भारत और पाकिस्तान आज भले ही दो देश हों लेकिन एक समय था जब यह सिर्फ एक मुल्क था- हिंदुस्तान. आज भले ही दोनों देश अलग हैं लेकिन दोनों के बीच बहुत कुछ ऐसा है जो समान है या फिर वहां से यहां आया है या यहां से वहां गया है. जैसे कि जयपुर में पाकिस्तान की एक ऐसी चीज मिली है जिसकी डिमांड बहुत ज्यादा हैं.
जी हां, हम बात कर रहे है फेमस मिठाई 'होली घीहर' की, जो पाकिस्तान से जयपुर पहुंची हैं. इस मिठाई को बनाने वाले हलवाई के पूर्वज पाकिस्तान के सिंध प्रान्त से ताल्लुक रखते थे. वहां उनकी दुकान हुआ करती थीं लेकिन बंटवारे में जयपुर आ गए. अब यहां बरसों से परकोटे की चारदीवारी में जलेबी जैसी दिखने वाली, लेकिन थोड़ी अलग मिठाई, होली घीहर तैयार करते हैं.
बिना घीहर अधूरी है होली
होली पर जबरदस्त डिमांड रखने वाली इस मिठाई को वैसे तो जलेबी घीहर कहते है लेकिन जैसे गुलाल के बिना होली अधूरी है वैसे ही इस मिठाई के बिना होली अधूरी मानी जाती है. इसलिए खासतौर पर इसको होली घीहर कहा जाने लगा. जयपुर में गिने-चुने ही स्वीट्स शॉप पर यह मिठाई मिलती है और इनमें से एक इंद्रा बाजार की अमरदीप स्वीट्स पिछले 65 वर्षों से होली घीहर का स्वाद जयपुराइट्स के मुंह में घोल रही हैं.
दुकान के मालिक दीपक कुमार ने बताया कि इस मिठाई को बड़ी जलेबी यानी होली घीहर कहा जाता है, जिसे हाथों से बनाया जाता हैं. यह मिठाई वैसे तो मशीनों से भी बनाई जाती है लेकिन हाथों से तैयार मिठाई का स्वाद सबसे लाजवाब होता हैं. इस खास मिठाई को मैदे से तैयार किया जाता है. मिठाई बनाने से एक दिन पहले मैदे को भिगोया जाता है और फिर दूसरे दिन मिठाई तैयार की जाती है. यह 340 रुपये किलो तक बिकती हैं.
रंगों से सजी गुलाबी नगरी
होली के रंग में रंगी गुलाबीनगरी को सिर्फ अपनी विरासत ही नहीं बल्कि त्योहारों को मनाने के अलग अंदाज के लिए भी जाना जाता है. रंगों का पर्व होली मनाने में भी शहरवासी पीछे नहीं रहते और कहते है बिना मिठाई के होली के रंग भी फीके रह जाते है. जयपुर ऐसे भी अपना खान-पान के लिए बहुत फेमस हैं. यहां बहुत से ऐसे व्यंजन हैं जो खास हैं और जिनका अपना एक इतिहास है. होली घीहर भी ऐसी अनोखी मिठाई है जिसका स्वाद लम्बे समय तक बरकरार रहता हैं. जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आ रहा है लोगों में इस मिठाई की डिमांड बढ़ने लगी है.
(विशाल शर्मा की रिपोर्ट)