
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में स्थित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने शोध के बाद आम की एक नई प्रजाति विकसित की है, जिसका नाम ऑपरेशन 'सिंदूर' के सम्मान में 'सिंदूर' रखा गया है. यह प्रजाति भारतीय सेना की वीरता को समर्पित है, जिसने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देते हुए ऑपरेशन 'सिंदूर' को अंजाम दिया. हाल ही में दिल्ली के एयर फोर्स मेस में आयोजित एक प्रदर्शनी में इस आम की प्रजाति को प्रदर्शित किया गया, जहां तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी सराहना की.
देश की गौरव गाथा
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी. इसके जवाब में भारतीय सेना ने 6-7 मई 2025 को ऑपरेशन 'सिंदूर' शुरू किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और हिजबुल मुजाहिदीन के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया. इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकवादियों को करारा जवाब दिया, बल्कि देश में सेना के प्रति गर्व की भावना को और मजबूत किया. इसी वीरता से प्रेरित होकर पंतनगर यूनिवर्सिटी ने आम की नई प्रजाति को 'सिंदूर' नाम देकर सेना को श्रद्धांजलि दी.
आम की नई प्रजाति 'सिंदूर'
जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने इस नई प्रजाति को विकसित किया. इस आम की खासियत यह है कि यह सितंबर के पहले सप्ताह में पककर तैयार होता है, जबकि आम की अन्य प्रजातियाँ अगस्त की शुरुआत तक खत्म हो जाती हैं. इसका वजन 200-250 ग्राम होता है, और पकने के बाद यह पीले रंग का हो जाता है. इसमें शर्करा और अम्ल का संतुलन इतना शानदार है कि यह स्वाद और स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहतरीन है. वाइस चांसलर डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया, "यह प्रजाति किसानों की आय को दोगुना करने में मदद करेगी, क्योंकि यह ऑफ-सीजन में उपलब्ध होगी."
सेना के शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी
6 जुलाई 2025 को दिल्ली के एयर फोर्स मेस में पंतनगर यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित मैंगो फेस्टिवल में इस नई प्रजाति को प्रदर्शित किया गया. इस प्रदर्शनी में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, और कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हुए. उन्होंने दशहरी, लंगड़ा, चौसा, अम्रपाली, और सिंदूर सहित 45 आम की प्रजातियों का स्वाद चखा और वैज्ञानिकों की सराहना की. CDS जनरल चौहान ने कहा, "पंतनगर यूनिवर्सिटी कृषि नवाचार में अग्रणी भूमिका निभा रही है. ऐसी प्रदर्शनियां किसानों और उपभोक्ताओं के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देती हैं." इस दौरान वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों ने चर्चा कर इस प्रजाति का नाम 'सिंदूर' रखने का फैसला किया, जो ऑपरेशन 'सिंदूर' की वीरता का प्रतीक है.
वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण
डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया, "हमने स्थानीय क्षेत्र में सर्वेक्षण के बाद इस प्रजाति को विकसित किया, जिसे शुरू में पंतनगर मैंगो शिलिंग सिलेक्शन वन नाम दिया गया. इसकी परिपक्वता अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में होती है, जो इसे अन्य प्रजातियों से अलग बनाती है. इसका स्वाद और गुणवत्ता इसे बाजार में लोकप्रिय बनाएगी." उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रजाति का नाम 'सिंदूर' रखकर सेना के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया है. वाइस चांसलर डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा, "हमारा लक्ष्य ऐसी प्रजातियां विकसित करना है, जो किसानों की आय बढ़ाएं और देश की कृषि विरासत को मजबूत करें."
'सिंदूर' प्रजाति का ऑफ-सीजन में उपलब्ध होना किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है. यह न केवल उनकी आय बढ़ाएगा, बल्कि बाजार में आम की उपलब्धता को भी लंबा करेगा. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसान इस प्रजाति को अपनाने के लिए उत्साहित हैं. विश्वविद्यालय ने किसानों को प्रशिक्षण और बीज उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई है.
(रमेश चंद्र की रिपोर्ट)