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भयावह प्लेन क्रैश में बाल-बाल बचा कोटा का छात्र! मयंक सेन ने सुनाई दिल दहला देने वाली आपबीती, 20 मिनट ने बचाई जान, 5 दोस्तों को खोया

हादसे के कुछ ही मिनट बाद मयंक जब वापस लौटा, तो सामने का दृश्य किसी डरावने सपने से कम नहीं था. एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, जो 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स को लेकर लंदन जा रहा था, कॉलेज के हॉस्टल की इमारत से टकरा चुका था. चारों ओर चीख-पुकार मची थी, मलबे में लोग दबे थे, और आग की लपटें आसमान छू रही थीं.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश अहमदाबाद प्लेन क्रैश

जीवन और मृत्यु के बीच का फासला कभी-कभी इतना कम होता है कि वह सिर्फ कुछ मिनटों में तय हो जाता है. ऐसा ही एक चमत्कार हुआ कोटा के दीगोद निवासी मयंक सेन के साथ, जो अहमदाबाद में हुए भयावह प्लेन क्रैश में बाल-बाल बच गया. मयंक, जो विजय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस तृतीय वर्ष का छात्र है, उसने अपनी आपबीती सुनाई, जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे. गुरुवार, 12 जून 2025 को हुए इस हादसे में मयंक ने अपने पांच करीबी दोस्तों को खो दिया, लेकिन खुद उसकी जान महज 20 मिनट के अंतर से बच गई.

हादसे से ठीक पहले
मयंक सेन, कोटा के दीगोद के व्यापार संघ अध्यक्ष किशन सेन के बेटे, अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं. गुरुवार दोपहर 1:38 बजे, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भर रही थी, तब मयंक कॉलेज की दूसरी बिल्डिंग में स्थित मेस में खाना खाकर बाहर निकला ही था.

वह बताते हैं, "मैं मेस से निकला और कुछ काम के लिए दूसरी बिल्डिंग की ओर जा रहा था. तभी एक जोरदार धमाका हुआ. मैंने पीछे मुड़कर देखा तो धुएं का गुबार और आग की लपटें उठ रही थीं." मयंक को उस वक्त अहसास नहीं था कि यह हादसा उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा.

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दिल दहला देने वाला मंजर
हादसे के कुछ ही मिनट बाद मयंक जब वापस लौटा, तो सामने का दृश्य किसी डरावने सपने से कम नहीं था. एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, जो 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स को लेकर लंदन जा रहा था, कॉलेज के हॉस्टल की इमारत से टकरा चुका था. चारों ओर चीख-पुकार मची थी, मलबे में लोग दबे थे, और आग की लपटें आसमान छू रही थीं. मयंक ने कांपती आवाज में अपने परिजनों को बताया, "मैं सन्न रह गया. मेरे दोस्त, जो मेस में मेरे साथ खाना खा रहे थे, अब वहां नहीं थे. मलबे में दबे लोग चीख रहे थे, और मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था."

मयंक ने हिम्मत जुटाकर अपने कुछ अन्य दोस्तों के साथ मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश शुरू की. इस दौरान उन्होंने अपने पांच करीबी दोस्तों के शव देखे.  

हादसे की भयावहता
एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी, ने दोपहर 1:38 बजे अहमदाबाद से उड़ान भरी थी. लेकिन केवल 30 सेकंड बाद, पायलट ने मेडे कॉल (Mayday call) जारी किया, जो एक गंभीर आपात स्थिति का संकेत था. इसके बाद विमान तेजी से ऊंचाई खोने लगा और मेहमानीनगर इलाके में बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की इमारत से टकरा गया. इस हादसे में 241 यात्रियों और क्रू मेंबर्स की मौत हो गई, जबकि जमीन पर भी कम से कम 5 मेडिकल छात्रों और एक डॉक्टर की पत्नी की जान चली गई.

केवल एक यात्री, विशवास कुमार रमेश, जो सीट 11A पर बैठा था, चमत्कारिक रूप से बच गया. मयंक की तरह, विशवास की जान भी इमरजेंसी एग्जिट के पास होने की वजह से बची. लेकिन मयंक का कहना है कि इस हादसे ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया.

जांच और सवाल
इस हादसे ने बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े किए हैं. यह पहला मौका है जब ड्रीमलाइनर किसी घातक हादसे में शामिल हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि संभावित कारणों में फ्लैप की खराबी, इंजन फेल्योर, या बर्ड स्ट्राइक शामिल हो सकता है. इसके अलावा, विमान में लंबी दूरी के लिए भारी मात्रा में ईंधन होने की वजह से टकराव के बाद आग की तीव्रता बढ़ गई. डीजीसीए और बोइंग की टीमें जांच में जुटी हैं, और ब्लैक बॉक्स की तलाश जारी है.

(चेतन गुर्जर की रिपोर्ट)