Arshia Goswami with her father
Arshia Goswami with her father वेटलिफ्टिंग सिर्फ लड़कों के लिए है. ज्यादा वजन मत उठाओ मर्दाना दिखने लगोगी. शादी के बाद लिफ्टिंग का यह सारा क्रेज दूर हो जाएगा." तुम्हें कार्डियो और लो-इंटेंसिटी ट्रेनिंग पर अधिक ध्यान देना चाहिए." ये सभी बातें इस बच्ची के आगे थोड़ी छोटी सी पड़ जाती हैं, जैसा कारनाम इस 8 साल की छोटी सी बच्ची ने किया है. अर्शिया को Youngest Weightlifter की खिताब मिल चुका है. उन्होंने ये कमाल कर प्रूफ कर दिया है कि अगर दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो इंसान बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी आसानी से पार कर लेता है.
अर्शिया की कहानी आम लोगों से थोड़ी अलग है. वह अपनी ऐज ग्रुप की सबसे कम उम्र की वेटलिफ्टर हैं. एक बच्चा जो सिर्फ आठ साल का है, पेशेवर बड़े पॉवरलिफ्टर जितना भारी वजन उठाता है. अर्शिया का कुल वजन 26 किलोग्राम है और किसी ट्रेन्ड इंसान की तरह 57 किलोग्राम तक डेडलिफ्ट कर सकती हैं. उनकी कुछ इंस्टाग्राम रील्स जिसमें वो 25 Kg का बेंचप्रेस और 46 kg का स्क्वाट कर रही हैं को दर्शकों की खूब प्यार मिल रहा है.
खुद पिता बने कोच
अर्शिया के पिता अवनीश कुमार गोस्वामी से जब हमने पूछा कि अर्शिया को ये शौक कैसे जगा तो उन्होंने हमें बताया कि अर्शिया को उन्हें देखकर इसमें रुचि जगी. अर्शी के पिता का पंचकूला में एक जिम है और वो सर्टिफाइड जिम ट्रेनर हैं. अवनीश ने बताया, ''अर्शिया की दिलचस्पी खुद-ब-खुद बढ़ने लगी. घर के चारों ओर डम्बल पड़े रहते थे और वह उनसे प्रैक्टिस करने लगी. कोरोना के टाइम पर अर्शिया की मां और मैं साथ में एक्सरसाइज करते थे जिसे देखकर अर्शिया का इंटरेस्ट जगा और वो अपनी मां से कंपटीशन करने लगी. उसकी रुचि को देखते हुए, जब अर्शिया पांच साल की हुई, तब हमने उसे वेट ट्रेनिंग देना शुरू किया, हमें देखकर आश्चर्य हुआ कि उस समय अर्शिया के पोस्चर परफेक्शन के करीब थे. कुछ महीने बाद हमने उसे वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया. कुछ ही समय में, अर्शिया सबसे कम उम्र की डेडलिफ्टर होने के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हो गईं.''
स्क्वाट और डेडलिफ्ट में अर्शिया स्टेट-लेवल की गोल्ड मेडल होल्डर हैं और रोरी वैन के बाद दुनिया भर में दूसरी रैंक धारक हैं.अर्शिया के पिता ने बताया कि जब अर्शिया का वजन 22 किलोग्राम था और वो 6 साल, 11 महीने और 27 दिन की थीं तब वो एक प्रो की तरह 45 किलोग्राम डेडलिफ्ट करने में सक्षम थी. इसकी पुष्टि 28 दिसंबर, 2021 को की गई थी. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है.
डाइट का भी रखती हैं ध्यान
अवनीश अर्शिया की डाइट का भी पूरा ध्यान रखते हैं. अर्शिया अच्छी प्रोटीन डाइट और घर का खाना ही खाती हैं और आम बच्चों की तरह चॉकलेट और जंक फूड उसे पसंद नहीं है. स्ड्यूल के बारे में जब हमने उनके पिता से सवाल किया कि क्या वह कभी व्यस्त स्ड्यूल होने की शिकायत करती है? इस पर उन्होंने कहा, "नहीं, वास्तव में, ऐसे दिन होते हैं जब मैं काफी बिजी होता हूं और उसे छुट्टी लेने के लिए कहता हूं, लेकिन वह मना कर देती है." अर्शिया मीराबाई चानू को अपना आदर्श मानती हैं और उन्हीं के जैसा बनना चाहती हैं.
अन्य बच्चों के लिए प्रेरणा
अर्शिया हर दिन चार घंटे से ज्यादा ट्रेनिंग करती हैं और क्लीन एंड जर्क में आसानी से 20 किलो वजन उठा लेती हैं. वह 12 किग्रा स्नैच और 35 किग्रा स्क्वाट भी कर सकती हैं. खेलों में अर्शिया की दिलचस्पी के पीछे प्रमुख कारक उनके माता-पिता हैं. स्कूल से भी अर्शिया को काफी सपोर्ट मिलता है और वो उनके लिए स्पेशल क्लास अरेंज करते हैं. अर्शिया सुबह ट्रेनिंग के बाद 11 बजे स्कूल जाती है और वहां उनकी दो घंटे की क्लास होती है. इसके बाद घर वापस आने के बाद शाम को वो ट्यूशन जाती हैं और फिर शाम की ट्रेनिंग के लिए अपने पापा को जिम में ज्वाइन करती हैं. अर्शिया उन सभी बच्चों के लिए प्रेरणा है जो छोटी सी उम्र में कुछ बड़ा करने की चाहत रखते हैं. इससे यंग बच्चों को स्पोर्ट्स में शामिल होने का प्रोत्साहन भी मिलेगा. अर्शिया की सफलता उस भ्रम को भी तोड़ती है जिसमें कहा जाता है कि अगर बच्चे कम उम्र में वजन उठाते हैं तो उनका बढ़ना बंद हो जाएगा.