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8 घंटे की सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने जोड़ दी मरीज की कटी हुई कलाई...हैदराबाद के डॉक्टरों ने किया सफल ऑपरेशन

फैक्ट्री में मशीन चलाते समय गलती से हरीश की दाहिनी कलाई मशीन के नीचे आ गई और कट गई. उनके साथियों ने कटे हुए अंग को एक प्लास्टिक की थैली में डाल दिया और उसे बर्फ में पैक कर दिया

 Doctors of Citizen hospital Hyderbad performed a limb restoration surgery Doctors of Citizen hospital Hyderbad performed a limb restoration surgery
हाइलाइट्स
  • काम करते समय हुआ था हादसा

  • मशीन से कट गई कलाई

हैदराबाद के सिटीजन अस्पताल के डॉक्टरों ने एक फैक्ट्री कर्मचारी के कटे हुए अंग को जोड़कर कमाल कर दिखाया है. 22 वर्षीय हरीश की कटी हुई कलाई की सर्जरी हड्डी रोग सर्जनों की एक अनुभवी टीम ने की. डॉक्टरों की टीम में प्लास्टिक सर्जन के साथ एक्सपर्ट एनेस्थेसियोलॉजिस्ट भी शामिल थे.

काम करते समय हुआ था हादसा
22 वर्षीय हरीश संगारेड्डी के पास नंदीग्राम में एक पेय कारखाने में मशीन ऑपरेटर हैं. फैक्ट्री में मशीन चलाते समय गलती से उनकी दाहिनी कलाई मशीन के नीचे आ गई और कट गई. उनके साथियों ने कटे हुए अंग को एक प्लास्टिक की थैली में डाल दिया और उसे बर्फ में पैक कर दिया. इसके बाद वो हरीश को पास के अस्पताल ले गए. डॉक्टरों ने हरीश को सिटीजन स्पेशियलिटी अस्पताल, नालगंदला, हैदराबाद में स्थानांतरित कर दिया.अस्पताल में ईआर पहुंचने तक बहुत ज्यादा खून गिर जाने के कारण वो शॉक में आ गए. डॉक्टरों ने उन्हें स्थिर किया गया और आपातकालीन ऑपरेशन थियेटर में ले गए.

ऑर्थोपेडिक्स से डॉ. वासुदेव जुववाड़ी और डॉ किलारू प्रफुल और प्लास्टिक सर्जरी से डॉ वेंकटेश बाबू और डॉ शशिधर रेड्डी ने हाथ को बचाने और फिर से लगाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया.  डॉ प्रभाकर ने बताया कि भारत में कोई दुर्घटना होने के बाद ट्रामा के पहले 60 मिनटों को golden hour माना गया है इसलिए, चोट की गंभीरता की शीघ्रता से सही जांच करना अनिवार्य है.

आठ घंटे चला ऑपरेशन
इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए सिटीजन स्पेशियलिटी अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ सलाहकार, डॉ अशोक राजू गोट्टेमुक्कला ने कहा, “युवा पुरुष जो अपने व्यवसाय के चलते विभिन्न मशीनों के साथ काम करते हैं अक्सर इस तरह के जोखिमों का शिकार होते हैं. हाथ का विच्छेदन सबसे दुर्बल करने वाली चोटों में से एक है. इसका प्रत्यारोपण तभी संभव है अगर मरीज को छह घंटे के भीतर अस्पताल लाया गया हो और अंग को सुरक्षित रख लिया गया हो.”हरीश की सर्जरी लगभग 8 घंटे तक चली.अब हरीश के हाथ में कोई संक्रमण नहीं है और वो स्वस्थ हैं.

(हैदराबाद से आशीष पांडे की रिपोर्ट)