

सुनने में शायद आपको फिल्मी कहानी लगे, लेकिन ये हकीकत है. सहारनपुर जिले के रामपुर मनिहारान ब्लॉक के छोटे से गांव चकवाली ने ऐसा इतिहास रचा है, जिसकी गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है. यहां बन रहा है “भारत सरोवर”- एक ऐसा तालाब जो भारत के नक्शे के आकार में तैयार किया जा रहा है. जी हां, आपने सही पढ़ा! यह तालाब केवल पानी भरने की जगह नहीं, बल्कि देशभक्ति और समाज को जागरूक करने वाला अद्भुत प्रोजेक्ट है.
क्यों खास है ‘भारत सरोवर’?
गांवों में अक्सर तालाब गंदगी और डंपिंग ग्राउंड में बदल जाते हैं, लेकिन चकवाली ने इस सोच को बदल दिया. ग्राम प्रधान श्रीमती सविता देवी के बेटे नकुल चौधरी ने ठान लिया कि इस तालाब को ऐसी पहचान देंगे जो पूरे भारत के लिए मिसाल बन जाए. उन्होंने इसे 23 जनवरी 2023 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर देश को समर्पित किया.
नकुल चौधरी कहते हैं, “तालाब सिर्फ पानी भरने की जगह क्यों? क्यों न इसे देशभक्ति का प्रतीक बनाया जाए, ताकि लोग सिर्फ नहाने या मछली पकड़ने नहीं, बल्कि सीखने और प्रेरणा लेने भी आएं.”
तालाब बनेगा टूरिस्ट हॉटस्पॉट
भारत सरोवर में सिर्फ पानी ही नहीं होगा, बल्कि यहां होंगी कई अनोखी चीजें:
गांववालों का सपना है कि आने वाले वक्त में यह जगह टूरिस्ट सेंटर बन जाए, जहां लोग इतिहास, प्रकृति और देशभक्ति का अनोखा संगम देख सकें.
नशे के खिलाफ बड़ा संदेश
नकुल चौधरी ने इस तालाब को सिर्फ खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि नशा मुक्ति अभियान का हिस्सा भी बनाया है. उनका कहना है कि “नशा देश को खोखला करता है, जबकि भारत सरोवर नई ऊर्जा और सोच देगा.”
गांव में पहले भी शराब और नशे के अड्डे बंद कराए गए. अब यह तालाब उसी सोच को मजबूत करता है कि “सच्चा नशा सिर्फ देशभक्ति का होना चाहिए.”
अधिकारियों ने लिया गोद
इस प्रोजेक्ट को जैसे-जैसे पहचान मिली, वैसे-वैसे अधिकारी भी जुड़ते चले गए. सीडीओ सुमित महाजन ने इसे गोद लिया और पूरी प्रशासनिक टीम मदद के लिए आगे आई. यही नहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इस पहल से प्रभावित हुए हैं और उन्होंने 23 जनवरी 2026 को भारत सरोवर का उद्घाटन करने की सहमति दी है.
गांव की हवा बनाम शहर की दवा
नकुल चौधरी का एक डायलॉग आज पूरे गांव में मशहूर हो चुका है, “गांव की हवा और शहर की दवा बराबर होती है.” यानी गांव की शुद्धता, प्राकृतिक खूबसूरती और सकारात्मक सोच ही असली दवा है.
आज चकवाली गांव की पहचान सिर्फ सहारनपुर तक सीमित नहीं है. यह गांव अब उन जगहों में गिना जाएगा जहां लोग सिर्फ घूमने नहीं, बल्कि सीखने भी आएंगे.
(अनिल कुमार भारद्वाज की रिपोर्ट)