
Biplab Mahapatra creating awareness among students
Biplab Mahapatra creating awareness among students ओडिशा में अंगुल के रहने वाले बिप्लब महापात्रा एक मशहूर पशु अधिकार कार्यकर्ता और वन्यजीव संरक्षणवादी हैं. वह रेंजर्स (पहले पीपल फॉर एनिमल्स, अंगुल) के अध्यक्ष हैं. बिप्लब ने अपना करियर एक पत्रकार के रूप में शुरू किया था. लेकिन बचपन से ही उनके मन में वन्य जीव-जंतुओं के प्रति इतनी संवेदना थी कि उन्होंने खुद ही वन्यजीव संरक्षण का काम शुरू कर दिया था. अपनी जॉब के बाद उन्हें जो समय मिलता था, उसमें वह पीएफए, अंगुल में बेसहारा कुत्तों और जानवरों के इलाज और उन्हें खाना खिलाने के लिए स्वेच्छा से काम करने लगे.
साथ ही, बिप्लब वन्यजीवों के बचाव और पुनर्वास में सक्रिय रूप से शामिल होने लगे. देखते ही देखते वह अंगुल में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए फेमस हो गए और संस्थान ने उन्हें अध्यक्ष का पद सौंप दिया. अब पिछले एक दशक से वह लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं और अब तक लगभग 30 हजार जीव-जंतुओं का रेस्क्यू कर चुके हैं. अपने इस सफर के बारे में बिप्लब महापात्रा ने GNT Digital से बात करते हुए अपने वर्तमान अभियानों के बारे में बताया.
स्कूलों के साथ मिलकर काम
बिप्लब ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सांप काटने की समस्या आम है और लोग अफरा-तफरी में सांप को मार देते हैं. ऐसे में उन्होंने प्रोफेशनली काम करते हुए स्कूलों में जा-जाकर बच्चों को सांप के काटने पर फर्स्ट एड देने के बारे में जागरूक किया और साथ ही, उन्हें समझाया कि सांपों को मारना समस्या का हल नहीं है बल्कि उन्हें रेस्क्यू करके वापस जंगलों में छोड़ना चाहिए.

उन्होंने एक्सपर्ट्स् के साथ लोगों के लिए रेगुलर वर्कशॉप्स आयोजित करके उन्हें ट्रेनिंग दी है. उनके कार्यक्रम सांप संरक्षण और मानव-सांप संघर्ष को कम करने की रणनीतियों के बारे में जागरूकता फैलाने पर केंद्रित होते हैं. उन्होंने यह पायलट प्रोजेक्ट साल 2013 में शुरू किया था और इन प्रोग्राम्स के जरिए उन्हें बहुत से रेस्क्यू मिशनों में मदद मिली है.
बिप्लब का कहना है कि इस तरह के अभियानों से उनका उद्देश्य बच्चों के मन में बचपन से ही वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता का भाव जगाना है ताकि जब भी किसी वन्यजीव से उनका सामना हो तो उनका भाव जीव की जान लेना नहीं बल्कि उसका रेस्क्यू करना हो. साथ ही, किसी तरह के हमले की स्थिति में जैसे सांप के काटने पर उन्हें पता हो कि फर्स्ट एड देकर किसी की जान कैसे बचानी है.
किए हैं लगभग 30 हजार रेस्क्यू
बिप्लब ने बताया कि वह पिछले दस सालों (2013-2023) में पूरे ओडिशा में 850 से ज्यादा स्कूलों के साथ काम कर चुके हैं. शुरुआत में, उन्होंने अंगुल और ढेंकनाल को कवर करने वाले क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया, लेकिन उन्हें छात्रों से बड़े पैमाने पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जिससे उन्हें पूरे ओडिशा में ऐसे शिविरों की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि ऐसी कई घटनाएं हैं जिन्होंने साबित किया है कि जागरूकता कैंप कितने पावरफुल हो सकते हैं.
इस तरह के अभियान से उन्हें रेस्क्यू कॉल आना शुरू हो गए, या मेडिकल इमरजेंसी के दौरान यह जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई है. उन्हें पिछले 10-12 सालों में लगभग 29,777 रेस्क्यू कॉल मिले हैं जिनमें से 29,707 का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया. इसे देखते हुए वह वन्यजीव संरक्षण, बचाव कार्यों और स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाने में उनके प्रयासों को और मजबूत करना चाहते हैं.

इन लक्ष्यों पर करना है काम
बिप्लब ने बताया कि उनके संगठन का लक्ष्य घायल जानवरों के पुनर्वास के लिए ज्यादा बचाव केंद्र स्थापित करना है. वे सख्त अवैध शिकार विरोधी उपायों को लागू करने और वन्यजीव अपराधों के खिलाफ कानून प्रवर्तन में सुधार के लिए सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करने की भी योजना बना रहे हैं. इसके अलावा, वे युवा पीढ़ी को वन्यजीव संरक्षण के बारे में शिक्षित करने, प्राकृतिक आवासों की रक्षा के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में शैक्षिक कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करते रहेंगे.
बिप्लब अंगुल ओडिशा में पीपल फॉर एनिमल्स के नेतृत्व में मिशन 1000 स्कूल अभियान पर काम कर रहे हैं. इस पहल के तहत, छात्रों को महत्वपूर्ण स्नेकबाइट फर्स्ट एड ट्रेनिंग दी जा रही है. सांप के काटने से होने वाली मौतों को रोकने के उद्देश्य से, यह अभियान युवाओं को लाइफ-सेविंग स्किल्स सिखा रहा है. इसके अलावा, उनका लक्ष्य समान उद्देश्यों के लिए काम करने वाले अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ साझेदारी बढ़ाना है. इन व्यापक रणनीतियों के माध्यम से, रेंजर्स बड़े पैमाने पर ओडिशा में वन्यजीवों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुरक्षित करना चाहता है.