
सिकंदराबाद का क्लॉक टॉवर सिर्फ़ समय देखने की जगह नहीं है, बल्कि आज यह दया और इंसानियत की मिसाल भी बन चुका है. यहां हर सुबह सैकड़ों ज़रूरतमंद लोग पेट भर नाश्ता करते हैं. यह सेवा कोई बड़ी संस्था नहीं, बल्कि एक साधारण इंसान, सैमुअल करन ने शुरू की. उन्होंने अस्पताल के बाहर भूखे और परेशान लोगों की हालत देखकर ठान लिया कि वे किसी को भूखा नहीं रहने देंगे.
अस्पताल से शुरू हुआ सफ़र
करन बताते हैं कि एक निजी अस्पताल के वेटिंग रूम में बैठे हुए उन्होंने देखा कि इलाज के लिए दूर-दराज़ से आए परिवार दवाइयों और अस्पताल के बिलों पर सबकुछ खर्च कर चुके हैं. उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे थे. यह बात उन्हें बहुत कचोट गई और यहीं से उनके मन में सेवा का बीज बोया गया.
2019 से रोज़ाना नाश्ता
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2019 से करन हर सुबह क्लॉक टॉवर पर 300–400 लोगों को मुफ़्त नाश्ता करवा रहे हैं. यहां आने वाले ज़्यादातर लोग मरीज़ों के परिवार होते हैं, जो होटल का खर्च नहीं उठा पाते. करन कहते हैं, “जब लोग पहले से ही तनाव में होते हैं, तो भूख उनकी परेशानी और बढ़ा देती है. मैंने सोचा कि कम से कम उनका पेट भरने की ज़िम्मेदारी मैं ले सकता हूँ.”
करन का एनजीओ FOOD (Feeding Orphans, Oppressed, Destitute) सिर्फ़ नाश्ता ही नहीं, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर प्राथमिक उपचार और परामर्श भी देता है. हर सुबह 7 से 8 बजे तक साधारण लेकिन पौष्टिक नाश्ता जैसे इडली, उपमा, पोंगल और वड़ा परोसा जाता है.
सेवा की शुरुआत 2009 में
करन कहते हैं, “मेरी पत्नी प्रिया और मैंने 2009 में गांधी अस्पताल से यह काम शुरू किया था. वहां लोगों को भूखा देखकर लगा कि मैं कम से कम इतना तो कर ही सकता हूं.” 2019 में इस सेवा को क्लॉक टॉवर तक बढ़ाया गया. आज इस काम में कई लोग उनके साथी बन गए हैं. करन मुस्कुराते हुए कहते हैं, “पेट भरा हो तो इंसान साफ़ सोच सकता है और चैन से रह सकता है. यही सोच हमें हर सुबह आगे बढ़ने की ताक़त देती है.”
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