Lalit Keshre (Photo: ITG)
Lalit Keshre (Photo: ITG) किसी को भी सफलता आसानी से नहीं मिलती है. इसके लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है. कई बार असफलताएं मिलती हैं फिर भी हार नहीं माननी चाहिए. इन असफलताओं से सीख लेकर नई ऊर्जा के साथ फिर से अपने कार्य में जुट जाना चाहिए. ऐसा करने पर सफलता कदम जरूर चूमेगी. आज आपको मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के एक छोटे से गांव लेपा में रहने वाले किसान के बेटे ललित केशरे की सफलता की कहानी बता रहे हैं. आज इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ग्रो (Groww) की पेरेंट कंपनी बिलियनब्रेंस गैराज वेंचर्स लिमिटेड के सह-संस्थापक और सीईओ ललित केशरे अरबपतियों की सूची में शामिल हो गए हैं. उनकी आज की नेटवर्थ लगभग 247 करोड़ रुपए है, लेकिन कभी उनका पहला स्टार्टअप फेल हो गया था, जिसके कारण उनपर लाखों रुपए का कर्ज हो गया था. इसके बावजूद ललित केशरे ने हार नहीं मानी. ललित को कर्ज चुकाने के लिए नौकरी तक करनी पड़ी. आइए जानते हैं फिर ललित केशरे की किस्मत कैसे चमकी?
पिता को खेतों मेहनत करते देख समझा जीवन का मतलब
किसान परिवार में जन्मे ललित केशरे अपने पिता को खेतों मेहनत करते देख जीवन का मतलब समझा. उन्होंने जाना कि सफलता आसानी से नहीं मिलती है. इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होती है. ललित केशरे ने पढ़ाई में अपना पूरा मन लगाया. ललित के पिता भले ही किसान थे, लेकिन वह शिक्षा के महत्व को जानते थे. वह हमेशा ललित को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते रहे. ललित ने 12वीं क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद आईआईटी प्रवेश परीक्षा दी. इसमें उनकी रैंक बहुत अच्छी आई. ललित को आईआईटी, बॉम्बे में प्रवेश मिला. यहां से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
और फेल हो गया पहला स्टार्टअप
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ललित केशरे ने अपने करियर की शुरुआत साल 2011 में एडुफ्लिक्स (Eduflix) नामक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म से की. एडुफ्लिक्स को शुरू करने का उनका उद्देश्य था शिक्षा को देश के हर कोने तक पहुंचाना, लेकिन ललित का यह प्रयास सफल नहीं हो सका. उस समय इंटरनेट महंगा और सीमित था, इसलिए वे पेन ड्राइव और मेमोरी कार्ड में कोर्स मटेरियल बेचते थे.
हालांकि यह स्टार्टअप असफल रहा. कुछ ही समय में कंपनी बंद हो गई और उन पर लाखों रुपए कर्ज हो गया. कंपनी फेल और सिर पर कर्ज होने के बावजूद ललित ने हार मानने की जगह नौकरी करने की सोची. ललित ने फ्लिपकार्ट में ग्रुप प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर काम करना शुरू किया. यहां पर ललित ने Flipkart Marketplace लॉन्च करने और Flipkart Quick जैसी सर्विसेज में काम किया. नौकरी करने के दौरान भी ललित के मन में कुछ बड़ा और अलग करने की चाह बनी रही. फ्लिपकार्ट में जॉब के दौरान ललित की मुलाकात ईशान बंसल, हर्ष जैन और नीरज सिंह से हुई. तीनों ही युवा ललित जैसा उद्यमशील सोच रखते थे.
Groww बनाने का ऐसे आया आइडिया
नौकरी करते हुए ललित केशरे ने शेयर बाजार में कुछ पैसे निवेश करने का फैसला किया. ललित ने शेयर खरीदे लेकिन शेयर खरीदने के लिए की जाने वाली कागजी औपचारिकताओं और लंबी प्रक्रिया ने उन्हें हैरान कर दिया. तब ललित ने सोचा कि यदि उन जैसा एक इंजीनियरिंग पढ़ा-लिखा व्यक्ति शेयर खरीदने में इतनी दिक्कत महसूस कर सकता है तो आम आदमी के लिए यह कितना मुश्किल होगा. यहीं से उनके दिमाग में निवेश को आसान बनाने का आइडिया आया, जो आगे चलकर Groww के रूप में आकार लिया. ललित ने अपना आइडिया ईशान बंसल, हर्ष जैन और नीरज सिंह से शेयर किया. उनके तीनों दोस्तों को भी यह आइडिया काफी पसंद आया. इसके बाद ललित ने साल 2016 में फ्लिपकार्ट की लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर अपने इन दोस्तों के साथ बंगलुरु में ग्रो की स्थापना की.
ललित का Groww शुरू करने का मकसद था कि निवेश को उतना ही आसान बनाना जितना मोबाइल से फोटो लेना. Groww ने शुरुआत की म्यूचुअल फंड्स से, लेकिन जल्द ही स्टॉक मार्केट, ETFs और IPO तक अपनी पहुंच बढ़ा ली. लाखों युवाओं ने पहली बार निवेश करना Groww के जरिए ही सीखा. आज ग्रो के पास 1.19 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर्स हैं और यह भारत का नंबर-1 ऑनलाइन ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म है. ग्रो में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, सिकोइया कैपिटल और टाइगर ग्लोबल जैसे दिग्गज निवेशक अपना पैसा लगा चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक ललित केशरे की नेटवर्थ 26 हजार करोड़ रुपए है. Groww का IPO निवेशकों के लिए खुल गया है, जिसकी कुल वैल्यू 6632 करोड़ रुपए है. ललित को हाल ही में टाइम मैगजीन की '100 नेक्स्ट 25' लिस्ट में भी शामिल किया गया है. Groww की लिस्टिंग ने बाकी तीन सह-संस्थापकों की संपत्ति भी तेजी से बढ़ा दी है. हर्ष जैन के 41.16 करोड़ शेयरों की कीमत अभी ₹7000 करोड़ है, ईशान बंसल के 27.78 करोड़ शेयरों का मूल्य ₹4,695 करोड़ है, जबकि नीरज सिंह के 38.32 करोड़ शेयरों की कीमत ₹6,476 करोड़ हो गई है.