुकसानों के बारे में आगाह किया.