
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने साफ किया है कि यदि कोई महिला अपने पति की प्रेमिका के कारण परेशान है, तो वह उस प्रेमिका के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकती है और रिश्ते में हुए नुकसान की भरपाई यानी हर्जाना भी मांग सकती है.
व्यभिचार अपराध नहीं, लेकिन हो सकते हैं सिविल परिणाम
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की सिंगल बेंच ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत व्यभिचार अब अपराध नहीं है. हालांकि, इसका यह अर्थ नहीं है कि किसी तीसरे व्यक्ति के कार्यों के परिणामों से प्रभावित पक्ष को कोई उपाय नहीं मिलेगा. अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों को अब सिविल विवाद की तरह देखा जाएगा और यदि किसी को नुकसान हुआ है तो हर्जाना मांगा जा सकता है.
पत्नी का आरोप, प्रेमिका ने तोड़ी शादीशुदा जिंदगी
इस मामले में एक महिला ने अपने पति की प्रेमिका पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर उसकी शादीशुदा जिंदगी में हस्तक्षेप किया. महिला का कहना है कि इस हस्तक्षेप के कारण उसका पति उससे दूर हो गया और उनका रिश्ता टूट गया. इसी आधार पर महिला ने अदालत से 1 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है.
पति और प्रेमिका की दलीलें खारिज
पति और उसकी प्रेमिका ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि इस मुकदमे को खारिज किया जाए. उनका तर्क था कि यह मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है और इसमें किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि किसी तीसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने पर उसे जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाए.
कानून में सीधे उपाय का अभाव, फिर भी संभव है हर्जाना
अदालत ने यह भी माना कि हिंदू मैरिज एक्ट या किसी अन्य शादी से जुड़े कानूनों में तीसरे व्यक्ति के गलत आचरण के लिए कोई सीधा उपाय नहीं है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पीड़ित पक्ष न्याय से वंचित हो जाए. अदालत ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के कारण पति-पत्नी के रिश्ते में दरार आती है, तो वह तीसरा व्यक्ति सिविल देनदारी का सामना कर सकता है.
महिलाओं के लिए राहत और दूसरों के लिए चेतावनी
इस फैसले से उन महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी जिनके पति का किसी और महिला से अफेयर है. अब वे उस महिला के खिलाफ मुकदमा कर सकती हैं और अपने मानसिक व सामाजिक नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट में हर्जाना मांग सकती हैं.
साथ ही, यह फैसला उन लोगों के लिए चेतावनी भी है जो किसी और की शादीशुदा जिंदगी में हस्तक्षेप करते हैं. अदालत ने साफ संदेश दिया है कि ऐसा व्यवहार न केवल रिश्तों को तोड़ सकता है बल्कि इसके लिए भारी मुआवजा भी देना पड़ सकता है.