
महानदी, छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के सिहावा की पहाड़ियों से एक छोटी धारा के रूप में निकलती है. सदियों से यह नदी इस क्षेत्र की जीवनरेखा रही है. इसने खेतों को सींचा, गांवों को बसाया और अनगिनत लोगों की रोज़ी-रोटी का सहारा बनी. लेकिन समय के साथ अतिक्रमण, गाद, गंदे नाले, कचरा और अव्यवस्थित बहाव ने महानदी को बुरी तरह प्रभावित किया. कभी जीवन देने वाली यह नदी धीरे-धीरे सिकुड़ने लगी और अपनी स्वच्छता खो बैठी.
महानदी जागरण अभियान की शुरुआत
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, धमतरी प्रशासन ने इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया. महानदी जागरण अभियान (MAA) की शुरुआत धमतरी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने की. यह अभियान जल शक्ति अभियान और राज्य की “मोर गांव, मोर पानी” योजना से प्रेरित है. इसका उद्देश्य केवल उद्गम स्थल ही नहीं, बल्कि महानदी के 12 किलोमीटर के शुरुआती हिस्से को पुनर्जीवित करना है.
55 दिनों में दिखा बदलाव
अभियान का पहला चरण 2 मई से शुरू हुआ था, जिसमें आठ ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया. कर्नाटक की मेगा फाउंडेशन के तकनीकी सहयोग से सर्वे और कार्ययोजना तैयार की गई.
55 दिनों में किए गए प्रमुख कार्य:
धमतरी कलेक्टर मिश्रा ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "कई सालों से नदी की हालत खराब थी. अब इसका प्रवाह फिर से सक्रिय हो चुका है और साफ दिखाई देने लगा है."
जनभागीदारी बनी सफलता की कुंजी
अभियान की सबसे बड़ी ताकत रही जनभागीदारी. ग्रामीणों ने प्रशासन के साथ मिलकर श्रमदान किया. सिहावा की सरपंच उषा किरण नाग का कहना है कि इस अभियान ने हमें हमारी प्राकृतिक धरोहर के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराया. अब हम महानदी से ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं.
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास
महानदी जागरण अभियान केवल नदी की सफाई तक सीमित नहीं है. इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास है.
यह अभियान भूजल रिचार्ज, फसल विविधीकरण और मृदा स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.
दूसरे चरण में पर्यटन और रोज़गार पर फोकस
पहले चरण की सफलता के बाद दूसरा चरण शुरू हो चुका है. इसमें इको-टूरिज्म सर्किट विकसित किए जा रहे हैं. मानसून में बड़े स्तर पर पौधारोपण अभियान चलाया गया. नदी किनारे किसानों को सतत कृषि अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. वनों के संरक्षण के लिए समुदाय आधारित प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है.
महानदी का जल क्षेत्र छत्तीसगढ़ और ओडिशा दोनों के लिए अहम है. महानदी का छत्तीसगढ़ में कुल जलग्रहण क्षेत्र 86% है. जल निकासी क्षेत्र की बात करें तो 53.90% छत्तीसगढ़ में और 45.73% ओडिशा में है. छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद को देखते हुए स्रोत पर संरक्षण और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है.
मॉडल बन सकता है धमतरी का प्रयास
महानदी जागरण अभियान अब स्रोत स्तर पर नदी संरक्षण का एक मॉडल प्रोजेक्ट बन गया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रयास देश के अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है. जैसे-जैसे महानदी फिर से साफ और स्वच्छ बहने लगी है, धमतरी के लोगों में गर्व और उम्मीद की नई लहर है.
---------------End--------------