scorecardresearch

Exclusive: मिलेट्स की खेती ने बदली किस्मत, रागी, बाजरे के प्रोडक्ट्स बनाकर अच्छा कमा रहा है यह किसान

परमजीत सिंह पन्नू लुधियाना जिले के एक प्रगतिशील किसान हैं और Millets Farming कर रहे हैं. परमजीत अपनी फसलों को खुद प्रोसेस करके आटा, कुकीज और अचार जैसे प्रोडक्ट्स भी बनाते हैं.

Paramjit Singh Pannu Paramjit Singh Pannu
हाइलाइट्स
  • स्वास्थ जीवन के लिए शुरू की मिलेट्स की खेती 

  • दूसरे किसानों की कर रहे हैं मदद

भारत के लगातार प्रयासों के कारण UNESCO ने साल 2023 को International Year of the Millets घोषित किया है. आज विदेशों में भी लोग मिलेट्स के प्रति जागरूक हो रहे हैं क्योंकि मिलेट्स आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं. साथ ही, मिलेट्स की खेती करने में बहुत ज्यादा लागत नहीं आती है और इसकी फसल आपको अच्छा मुनाफा दे सकती है. 

आज आलम यह है कि बहुत से किसान मिलेट्स के स्वास्थ्य के लिए फायदों को देखकर रागी, बाजरा, समा, कोदो जैसे मिलेट्स उगाने लगे हैं. हालांकि, कई ऐसे किसान भी हैं जो न सिर्फ मिलेट्स उगा रहे हैं बल्कि मिलेट्स के प्रोडक्ट्स बनाकर सीधा ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं. 

ऐसे ही एक किसान हैं पंजाब में लुधियाना के कटहारी गांव के परमजीत सिंह पन्नू. पिछले 11 सालों से परमजीत मिलेट्स पर काम कर रहे हैं और इनके फायदों के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं. 

परमजीत सिंह

नौकरी छोड़कर शुरू की खेती 
GNT Digital से बात करते हुए परमजीत सिंह ने बताया कि वह किसान परिवार से आते हैं. उनके पिता और दादा पारंपरिक खेती किया करते थे. परमजीत ने अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद मैकेनिकल सेक्टर में नौकरी शुरू की. हालांकि, वह कुछ अलग करना चाहते थे. तीन साल तक नौकरी करने के बाद उन्होंने ठाना कि वह अपने परिवार की शान खेती को ही आगे बढ़ाएंगे. 

परमजीत ने एकदम से खेती शुरू करने से पहले एक एग्रीकल्चर कोर्स किया. जिसमें उन्होंने पारंपरिक फसलों के अलावा और बहुत सी फसलों के बारे में जाना. उन्होंने फ्लोरीकल्चर, हॉर्टीकल्चर को समझा और साथ ही जैविक खेती करने के गुर सीखे. उन्होंने कहा कि सबसे पहले वह अपनी खेती को धीरे-धीरे जैविक की तरफ लेकर आए. 

स्वास्थ जीवन के लिए शुरू की मिलेट्स की खेती 
परमजीत सिंह पन्नू बताते हैं कि उन्होंने बहुत बार लोगों से जाना कि आप खुद को बिना किसी दवाई, सिर्फ सही डाइट से स्वस्थ रख सकते हैं. उनके पिता की तबियत कुछ खराब रहती थी और इसलिए उन्होंने कुछ मिलेट्स उगाना शुरू किया. पहले-पहले उन्होंने सिर्फ परिवार के लिए मिलेट्स की खेती की. लेकिन जब उन्होंने देखा कि मिलेट्स के बहुत से स्वास्थ्य संबंधी फायदे हैं तो उन्होंने कमर्शियल लेवल पर इसे करने की ठानी. 

वह मिलेट्स की खेती पर ट्रेनिंग लेने के लिए हैदराबाद स्थित, ICAR-Indian Institute of Millets Research भी गए. वहां से उन्होंने मिलेट्स की खेती, देखभाल, फायदे और इनकी प्रोसेसिंग के बारे में सीखा. आज वह अपनी ढाई एकड़ जमीन पर पशुपालन के साथ-साथ जैविक तरीकों से मिश्रित खेती कर रहे हैं. वह मिलेट्स के साथ दलहन, सब्जियां और फल भी उगा रहे हैं. 

परमजीत कहते हैं, "मेरे जीवन के दो उद्देश्य हैं. पहला, मिलेट्स की खेती और प्रोसेसिंग के जरिए लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करना ताकि उन्हें दवाओं पर निर्भर न होना पड़े. साथ ही, दूसरा उद्देश्य है कि वह जैविक तरीकों से खेती करते रहें ताकि जमीन, मिट्टी और पानी को दुषित होने से बचाया जा सके."

परमजीत ने Farmative ब्रांड शुरू की

शुरू किया अपना ब्रांड 
परमजीत का मानना है कि किसान को अपनी फसल से खुद का ब्रांड खड़ा करना चाहिए. उन्होंने अपने पन्नू नेचुरल फार्म के अपना खुद का आउटलेट, Farmative स्टोर शुरू किया. इस स्टोर पर वह अपने मिलेट्स से तरह-तरह के प्रोडक्ट्स जैसे मिलेट्स का आटा, दलिया और कुकीज आदि. साथ ही, सीजनल अचार भी वह बनाते हैं. 

उन्होंने अभी खुद की प्रोसेसिंग यूनिट शुरू नहीं की है बल्कि वह दूसरों से यूनिट किराए पर लेकर अपने प्रॉडक्ट्स बनाते हैं. वह देशभर में होने वाले एग्जीहिबिशन, मेलों में भाग लेकर लोगों को मिलेट्स के बारे में बता रहे हैं. उनके प्रोडक्ट्स आज देश के बाहर भी सप्लाई किए जा रहे हैं. परमजीत का कहना है कि उनकी कमाई पारंपरिक फसलों की तुलना में दोगुनी हो गई है. 

दूसरे किसानों की कर रहे हैं मदद
परमजीत सिर्फ खुद आगे नहीं बढ़ रहे हैं बल्कि दूसरों किसानों के लिए भी राह बना रहे हैं. परमजीत ने अपने खेत को मॉडल की तरह तैयार किया है ताकि दूसरे किसान सीख सकें कि कम जमीन में भी आप ज्यादा मुनाफा कमा  सकते हैं. उन्होंने बहुत से किसानों को प्रेरित किया है. 

वह अपने साथी किसानों से उनकी फसलों को परमजीत मार्केट से ज्यादा कीमत पर खरीदते हैं क्योंकि उन्हें किसानों की मेहनत का अंदाजा है. अंत में वह सिर्फ यही संदेश देते हैं कि खेती शुरू करने से पहले हर किसी को ट्रेनिंग लेनी चाहिए. क्योंकि आज के जमाने में पढ़-लिखे किसान ही आगे बढ़ सकते हैं.