
कोलकाता में 2 से 4 मई तक ICCR में Pen Utsav 2025 का आयोजन किया गया. इस आयोजन का उद्देश्य डिजिटल दुनिया में एक बार फिर लिखने की कला को फिर से ज़िंदा करने की कोशिश है. यह इस सालाना कार्यक्रम का चौथा साल है. इस कार्यक्रम में लेखन की कला के साथ-साथ अलग-अलग तरह के खास और दुर्लभ पेन कलेक्ट करने वाले लोगों को भी एक मंच मिलता है.
जर्मन ब्रांड का खास पेन
इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में जर्मन ब्रांड Staedtler की बेमिसाल और दुर्लभ “Bavaria” पेन ने सबका ध्यान खींचा. इस शानदार पेन की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें 48 हीरे लगाए गए हैं. इसकी निब 18 कैरेट सोने से बनी है. पेन की पैलेडियम बॉडी है और इस पर नीले लैकर से फिनिशिंग की गई है.
यह पेन जर्मनी के उस बवेरिया क्षेत्र को समर्पित है, जहां से स्टेडलर ब्रांड की शुरुआत हुई थी. पूरी दुनिया में इस पेन के सिर्फ 48 पीस ही हैं, जिस कारण यह पेन कलेक्टर्स के लिए किसी खजाने से कम नहीं है. आपको बता दें कि Staedtler ब्रांड आमतौर पर बॉलपॉइंट, जेल पेन, फाइनलाइनर्स और तकनीकी पेन बनाता है जो कला, डिजाइन और दफ्तरों में इस्तेमाल होते हैं, लेकिन इस खास पेन ने ब्रांड को नए नजरिए से लोगों के सामने पेश किया.
क्यों हुई Pen Utsav की शुरुआत
Pen Utsav के फाउंडर सायक अध्या ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम चाहते थे कि लोग फिर से लिखने की जड़ों की ओर लौटें." उन्होंने आगे कहा कि हाथ से लिखने में एक खास अपनापन होता है, जो डिजिटल माध्यमों में नहीं मिल सकता. यह भावनाओं से जुड़ा हुआ है. उनका मकसद भारत में फाउंटेन पेन की विरासत को सिर्फ एक लिखने के टूल के रूप में नहीं, बल्कि कला और संवेदनशीलता के प्रतीक के रूप में पुनर्जीवित करना है.
पेन कार्यक्रम अब एक परंपरा और कला का उत्सव बन चुका है, जहां पेन निर्माता, लेखक और कलेक्टर्स एक साथ आते हैं. इस साल करीब 25 स्टॉल लगाए गए थे, जहां न सिर्फ पेन और स्याही की बिक्री हुई, बल्कि हर पेन के पीछे की कहानी भी साझा की गई. पुरानी पेन की प्रदर्शनी और सुंदर कैलीग्राफी सैंपल्स किसी म्यूजियम जैसे अनुभव दे रहे थे. यहां कैलीग्राफी सीखने, निब बनाने का प्रदर्शन, और पेन टेस्टिंग जैसी गतिविधियों ने बच्चों से लेकर बड़े कलेक्टरों तक सभी का ध्यान खींचा.