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Drip Irrigation...Polyhouse... इजराइल की कृषि तकनीकों ने बदला भारत में खेती का चेहरा, यह गांव बना 'Mini Israel'

साल 2012 में खेमाराम चौधरी को सरकार के एक प्रोग्राम के तहत इजरायल जाने का मौका मिला और यहीं से उनकी किस्मत पलट गई. उन्होंने इजरायल में ड्रिप इरिगेशन और पॉलीहाउस जैसी तकनीकें देखीं. यहां से सीखकर उन्होंने अपने खेतों में यह तकनीक अपनाईं.

इजराइली तकनीक के सफल किसान खेमाराम चौधरी इजराइली तकनीक के सफल किसान खेमाराम चौधरी

भारत और इजराइल की दोस्ती आज पूरी दुनिया में मशहूर है. दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हैं. भारत के कृषिक्षेत्र में इजरायल का काफी योगदान है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इजरायल की कृषि तकनीक ने भारत में खेती का चेहरा बदल दिया है. इजराइल की कई उन्नत कृषि तकनीकें भारतीय किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं. 

ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation )
भारत को ड्रिप इरिगेशन इजराइल की देन है. इसमें पौधों को उतनी ही पानी और खाद दी जाती है जितनी जरूरत होती है. इससे पानी की बचत होती है और उत्पादन में बढोतरी होती है. ड्रिप इरिगेशन से किसानों का खर्च कम होता है. 

पॉलीहाउस तकनीक (Polyhouse)
इजराइल की पॉलीहाउस तकनीक ने भारत में खेती की दिशा और दशा पूरी बदल दी है. पॉलीहाउस में फसलें सुरक्षित रहती हैं और पेस्टिसाइड का उपयोग नहीं होता. इसमें तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे किसी भी मौसम में फसल उगाई जा सकती है. टमाटर, कैप्सिकम और मटर जैसी फसलें अब पूरे साल उपलब्ध रहती हैं. 

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Drip Irrigation and Polyhouse Farming

सॉइललेस खेती (Soilless Farming)
सॉइललेस यानी बिना मिट्टी की खेती. वर्टिकल फार्मिंग और कोकोपीट जैसी तकनीकों से बिना मिट्टी के भी फसलें उगाई जा सकती हैं. यह तकनीक अर्बन फार्मिंग के लिए भी बहुत उपयोगी है. इस खेती में कम पानी में ज्यादा उत्पादन संभव है. 

इजरायल से मिली इन कृषि तकनीकों की मदद से आज भारतीय किसान खेती में अच्छा कमा रहे हैं और इसका सबसे अच्छा उदाहरण है राजस्थान में जयपुर के पास बसा गूढ़ा कुमावतन गांव. इस गांव के लगभग सभी किसान पॉलीहाउस, ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं और कभी खेती से मुश्किल से लाखों कमाने वाला यह गांव आज 200 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर कमा रहे है. 

एक किसान की पहल ने बदली जिंदगी 
राजस्थान के गूढ़ा कुमावतन गांव के किसान खेमाराम चौधरी ने पॉलीहाउस फार्मिंग अपनाकर अपनी और गांव के अन्य किसानों की किस्मत बदल दी है. खेमाराम चौधरी ने 2012 में इस तकनीक को अपनाया और आज वे और उनके गांव के किसान करोड़पति बन चुके हैं. इस तकनीक ने न सिर्फ उनकी आय में बढ़ोतरी की है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और समृद्ध भी बनाया है. 

किसान खेमाराम (फोटो: फेसबुक)

खेमाराम चौधरी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि आज से 10-12 साल पहले उनकी बहुत गरीब स्थिति थी. परंपरागत खेती में कोई ज्यादा बड़ा मुनाफा नहीं हो रहा था. मौसम की मार बहुत ज्यादा पड़ती थी. उन्होंने पॉलीहाउस फार्मिंग को अपनाया और उनकी मेहनत रंग लाई. आज वे और उनके गांव के अन्य किसान इस तकनीक से अच्छी आय कमा रहे हैं. 

साल 2012 में खेमाराम चौधरी को सरकार के एक प्रोग्राम के तहत इजरायल जाने का मौका मिला और यहीं से उनकी किस्मत पलट गई. उन्होंने इजरायल में ड्रिप इरिगेशन और पॉलीहाउस जैसी तकनीकें देखीं. यहां से सीखकर उन्होंने अपने खेतों में यह तकनीक अपनाईं. परांपरागत खेती में जहां उन्हें  सालाना 50 हजार से लाख रुपए की ही बचत होती थी तो वहीं अब कम से कम 50 से 60 लाख रुपए नेट प्रॉफिट मिलता है. 

गांव को कहते हैं 'Mini Israel'
पॉलीहाउस फार्मिंग की लागत ज्यादा होती है, लेकिन सरकार की सब्सिडी से किसानों को बड़ी राहत मिलती है. अगर किसान सरकार की सब्सिडी योजनाओं का सही इस्तेमाल करे तो वे इन तकनीकों को खेती में अपना सकते हैं. गांव के दूसरे किसानों ने भी इस तकनीक को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी है. आज इस गांव को बहुत से लोग 'मिनी इजरायल' के नाम से भी जानते हैं. इजरायल की कृषि तकनीक न सिर्फ इस गांव बल्कि पूरे भारत में किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी हैं.