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Motivation: 11 साल की बच्ची साफ कर रही है समुद्र... अब तक निकाल चुकी है 6 हजार किलो प्लास्टिक वेस्ट... भारत की सबसे कम उम्र की स्कूबा डाइवर

अब तक थारगई 6 हजार किलो से अधिक प्लास्टिक समुद्र से निकाल चुकी हैं और 70 से ज्यादा कम्यूनिटी टॉक्स में लोगों को जागरूक कर चुकी हैं.

Thaargai Aarathana (Photo: Instagram/@T.A.Thaaragai Aarathana) Thaargai Aarathana (Photo: Instagram/@T.A.Thaaragai Aarathana)

चेन्नई की 10 वर्षीय थारगई आराधना भारत की सबसे कम उम्र की PADI (Professional Association of Diving Instructors) सर्टिफाइड स्कूबा डाइवर हैं. छोटी-सी उम्र में ही उन्होंने समुद्र और तटीय क्षेत्रों को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने का मिशन बना लिया है. हर रविवार वह बीच और अंडरवाटर क्लीन-अप अभियान की अगुवाई करती हैं. अब तक थारगई 6 हजार किलो से अधिक प्लास्टिक समुद्र से निकाल चुकी हैं और 70 से ज्यादा कम्यूनिटी टॉक्स में लोगों को जागरूक कर चुकी हैं.

श्रीलंका से भारत तक तैरकर दिया संदेश
3 अप्रैल 2025 को थारगई ने अपने पिता एस.बी. अरविंद थरून्श्री और दोस्त, निश्विक के साथ श्रीलंका के थलाईमन्नार से भारत के धनुषकोडी तक तैरकर समुद्र प्रदूषण के खिलाफ संदेश दिया. इस सफर को उन्होंने 11 घंटे 30 मिनट में पूरा किया. 19 सितंबर 2025 को मुंबई में होने वाले TED Talk Gateway Youth में थारगई अपना अनुभव साझा करेंगी.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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पिता से मिली प्रेरणा
अरथना के पिता थरून्श्री पेशेवर स्कूबा डाइवर और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. साल 1997 में पहली बार गोता लगाने के बाद उन्होंने समुद्र संरक्षण को अपना जीवन समर्पित कर दिया. बेटी के जन्म के तीन दिन बाद ही उन्होंने उसे पानी से परिचित कराया था. नौ महीने की उम्र में वह पानी में सहज हो गई थी और ढाई साल की उम्र तक तैरना सीख गई थी. पांच साल की उम्र से पिता-बेटी ने साथ में डाइविंग शुरू कर दी.

समुद्र से दोस्ती और संघर्ष
थारगई का कहना है कि समुद्री जीव उनके दोस्त हैं. लेकिन प्लास्टिक प्रदूषण की वजह से वे तकलीफ़ में हैं. उनकी इस सोच के पीछे एक दर्दनाक अनुभव है. एक बार डाइविंग के दौरान उन्होंने एक समुद्री गाय (डुगोंग) और उसके बच्चे को जाल में फंसा देखा. बच्चा तो बच गया, लेकिन गाय मर गई. उस घटना ने उनको झकझोर दिया और उन्होंने समुद्र को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने का संकल्प ले लिया.

पिता थरून्श्री ने भी अब तक 30,000 किलो से ज्यादा प्लास्टिक समुद्र से निकाला है. उनका मानना है कि अगली पीढ़ी को शिक्षित करना ही समाधान है.” वे भविष्य में आर्टिफिशियल कोरल रीफ लगाने और मछुआरों को डाइविंग सिखाने जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम करना चाहते हैं.

पहले अपना घर साफ करें 
साइंटिफिक स्टडीज के अनुसार, दुनिया के महासागरों में अब 15 से 51 ट्रिलियन प्लास्टिक के टुकड़े हैं और 2050 तक यह समुद्र की मछलियों से भी ज्यादा हो जाएगा. भारत में 33.6% तटीय क्षेत्र क्षरण की चपेट में है. केरल ने हाल ही में चेतावनी दी है कि पिछले 26 सालों में उसका 40% तट समुद्र में समा चुका है.

थारगई सभी से अनुरोध करती हैं कि प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े का बैग इस्तेमाल करें. पहले अपना घर साफ करें, फिर गली और फिर समुद्र. तभी हम भविष्य की पीढ़ियों को साफ और सुरक्षित समुद्र दे पाएंगे.

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