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Monkey Man Lokendra Singh: बंदरों की भाषा समझता है ये शिक्षक... करता है दिमागी परीक्षण, मोबाइल भी दिखाता है

आगर मालवा का यह ‘मंकी मैन’ न सिर्फ बंदरों का दोस्त है, बल्कि एक ऐसा शिक्षक भी है, जो अपनी मेहनत और लगन से समाज को नई राह दिखा रहा है. उनका यह मिशन सिर्फ बंदरों तक सीमित नहीं है. वे पक्षियों और अन्य जंगली जानवरों के लिए भी काम करना चाहते हैं.

बंदरों की भाषा समझने वाला शिक्षक बंदरों की भाषा समझने वाला शिक्षक
हाइलाइट्स
  • बंदरों की भाषा समझता है शिक्षक

  • करता है दिमागी परीक्षण

क्या आप बंदरों से डरते हैं? शहरों में बंदरों का झुंड देखकर लोग भाग खड़े होते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के आगर मालवा में एक ऐसा शख्स है, जो बंदरों का सबसे अच्छा दोस्त है! लोकेंद्र सिंह, एक स्कूल शिक्षक हैं, जो न सिर्फ बंदरों के साथ खेलते हैं, बल्कि उनकी भाषा भी समझते हैं. इतना ही नहीं उनके मस्तिष्क का परीक्षण करते हैं और उन्हें मोबाइल तक दिखाते हैं. इतना ही नहीं, ये बंदर उनकी गोद में बैठते हैं, कंधों पर चढ़ते हैं, और उनके इशारों पर नाचते हैं. राज्यपाल द्वारा सम्मानित इस शिक्षक की कहानी इतनी अनोखी है कि इसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे. 

लोकेंद्र सिंह की अनोखी दुनिया
आगर मालवा के छोटे से शहर में लोकेंद्र सिंह की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं. 40 साल से ज्यादा समय से वे बंदरों के साथ समय बिता रहे हैं. जंगली बंदर, जो आमतौर पर इंसानों से दूरी बनाते हैं, लोकेंद्र के पास एक इशारे पर दौड़े चले आते हैं. कभी वे उनकी गोद में बैठकर मस्ती करते हैं, तो कभी उनके कंधे पर चढ़कर किताबें देखने की जिद करते हैं. सबसे हैरानी की बात? ये बंदर लोकेंद्र के मोबाइल को भी उत्सुकता से देखते हैं!

लोकेंद्र बताते हैं, “मैं बचपन से ही प्रकृति और जानवरों से प्यार करता था, खासकर बंदरों और पक्षियों से. जब भी समय मिलता, मैं जंगलों में चला जाता और बंदरों के साथ दोस्ती करने में जुट जाता.” उनकी यह दोस्ती इतनी गहरी है कि बंदर उनके साथ ऐसे व्यवहार करते हैं, जैसे वे जन्मों-जन्मों के साथी हों.

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बंदरों की भाषा का मास्टर
लोकेंद्र सिंह सिर्फ बंदरों के साथ मस्ती नहीं करते, बल्कि उनके दिमाग की ताकत को भी परखते हैं. उन्होंने बंदरों की बुद्धिमत्ता, धैर्य, और व्यवहार को समझने में सालों बिताए हैं. हमारे सामने उन्होंने एक रोचक प्रयोग किया. तीन कटोरियों में से एक के नीचे खाने का सामान छिपाकर उन्होंने बंदरों को उसे ढूंढने की चुनौती दी. कटोरियों को घुमाने के बाद भी बंदरों ने बिना हार माने सही कटोरी ढूंढ निकाली. यह देखकर हर कोई हैरान था!

लोकेंद्र कहते हैं, “बंदर बहुत समझदार होते हैं. उनकी हर हरकत, हर आवाज का मतलब होता है. मैंने उनकी भाषा और हाव-भाव को समझने में समय लगाया, और अब मैं जान जाता हूं कि वे क्या चाहते हैं.” वे बंदरों को खाना खिलाते हैं, उनके साथ खेलते हैं, और उनकी बुद्धिमत्ता की जांच करते हैं. हैरानी की बात यह है कि ये जंगली बंदर लोकेंद्र के इशारों पर तुरंत रिएक्ट करते हैं.

राज्यपाल का सम्मान और बंदरों के साथ खुशी
लोकेंद्र सिंह को 2018 में राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो उनके उत्कृष्ट शिक्षण कार्य के लिए मिला. लेकिन उनकी असली खुशी कहीं और है. पुरस्कार मिलने के बाद वे सीधे अपने बंदर दोस्तों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी ट्रॉफी दिखाई. वे मुस्कुराते हुए कहते हैं, “मुझे अपनी खुशियां इन बेजुबान दोस्तों के साथ बांटना अच्छा लगता है.”

लोकेंद्र को आगर मालवा के बंदरों के बारे में गहरी जानकारी है. वे बताते हैं कि शहर में बंदरों के 7 अलग-अलग झुंड हैं, और हर झुंड का अपना इलाका है. वे समय-समय पर अलग-अलग झुंडों के साथ समय बिताते हैं, ताकि उनकी दोस्ती बनी रहे.

बंदरों को प्यार और लालच का मिश्रण
लोकेंद्र का मानना है कि बंदरों को इंसानों से डरने से रोकने के लिए प्यार और थोड़ा लालच दोनों जरूरी हैं. वे कहते हैं, “अगर आप उन्हें प्यार से खाना देंगे, तो वे जल्दी आपके करीब आ जाएंगे.” उनकी यह तकनीक इतनी कारगर है कि जंगली बंदर भी उनके साथ सहज हो जाते हैं.

क्षेत्र के प्रसिद्ध बैजनाथ मंदिर के पुजारी मुकेश पुरी भी लोकेंद्र की इस कला के कायल हैं. वे बताते हैं, “पिछले 5 सालों में मैंने लोकेंद्र को कई बार मंदिर में बंदरों के साथ देखा. पहले मुझे डर लगता था, लेकिन अब मैं भी बंदरों से प्यार करने लगा हूं.”

लोकेंद्र का मिशन
लोकेंद्र सिंह का मानना है कि बंदरों को समझने और उनके संरक्षण की सख्त जरूरत है. वे कहते हैं, “इंसान जंगलों पर कब्जा करता जा रहा है, जिससे जानवरों का अस्तित्व खतरे में है. हमें बंदरों को प्यार और सम्मान देना होगा, ताकि वे हमारे साथ सहज रह सकें.”

उनका यह मिशन सिर्फ बंदरों तक सीमित नहीं है. वे पक्षियों और अन्य जंगली जानवरों के लिए भी काम करना चाहते हैं. 

लोकेंद्र सिंह की कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो जानवरों को सिर्फ खतरा समझता है. वे कहते हैं, “बंदर डरावने नहीं, बल्कि समझदार और प्यारे हैं. बस हमें उनकी भाषा समझने की जरूरत है.”

आगर मालवा का यह ‘मंकी मैन’ न सिर्फ बंदरों का दोस्त है, बल्कि एक ऐसा शिक्षक भी है, जो अपनी मेहनत और लगन से समाज को नई राह दिखा रहा है. 

(प्रमोद कारपेंटर की रिपोर्ट)