scorecardresearch

इंसानियत की एक मिसाल! बीमार गाय को पीठ पर उठाकर 3 किलोमीटर पहाड़ चढ़ गए दो भाई, और बचा ली जान

यह वीडियो Instagram पर streetdogsofbombay नामक पेज ने शेयर किया. दो भाइयों का यह काम बताता है कि असली बहादुरी और इंसानियत सिर्फ दिखावे में नहीं, निःस्वार्थ प्रेम और करुणा में होती है.

Two brothers carry sick cow on back Two brothers carry sick cow on back

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के एक दूर-दराज़ गांव क्यारी से एक भावुक कर देने वाला वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दो भाई अपनी बीमार 200 किलो वज़नी गाय को अपनी पीठ पर उठाकर करीब 3 किलोमीटर तक फिसलन भरे, खतरनाक पहाड़ी रास्तों से होते हुए पैदल अस्पताल ले जाते दिख रहे हैं. 

यह वीडियो Instagram पर streetdogsofbombay नामक पेज ने शेयर किया. इसके साथ लिखा गया भावुक कैप्शन था, “दो भाई. एक बीमार गाय. फिसलन भरी और खड़ी पहाड़ी पर 3 किलोमीटर का सफर… उन्होंने मदद का इंतजार नहीं किया. कोई शिकायत नहीं की. उन्होंने वही किया जो प्यार और करुणा में किया जाता और उन्होंने उसकी जान बचा ली. यही है असली इंसानियत. सलाम.”

पीठ पर बांध कर गाय को अस्पताल तक पहुंचाया
वीडियो में दिखता है कि कैसे दोनों भाई रस्सियों की मदद से अपनी गाय को सुरक्षित पीठ पर बांधते हैं और मुश्किल रास्ते को पार करते हैं. रास्ता बेहद खतरनाक है, लेकिन गाय का इलाज करवाने का उनका हौसला कहीं भी डगमगाता नहीं. 

लोगों ने वीडियो देखकर भावुक होकर दी प्रतिक्रियाएं
यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया और हजारों लोगों ने इसपर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं. एक यूज़र ने लिखा, “किसी इंसान के दिल को जानना हो तो देखो कि वो जानवरों के साथ कैसा व्यवहार करता है.” एक और यूज़र ने कहा, “वीडियो तो वायरल हो गया, पर अफसोस कि डिजिटल ज़माने में भी कोई मदद नहीं मिली. उसी फोन से किसी NGO से संपर्क किया होता तो शायद मदद मिल जाती.”

एक तीसरे शख्स ने कहा, “और एक तरफ वह लोग हैं जो जानवरों को गोली मारते हैं, डराते हैं, बर्तन तोड़ते हैं… ये तो असाधारण उदाहरण है. इनकी कहानी नेशनल न्यूज़ पर दिखानी चाहिए, खासकर उन इलाकों में (दिल्ली, नोएडा, यूपी बेल्ट) जहां जानवरों के प्रति क्रूरता के किस्से आम हैं.”

यही है असली मानवता
दो भाइयों का यह काम बताता है कि असली बहादुरी और इंसानियत सिर्फ दिखावे में नहीं, निःस्वार्थ प्रेम और करुणा में होती है. उन्होंने मदद का इंतज़ार नहीं किया, उन्होंने वही किया जो दिल ने कहा और एक जान बचा ली. सलाम है ऐसे लोगों को. 

------------End------------------