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International Transgender Day of Visibility: अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए बनाई पहचान, मिलिए इन हीरोज से जिन्होंने बदलीं रिवायतें

International Transgender Day of Visibility: आज भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़े बहुत से लोग अपनी पहचान बना रहे हैं और लगातार सफलता की दास्तान लिख रहे हैं. मिलिए कुछ ऐसे हीरोज से.

International Transgender Day of Visibility International Transgender Day of Visibility
हाइलाइट्स
  • 31 मार्च को इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी मनाया जाता है

  • LGBTQ+ लोगों को समर्पित है यह दिन

हर साल 31 मार्च को इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी मनाया जाता है. यह दिन, दुनिया भर में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ समाज में उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए समर्पित है. पिछले कुछ सालों से भारत में भी ट्रांसजेंडर समुदाय के बारे में जागरूकता बढ़ी है. अब इस समुदाय से जुड़े लोग खुलकर बाहर आ रहे हैं और समाज में अपनी पहचान भी बना रहे हैं. 

आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे ही ट्रांसजेंडर्स के बारे में जिन्होंने देश में अपनी पहचान बनाई है:

1. भारत की पहली ट्रांसजेंडर वकील: सत्यश्री शर्मिला


सत्यश्री शर्मिला भारत की पहली ट्रांसजेंडर वकील हैं. समाज की रूढ़िवादी मानसिकता से लड़कर, सत्यश्री ने कानून की पढ़ाई की ताकि वह अन्याय के खिलाफ लड़ सकें. थर्ड जेंडर होने के कारण उन्होंने बहुत सी चुनौतियों का सामना किया लेकिन सत्यश्री ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ती रहीं. 

2.  भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज: जोयिता मोंडल


जोयिता मोंडल अक्टूबर 2017 में उत्तरी बंगाल में लोक अदालत में नियुक्त होने वाली पहली जज बनीं. ट्रांसजेंडर अधिकार संगठनों के लिए मिलकर काम करने के दौरान, मोंडल कानून में डिग्री हासिल करने के लिए प्रेरित हुईं.

3. भारत की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस अधिकारी: पृथिका याशिनी


हर एक चुनौती को पार करके आगे बढ़ने वाली, पृथिका याशिनी पहली ट्रांसजेंडर सब-इंस्पेक्टर बनीं. यशिनी ने अपने लक्ष्य को पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. अप्रैल 2014 में ट्रांसजेंडर्स को 'तीसरे लिंग' के रूप में मान्यता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद, यशिनी को संघर्ष करना पड़ा. क्योंकि पुलिस में उनकी भर्ती के आवेद न को इसलिए स्वीकार नहीं किया जा रहा था कि वह 'मेल या फीमेल' कैटेगरी में नहीं आती हैं. लेकिन उन्होंने हर लड़ाई लड़ी और आखिरकार अपनी मंजिल पा ली. 

4. भारत की पहली ट्रांसजेंडर कॉलेज प्रिंसिपल: मानबी बंदोपाध्याय


7 जून, 2015 को मानबी कृष्णानगर महिला कॉलेज की पहली ट्रांसजेंडर कॉलेज प्रिंसिपल बनीं. वह एक प्रोफेसर हैं औरडॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) पूरी करने वाली भारत की पहली ट्रांसजेंडर भी हैं. इससे पहले, उन्होंने विवेकानंद सतोबर्षिकी महाविद्यालय में बंगाली में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया था.

5. भारत की पहली ट्रांसजेंडर सैनिक: शबी


शबी करीब 13 साल पहले पूर्वी नौसेना कमान के मरीन इंजीनियरिंग विभाग में शामिल हुए थीं. हालांकि, उन्होंने 2016 में दिल्ली में सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कराई थी. सर्जरी के बाद वह विशाखापत्तनम में नौसेना बेस में शामिल हो गईं.

6. भारत की पहली ट्रांसजेंडर मेडिकल असिस्टेंट: जिया दास


कोलकाता की जिया दास पहली ट्रांसजेंडर ऑपरेशन थियेटर या ओटी टेक्नीशियन बनीं. कभी आयोजनों में डांस करने वाली जिया आज पूरे सम्मान से जी रही हैं. यह मुकाम उन्होंने बहुत मेहनत से हासिल किया है.