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Madhya Pradesh: 120 रुपए का एक लड्डू, चाय-नाश्ते पर लाखों खर्च... अजब एमपी की गजब कहानी

मध्य प्रदेश के डिंडोरी में 10 कट्टे बीड़ी के बंडल के लिए 3700 रुपए का भुगतान किया. इसके अलावा कार्यक्रम के लिए एक लड्डू 120 रुपए में खरीदा गया. उधर, मऊगंज में जलगंगा संवर्धन के 40 मिनट के कार्यक्रम के लिए 40 लाख रुपए खर्च कर दिए गए.

Laddu Scam (Photo/Meta AI) Laddu Scam (Photo/Meta AI)

एमपी अजब है, इसलिए गजब है. मध्य प्रदेश में बीते एक महीने में तीन जिलों शहडोल, डिंडोरी और मऊगंज से ऐसे-ऐसे घोटाले सामने आए हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. सरकारी कागजों की जादूगरी और अफसरों के भ्रष्ट जुगाड़ ने इस बार भी दिखा दिया कि घोटालेबाजी के मामले में एमपी वाकई गजब है.

120 रुपए का एक लड्डू-
'अजब' मध्यप्रदेश के शहडोल में पुताई के फर्जी बिल का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि सूबे के डिंडोरी जिले में एक और 'गजब' घोटाला सामने आया है. भले ही सरकारें देश-विदेश में नशा मुक्ति और धूम्रपान विरोध के लिए अभियान चला रही हूं, लेकिन डिंडोरी में 10 कट्टे बीड़ी के बंडल के लिए 3700 का भुगतान भी हो गया. डिंडोरी के समनापुर जनपद की अंडई ग्राम पंचायत में 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रमों में 10 कट्टे बीड़ी के बंडलों का भुगतान कर दिया गया, वो भी कुल ₹3700 का. इतना ही नहीं, कागजों में 120 रुपए का एक लड्डू भी दिखाया गया, क्योंकि 12 लड्डू के नाम पर ₹1040 का बिल भी बनाया गया. जब सवाल पूछा गया तो पंचायत सचिव ने इसे ग्रामीणों के सम्मान में बीड़ी देने की परंपरा बता दिया. उन्होंने कहा कि यहां ग्रामीण इलाके में सम्मान स्वरूप बीड़ी देने की परंपरा है इसलिए खरीदी गयी थी. हालाँकि प्रेमसिंह मरकाम ने बिलों को लेकर कहा कि उनसे गलती हुई है जो कि होनी नहीं चाहिए थी. वहीं जिला पंचायत के सीईओ अनिल राठौड़ कहते हैं कि उन्हें इस मामले की जानकारी संज्ञान में आयी है. मामले में कठोर कार्रवाई की जाएगी.

चाय-नाश्ते का लाखों का बिल- 
दूसरा मामला मऊगंज का है, जहां जिले में जल संरक्षण को लेकर हुई एक बैठक ने भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान रच दिए. जलगंगा संवर्धन के 40 मिनट के इस कार्यक्रम में ₹10 लाख से ज्यादा खर्च दिखाया गया. हैरान करने वाली बात है कि मंत्रीजी गंगा जल संवर्धन योजना के तहत महज 40 मिनट के लिए शामिल हुए थे. 17 अप्रैल 2025 को जिले के खैरा गांव में जल गंगा संवर्धन अभियान का कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम शामिल हुए. कार्यक्रम महज 40 मिनट चला और जनपद पंचायत मऊगंज ने यहां 10 लाख रुपये खर्च कर दिए. यह राशि एक ही वेंडर प्रदीप इंटरप्राइजेज को दी गई है. किराना, मिठाई, टेंट, लाइट, नाश्ता सब कुछ एक ही दुकान से लिया गया. गद्दे 30 रुपये, चादर 35 रुपये प्रति यूनिट की दर से किराए पर ली गईं और वो भी बल्ब बेचने वाली दुकान से. फिर लाखों के चाय-नाश्ते के बिल कैसे बने? मामला उजागर होने की बाद कलेक्टर संजय कुमार जैन ने जांच के आदेश दिए है. इनका कहना है कि सभी दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी. कलेक्टर संजय जैन ने कहा कि उन्होंने एक समिति का गठन किया है जो इन सभी भुगतानों की जाँच करेगी.

4 लीटर पेंट करने के लिए 168 मजदूर-
ये दोनों मामले तब सामने आये हैं, जब शहडोल में पुताई के फर्जी बिल और सरकारी कार्यक्रम में अफसरों के 13 किलो ड्राईफ्रूट का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा है. शहडोल जिले के ब्यौहारी जनपद के शासकीय हाई स्कूल निपानिया में पुताई के लिए सिर्फ 4 लीटर पेंट इस्तेमाल किया गया, लेकिन कागजों में इसके लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री लगाए गए. यही नहीं, इस काम के लिए ₹1,06,984 का भुगतान भी कर दिया गया था, जिसपर काफी विवाद भी हुआ था. अब मामला सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नीचे से ऊपर तक इस सरकार में जमकर लूट और बंदरबांट हो रही है. कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश नायक ने कहा कि प्रह्लाद पटेल कितने महंगे मंत्री है वो इससे पता चलता है क्योंकि आधे घंटे में 10 लाख का खर्चा करवा दिया, जबकि डिंडोरी में बीड़ी खरीदी जा रही है, जो बताता है कि 25 साल से सरकार में बैठे लोगों का पेट अब भी नहीं भरा है.

सरकारी फाइलों में हर खर्च का हिसाब होता है. लेकिन जब जवाबदेही ही गायब हो जाए, तो घोटालों को घपलों में बदलने में ज़्यादा वक्त नहीं लगता. पुताई से बीड़ी तक का ये सफर ये बताने के लिए काफी है कि भ्रष्टाचार कैसे रंग बदलता है, और हर बार जनता को ही इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. अब देखना ये है कि सरकार सिर्फ जांच करवाएगी या जवाबदेही भी तय करेगी?

(रवीश पाल सिंह के साथ डेविड सूर्या और विजय विश्वकर्मा की रिपोर्ट)

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