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100 साल पुराने थाने में बनाया गया पुलिस म्यूजियम, स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों की सहेजी जाएंगी स्मृतियां

मध्य प्रदेश के बैतूल में 100 साल पुराने पुलिस थाने को पुलिस म्यूजियम में बदल दिया गया है. वहीं यह एमपी का पहला पुलिस म्यूजियम है.

MP first police museum MP first police museum
हाइलाइट्स
  • बैतूल में बना एमपी का पहला पुलिस म्यूजियम

  • पुलिस म्यूजियम में स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों की सहेजी जाएगी स्मृतियां

मध्य प्रदेश के बैतूल में राज्य का पहला पुलिस म्यूजियम हुआ शुरू किया गया है. इस 100 साल पुराने थाने भवन को बनाया संग्रहालय ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृतियों को सहेजा गया है. इसके साथ ही यहां पर शाहिद पुलिस कर्मियों के चित्र,डीजी से लेकर आरक्षक तक वर्दी पहने स्टैच्यू रखें गए है.अंग्रेजों के समय एफआईआर भी रखे गए है. 

बैतूल के रानीपुर में 1913 में पुलिस थाने का भवन बना था . अब नई बिल्डिंग में थाना शिफ्ट कर दिया गया है , और पुराने थाने को म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है. 1895 में शाहपुर थाने की एक चौकी थी. थाने में प्रथम अपराध 1900 में धारा 380 का दर्ज हुआ था. 1900 में रानीपुर थाना पूर्णरूपेण अस्तित्व में आ चुका था. थाने का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1913 में हुआ था. यह थाना जंगल सत्याग्रह का भी साक्षी रहा है. सरदार विष्णु सिंह के नेतृत्व में 300 क्रांतिकारियों ने थाना रानीपुर पर हमला किया था. 2016 तक इसी भवन में थाना संचालित रहा. 

संग्रहालय में रखी ये चीजें 
पुलिस म्यूजियम में डीजी से लेकर आरक्षक तक वर्दी पहने स्टेच्यू रखे गए हैं. इसके अलावा पुलिस विभाग में बजाए जाने वाले वाद्य यंत्र, उपयोग किए जाने वाले हथियार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्र और उनका परिचय सहित हथियार, बर्तन, टेलीफोन, टाईपराईटर, लालटेन, महात्मा गांधी के बैतूल आगमन से संबंधित चित्र, अंग्रेजों के समय की एफआईआर, पुलिस के महत्वपूर्ण दस्तावेज सहित स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े तथ्य और पुलिस विभाग से जुड़े तथ्य रखे गए हैं. साथ ही पुलिस विभाग में शहीद हुए पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों का परिचय सहित चित्र भी म्यूजियम में रखे गये है. 

MP first police museum
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स्वतंत्रता संग्राम बैतूल का बड़ा योगदान
स्वतंत्रता संग्राम में बैतूल का बड़ा योगदान रहा है यही कारण है कि यंहा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की संख्या भी ज्यादा रही. इन्ही में से एक सेनानी है सरदार बिष्णु सिंह जो सुभाषचंद्र बोस द्वारा गठित फारवर्ड ब्लाक के सदस्य रहे. स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरदार विष्णु सिंह गोंड ने भारत छोड़ो आंदोलन में 22 अगस्त 1942 को गांधीवादियों के साथ मिलकर थाना रानीपुर भवन पर कुल्हाड़ी से प्रहार किया था. इसके साथ ही थाने में आग लगा दी थी. प्रहार के निशान आज भी मौजूद हैं. इस आंदोलन के पश्चात सरदार विष्णु सिंह को आजीवन कारावास की सजा हुई थी. म्यूजियम में उनका चित्र लगाकर उनका परिचय भी दिया गया है. साथ ही कुल्हाड़ी भी रखी गई है. उनके अलावा कई और भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्र और उनका परिचय भी रखा गया है. 

MP first police museum
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बैतूल आए थे महात्मा गांधी 
पुलिस म्यूजियम में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी बैतूल आए थे उनके दुर्लभ चित्र और जानकारी के साथ बैतूल जिले की संस्कृति से जुड़ी जानकारी भी रखी गई है .इस म्यूजियम के बनने से लोगों को बैतूल के इतिहास के साथ-साथ पुलिस की कार्यप्रणाली उनकी कार्यवाही और उनके द्वारा कि उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले हथियार की जानकारी मिलेगी .इसके साथ ही 100 साल पुराना इतिहास भी जानने को मिलेगा जिसमें जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों से कैसे लड़ाई की थी. 

mahatma gandhi in betul
mahatma gandhi in betul

एसपी बैतूल सिमाला प्रसाद का कहना है कि रानीपुर थाना का पुराना इतिहास है. जब थाने की नई बिल्डिंग बन गई तो इस नए भवन को लेकर सुझाव दिए गए थे कि इसके इतिहास को सजोकर रखना चाहिए. यहां के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढक़र हिस्सा लिया था. इसी को लेकर म्यूजियम बनाया गया और इस म्यूजियम में स्वतंत्रता संग्राम के समय जो हथियार उपयोग किए गए थे वह भी रखे गए हैं. यहां के सांसद दुर्गादास उइके का कहना है कि गौरव की बात है कि बैतूल में प्रदेश का पहला संग्रहालय बना है. जिसमें शहीदों की स्मृतियां सहेजी जाएंगी और उन्हें संरक्षित किया जाएगा. रानीपुर क्षेत्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कर्मभूमि रही है. इसलिए इसका महत्व ज्यादा है.

MP first police museum
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इतिहासकार कमलेश सिंह का कहना है कि संग्रहालय के उद्घाटन के बाद 100 वर्ष पुराना इतिहास जीवित हो गया. पुलिस के प्रयास ने इतिहास को पुर्नजीवित करने का प्रयास किया है. रानीपुर थाना स्वतंत्रता संग्राम के दौरान घटी विभिन्न घटनाओं से जुड़ा है इसलिए इसका विशेष महत्व है और अब आने वाली पीढिय़ों को जिले के इतिहास की बहुत सारी जानकारी मिल सकेंगी.
(बैतूल से राजेश भाटिया की रिपोर्ट)