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सेना से रिटायर्ड Dogs से कराई जा रही केनाइन थेरेपी, specially abled बच्चों का कराया जा रहा इलाज

एक अनोखी पहल के तहत सेना से रिटायर्ड डॉग्स से बौद्धिक दिव्यांग बच्चों का इलाज किया जा रहा है. वहीं इस थेरेपी को केनाइन थेरेपी कहते है. जिससे बच्चों को काफी फायदा हो रहा है.

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हाइलाइट्स
  • सेना से रिटायर डॉग से बौद्धिक दिव्यांग बच्चों का हो रहा इलाज

  • इन डॉग्स से कराई जा रही केनाइन थेरेपी

हिमालय पर भारत की सीमाओं की रक्षा करने, बमों, आतंकवादियों के खतरों को बेअसर करने के बाद भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) के रिटायर्ड योद्धा डॉग्स अब आटिज्म और बौद्धिक दिव्यांग ग्रस्त बच्चों की मदद कर रहे है. सेना से रिटायर हुए डॉग्स को इस पहल में लगाकर बच्चों को बेहतर करने में उनकी मदद ली जा रही है. वहीं यह पहल चंडीगढ़ में शुरू की गई है.

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) के रिटायर्ड योद्धा कुत्ते अब एक नए और अनूठी पहल के चलते चंडीगढ़ में विशेष बच्चों के लिए केनाइन थेरेपी जिससे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार से प्रभावित बच्चों की मदद की जा सके. यह डॉग्स विशेष बच्चों के साथ प्यार से जुड़ रहे है और ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी और बौद्धिक दिव्यांग से ग्रस्त बच्चों की मदद कर रहे है. इस पहल के तहत लगाए गए सेना से रिटायर्ड डॉग्स का नाम सुल्तान, रोज़ी और तूफ़ान है. 

सेना से रिटायर होकर भी दे रहे फ्री सेवा
इस पहल के बारे में आईटीबीपी के आईजी ईश्वर सिंह दुहान ने बताया कि ये चार टांगों वाले योद्धा रिटायर होने के बाद भी समाज के लिए फ्री सेवा दे रहे हैं. ऑटिज्म स्पेक्ट्रल बच्चों के लिए एक गैर-मौखिक, गैर मानव कंपनी की उपस्थिति बहुत ही सुखद है और अति सक्रिय बच्चों में शांति लाती है. इसके अलावा उनके हाथ-आंख समन्वय में सुधार और आंखों के संपर्क समय को स्थिर करता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मानव कंपनी के विपरीत, कुत्तों की कंपनी पूरी तरह से गैर-निर्णयात्मक है. कुत्ते की आंखों में गहराई से देखने वाले बच्चे में बहुत से संज्ञानात्मक परिवर्तन लाती है.

Indian army retired dogs Canine therapy treatment
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डॉग्स की उपस्थिति का बच्चों पर सुखदायक और पॉजिटिव प्रभाव
आईटीबीपी से डॉ मनोरंजन कुमार (डिप्टी कमांडेंट, ITBP वेटर्नियरी) ने बताया यह कि वैज्ञानिक रूप से मान्य है कि प्रशिक्षित कुत्ते के साथ खेल कूद कर, उनकी ग्रूमिंग से विशेष बच्चों के व्यवहार, हाथ से आंखों के समन्वय और आंखों के संपर्क में सुधार कर सकती है. एक कुत्ते साथी की उपस्थिति विशेष जरूरतों वाले बच्चों पर सुखदायक और पॉजिटिव प्रभाव डालती है. जिससे डिप्रेशन, स्ट्रेस और एंजाइटी कंट्रोल में आ जाती है. डॉ मनमोहन ने बताया कि मानव संपर्क के विपरीत, कुत्तों की कंपनी पूरी तरह से गैर-निर्णयात्मक है. इसके साथ ही कुत्ते की आंखों में देखने या उसके सिर को थपथपाने जैसे सरल कार्य बच्चे में बहुत सारे संज्ञानात्मक परिवर्तन ला सकते हैं.

ये है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम बिमारी
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम एक गंभीर विकासात्मक विकार है जो संवाद करने और बातचीत करने की क्षमता को बाधित करता है. यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और प्रभावित व्यक्ति के समग्र संज्ञानात्मक, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. इससे निपटने के लिए एक विशेषज्ञ दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. बच्चों की तरह, कुत्ते भी चंचल और स्नेही होते हैं और कुत्तों और बच्चों के बीच जो जुड़ाव स्थापित किया जा सकता है वह उल्लेखनीय है.

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ईश्वर सिंह दुहान ने बताया कि अभी हमारे पास 19 सेवानिवृत्त कुत्ते हैं. जिन्होंने नक्सल प्रभावित, बॉर्डर एरिया, प्रशिक्षित, अच्छे व्यवहार वाले और स्नेही कुत्ते व्यक्तियों पर एक मजबूत भावनात्मक और चिकित्सीय प्रभाव डालते हैं. गृह मंत्रालय ने हाल ही में रिटायर्ड कुत्तों के लिए रिटायरमेंट होम बनाया है. कुत्तों को चंडीगढ़ के पास भानु में बेसिक ट्रेनिंग सेंटर स्थित आईटीबीपी के नेशनल सेंटर फॉर ट्रेनिंग डॉग्स में एक विशेष रूप से स्थापित रिटायरमेंट होम में अब बसाया गया है.