
त्रेता युग में राम व रावण के बीच लंका में हुआ युद्ध भले ही अतीत का हिस्सा बन चुका लेकिन लेकिन यूपी के कौशांबी जिले के सिराथू तहसील क्षेत्र के दारानगर में 246 सालों से आयोजित होने वाला ऐतिहासिक कुप्पी युद्ध आज भी अपना स्वरुप कायम किए हुए है. इस कुप्पी युद्ध में राम-रावण दल की सेनाए वास्तविक युद्ध करती है.
राम-रावण की सेना के बीच ये युद्ध धनुष-बाण व गदो से नहीं बल्कि प्लास्टिक से बनी हुई कुप्पी से होता है. इस कुप्पी युद्ध को देखने के लिए आस-पास नही अन्य जिलों से बड़ी तादात में आते हैं. यहां की रामलीला अनवरत 246 वर्षो से बिना किसी बाधा के परंपरा अनुसार होती चली आ रही है. कुप्पी युद्ध का रोमांच ही ऐसा होता है की इसे देखने के लिए दर्शक खुद मैदान में खिंचे चले आते है. यह दो दिवसीय कुप्पी युद्ध होता है, पहले दिन काले कपड़ों में सजी हुई रावण की सेना की जीत होती है तो दूसरे दिन राम की सेना असत्य पर सत्य की जीत का विजय पर्व मानती है.
मज़ाक में नहीं होता ये युद्ध
कुप्पी युद्ध की परंपरा 246 वर्षों से आयोजित की जा रही है. इस कुप्पी युद्ध में राम और रावण की सेना आमने-सामने होती है. भगवान राम की सेना लाल कपड़े में और रावण की सेना काले कपडे़ में होती है. आमना-सामना होने पर दोनों सेनाओं के बीच प्लास्टिक की कुप्पी से युद्ध होता है. मेला आयोजकों के सिटी बजाते ही राम व रावण दोनों दल के सेनानी जिस तरह एक दूसरे पर टूट पड़ते है उसे देख कर दर्शक रोमांच से भर उठते है.
रणभूमि में तब्दील होता है कौशांबी जिला
युद्ध की रणभूमि में तब्दील कौशांबी जिले के इस रामलीला मैदान में चारो तरफ भीड़ नज़र आती हैं. सांसे थामे यहां हर किसी की निगाहें टिकी रहती है. इस मैदान के अन्दर होने वाले ऐसे युद्ध की जिसके अभी तक आपने सिर्फ किस्से सुने होंगे या किताबों में पढ़ा होगा लेकिन मैदान के बीचों बीच लाल रंग के कपड़ो में सजे यह वो सैनिक हैं जो ख़ुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं, जबकि काले रंग की पोशाक में है तीनो लोकों के विजेता लंकापति रावण के सैनिक.
युद्ध में घायल होते हैं लोग
आंखों में लड़ने का जूनून लिए दोनों सेनाओं के हाथों में प्लास्टिक की खास तौर पर इस युद्ध के लिए बनाई गई कुप्पियां जो इस महासमर में हथियार के तौर पर इस्तेमाल होती हैं. जैसे ही युद्ध का बिगुल बजता है दोनों तरफ़ की सेनाए खून की प्यासी होकर एक-दूसरे पर टूट पड़ती है. सच-मुच के इस अनूठे युद्ध में नियम सिर्फ़ कुप्पी के इस्तेमाल का होता है लेकिन मंजिल एक ही होती है कि कैसे विरोधी सेना को चोट पहुंचाकर कर उसे बुरी तरह पराजित किया जाए.
-अखिलेष कुमार की रिपोर्ट