
पुलिस का नाम आते ही अक्सर हमारे ज़हन में एक सख़्त, गुस्सैल और रौबदार छवि उभरती है. ऐसा पुलिसकर्मी जो नियमों की लाठी से डर पैदा करता है. लेकिन मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के विजयपुर में तैनात यातायात प्रभारी भगवत प्रसाद पांडे ने इस पुरानी छवि को पूरी तरह से बदल डाला है.
वह न सिर्फ ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए लोगों को संवेदनशीलता और सहजता से जागरूक करते हैं, बल्कि सोशल मीडिया पर अपने अनोखे और मनोरंजक अंदाज़ के चलते आज लाखों लोगों के लिए एक स्टार कॉप बन चुके हैं.
कोविड से शुरू हुआ ‘डिजिटल पुलिसिंग’ का सफर
GNTTV.Com को दिए इंटरव्यू में भगवत प्रसाद पांडे बताते हैं कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर जनजागरूकता फैलाने की शुरुआत की थी. उस समय कुछ गिने-चुने पुलिस अफसर ही डिजिटल माध्यमों के जरिए जनता से संवाद कर रहे थे.
लेकिन पांडे ने इसे एक रचनात्मक प्रयोग बना दिया. वीडियो, कविता, शायरी और फिल्मी अंदाज़ में लोगों को ट्रैफिक नियमों की अहमियत समझाने लगे. आश्चर्य की बात ये रही कि इस प्रयोग में उन्हें कभी भी अधिकारियों की रोक-टोक नहीं मिली, बल्कि उन्हें हमेशा प्रोत्साहन ही मिला.
बादाम से हेलमेट तक- अनोखा अंदाज़, सीधा असर
उनके कई वीडियो वायरल हुए, लेकिन एक वीडियो में वे बिना हेलमेट चलाने वालों को ‘बादाम’ खिलाकर समझा रहे थे. यह वीडियो सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. इस अंदाज़ में कड़ाई नहीं, बल्कि करुणा और व्यंग्य का इस्तेमाल करके उन्होंने लोगों के दिलों को छू लिया.
उनका मानना है कि "समझाने का तरीका सरल, सजीव और मनोरंजक हो तो लोग जल्दी सीखते हैं." यही कारण है कि वे पहले प्यार से समझाते हैं, फिर अगर ज़रूरी हो तो चालान भी करते हैं, लेकिन संवेदनशीलता के साथ.
समाज और पुलिस- दोनों को चाहिए आपसी समझ
भगवत प्रसाद का स्पष्ट मानना है कि पुलिस के काम को समाज से समर्थन और सराहना मिलनी चाहिए. जब जनता अच्छे पुलिसकर्मियों की हौसला अफ़ज़ाई करेगी, तभी युवा पुलिसकर्मी भी आगे बढ़कर समाज के लिए बेहतर कार्य कर सकेंगे.
उनका यह भी कहना है कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ट्रैफिक नियमों के प्रति सजगता कम होती है, इसलिए उन्हें वहां विशेष मेहनत करनी पड़ती है. वह हर बार नियम तोड़ने वालों को सिर्फ चालान नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें प्रेरित करते हैं कि वे खुद भी नियमों के दूत बनें.
ई-रिक्शा वाला और शायराना चेतावनी
हाल ही में, उन्होंने एक ई-रिक्शा चालक को अपने फिल्मी अंदाज और शायराना चेतावनी से समझाया. इसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ. पांडे बताते हैं कि ऐसे संवाद स्पॉन्टेनियस (तत्कालिक) होते हैं, कोई स्क्रिप्ट नहीं होती. उनका उद्देश्य एक ही होता है- "लोगों को नियमों का मतलब समझ में आए, न कि सिर्फ सजा मिले."
संवेदनशील पुलिसिंग का नया चेहरा
भगवत प्रसाद पांडे का मानना है कि गरीब और साधारण लोग अक्सर चालान भरने की स्थिति में नहीं होते. ऐसे में सिर्फ जुर्माना लगाना पर्याप्त नहीं, बल्कि जरूरी है संवेदना और समझदारी से काम लेना. उनका लक्ष्य सिर्फ कार्रवाई नहीं, व्यवहार में बदलाव है.
उन्होंने बताया कि नशा अपराधों की जड़ है और इस पर चल रहे अभियान में भी वह खुद शायरी और कविता के माध्यम से लोगों को जोड़ रहे हैं.