Aditya Pahwa and his friends (Photo: Instagram)
Aditya Pahwa and his friends (Photo: Instagram) यह कहानी है पंजाब के लुधियाना में रहने वाले 15 साल के आदित्य पाहवा की, जिन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक जेन ज़ी म्यूजिकल बैंड, उड़ान की शुरुआत की है. हालांकि, बैंड बनाना नया नहीं है लेकिन इस बैंड को बनाने के पीछे जो आदित्य का मकसद है वह बहुत खास है. दरअसल, इस बैंड के जरिए आदित्य ऐसे दिव्यांग लोगों की मदद करना चाहते हैं जो प्रोस्थेटिक लिंब (कृत्रिम हाथ-पैर) नहीं लगवा सकते हैं.
आदित्य ने लुधियाना के सराभा नगर में सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 10 की पढ़ाई पूरी की है. उन्होंने अपने दोस्त उद्धव कपूर, अनाहिता जैन, अमाया साहनी, त्रिशिर अग्रवाल और अपने छोटे भाई कृष्णव पाहवा के साथ मिलकर परीक्षाओं के बाद अपने ब्रेक में उड़ान नामक बैंड बनाया. उनका बैंड 5 अप्रैल को लुधियाना के पैरागॉन वाटरफ्रंट में परफॉर्मेंस करने के लिए तैयार है.
कैसे आया आइडिया
आदित्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह एक दिन शाम को अपनी म्यूजिक क्लास के बाद अपने दोस्त के साथ अपनी मां को लेने के लिए गुरुद्वारे गए. यहां उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति बहुत मुश्किल से बांस की छड़ी के सहारे चल रहा था क्योंकि उसका सिर्फ एक पैर था. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें तब शार्क टैंक का एक एपिसोड याद आया जिसमें उन्होंने फ़ूप्रो कंपनी के बारे में देखा था. यह एक ऐसी कंपनी है जो एड्वांस्ड कृत्रिम अंग बनाती है.
ये कृत्रिम अंग चार गुना अधिक टिकाऊ होते हैं और यूजर्स को एक दिन में 10,000 कदम तक चलने की अनुमति देते हैं. इससे लोग रोजगार भी कर सकते हैं. तब आदित्य को आइडिया कि इस तरह के जरूरतमंद लोगों को कृत्रिम अंग दिलाने के लिए वे कैसे फंड कैसे जुटा सकते हैं और तब उड़ान का जन्म हुआ.
13 लोगों को मिलेंगे कृत्रिम अंग
आदित्य एवन साइकिल के एमडी और व्यवसायी ओंकार सिंह पाहवा के पोते हैं. वह फुटबॉल खेलते हैं और उन्हें संगीत से प्यार है. 11 साल की उम्र से ही उन्होंने अपनी मां को डू गुड फाउंडेशन चलाने में मदद कर रहे हैं, जो जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम कर रही है. उड़ान के म्यूजिक प्रोग्राम के हिस्से के रूप में, 25 मार्च को रेड क्रॉस बाल भवन में एक माप शिविर आयोजित किया गया था, जहां 13 लोगों के कृत्रिम अंगों के लिए माप लिया गया था.
अब, उनकी परफॉर्मेंस के दिन एक और कैंप लगेगा, जहां इन लोगों को उनके कृत्रिम अंग मिलेंगे और वे एक नए जीवन की ओर अपना पहला कदम बढ़ाएंगे. इतनी कम उम्र में आदित्य की बदलाव की यह सोच काबिल-ए-तारीफ है. आदित्य अपने लेवल पर कुछ अच्छा करने की कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद है कि वह इसमें सफल रहेंगे.