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कनाडा की सिटिजनशिप छोड़ लौटे अपने देश, माता-पिता के कहने पर बुजुर्गों की देखभाल के लिए शुरू किया Anvayaa Kin Care

हैदराबाद के प्रशांत रेड्डी ने 2016 में Anvayaa Kin Care की शुरूआत की. जिसके जरिए वह अपने बच्चों से दूर बुजुर्गों को सभी जरूरी सुविधाएं जैसे रोजमर्रा की ग्रोसरी, इमरजेंसी मेडिकल केयर आदि उपलब्ध करा रहे हैं.

Representational Image (Photo: Flickr) Representational Image (Photo: Flickr)
हाइलाइट्स
  • प्रशांत ने साल 2016 में 'Anvayaa Kin Care' की शुरुआत की

  • आठ शहरों में उपलब्ध हैं Anvayaa Kin Care की सर्विसेज

हैदराबाद के प्रशांत रेड्डी का सपना था कि वह विदेश में जाकर बसें. लेकिन कनाडा में कुछ साल रहकर जब वह भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि उनके माता-पिता को ढलती उम्र में उनकी ज्यादा जरूरत है. उन्हें अपने माता-पिता की देखभाल करने के लिए उनके साथ रहने की जरूरत थी. इसलिए उन्होंने एक फैसला किया, जो लोग आसानी से नहीं कर पाते हैं. 

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रशांत ने बताया कि वह अपने करियर में आगे बढ़ रहे थे. उन्हें कनाडा की सिटीजनशिप मिल गई थी. लेकिन उन्होंने इसे छोड़कर अपने देश में अपने माता-पिता के साथ रहना चुना. और वह सिर्फ यहीं नहीं रुके. दरअसल, उन्हें बहुत से ऐसे लोगों के फोन आए जो अपने माता-पिता से दूर थे और उन्होंने प्रशांत से उनके माता-पिता की देखभाल के लिए मदद मांगी. 
 
इस सबके दौरान प्रशांत ने महसूस किया कि और भी बहुत कुछ किया जा सकता था और किया जाना चाहिए. और उन्होंने अपना माता-पिता के साथ से एक संगठन शुरू किया.

बुजुर्गों की देखभाल के लिए संगठन
साल 2016 में उन्होंने 'Anvayaa Kin Care' की शुरुआत की, जहां पर सीनियर सिटीजन्स की देखभाल की जाती है. बुजुर्गों के लिए 24*7 चिकित्सा आपातकालीन सहायता से लेकर मंदिर तक ले जाने जैसी साधारण चीजों के लिए भी वह मदद करते हैं. उन्हें दूध के पैकेट पहुंचाना या यहां तक ​​कि घर पर कुछ ठीक करने के लिए प्लंबर या कारपेंटर बुला देना, यह संगठन सबकुछ करता है.  

प्रशांत का कहना है कि बुजुर्गों को रोजमर्रा की जिंदगी में जिस भी मदद की जरूरत होती है वह सब उनका संगठन करता है. वह इन सर्विसेज को स्वास्थ्य देखभाल, आपातकालीन देखभाल, अवकाश देखभाल और भुगतान प्रबंधन की अलग-अलग कैटेगरी में बांटते हैं. वह उनके बिल भुगतान का भी ध्यान रखते हैं ताकि उनके नकदी प्रबंधन को कम से कम किया जा सके. 

8 शहरों में दे रहे हैं सर्विस
कोई भी उनके संगठन की एक साल की मेंबरशिप लेकर ये सब सर्विसेज ले सकता है. प्रशांत का कहना है कि उनके लिए यह संगठन भारत में शुरू करना आसान नहीं था. देश में सबसे बड़ी चुनौती थी कि यहां कोई भी नहीं जानता था कि ऐसा कुछ करना संभव है. अपनी सेवाओं के बारे में जागरूकता फैलाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती रही. 

इसके बाद, प्रशांत की इच्छा है कि बुजुर्गों की देखभाल मुफ्त होनी चाहिए. लेकिन यह व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है और लोग धीरे-धीरे इस बात को समझ रहे हैं. आपात स्थिति के दौरान सक्रिय देखभाल चुनौती बन जाती है- उनकी टीम 70 लोगों की जान बचाने में सक्षम है और वह इसे बेहतर करने की उम्मीद कर रहे हैं. फिलहाल, वह आठ शहरों में सर्विसेज दे रहे हैं और इसी महीने तीन अन्य शहरों में लॉन्च करेंगे.