
दिल्ली के मशहूर रेस्तरां, 'Dear Donna' हेड शेफ के रूप में काम कर रही लिलिमा खान की इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी जानकर आपकी आंखों में पानी आ जाएगा और दिल गर्व से भर जाएगा. जी हां, कुछ ऐसी ही कहानी है लिलिमा की जो देश की हर बेटी के लिए प्रेरणा है. छोटी सी उम्र में अनाथ होना, स्लम में रहना, कचरा बीनना और न जाने क्या-क्या... लिलिमा ने सब कुछ सहा लेकिन एक सुनहरी जिंदगी की चाह और उनकी मेहनत ने आज उन्हें यहां तक पहुंचा दिया.
छोटी उम्र में माता-पिता
लिलीमा का जन्म दिल्ली के तैमूर नगर में एक साधारण परिवार में हुआ था. उन्होंने बचपन में अपने पिता को मोहल्ले के आयोजनों में खाना बनाता देखा था. शायद वहीं से उनके मन में भी शेफ बनने का ख्याल आया. लेकिन वह बहुत छोटी थीं जब उनके पिता का निधन हो गया. पिता के जाने के छह महीने बाद, उनकी मां भी दुनिया छोड़ गईं. बाकी रह गईं तो लिलिमा और उनके तीन भाई-बहन.
लिलिमा ने एक इंटरव्यू में हॉटरफ्लाई को बताया कि उनकी बड़ी बहन की शादी कर दी गई लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही उन्होंने आत्महत्या कर ली. उनका बड़ा भाई दर्द सहन न कर सका और ड्रग्स की ओर मुड़ गया. आलम यह हुआ कि बड़े भाई ने उनका घर पड़ोसी को मात्र 10,000 रुपये में बेच दिया. बाद में वह चोरी के आरोप में जेल भी गया. अब रह गए थे तो लिलिमा और उनके छोटे भाई. दोनों भाई-बहन एक स्लम में रहने लगे, जहां से उनकी मौसी उनके छोटे भाई को अपने साथ ले गईं. लेकिन लिलीमा अकेली रह गईं.
कचरा बीनकर मिलता था खाना
एक पड़ोसी ने लिलीमा को आश्रय दिया, लेकिन शर्त ये थी कि वह रोज़ कूड़ा बीनकर बेचेंगी और उसके बदले खाना मिलेगा. हालात और भी खराब हो गए जब उनपर लोगों ने गलत नज़रें डालनी शुरू कीं. लिलीमा वहां से भाग गईं और खाना मांगने लगीं. बहुत बार तो कूड़ेदान से खाना निकालकर अपनी भूख मिटाई. पर कहते हैं न कि हर अंधेरे के बाद सुबह होती है.
लिलिमा की जिंदगी में वह सुबह तब आई जब वह 14 साल की थीं. तब एक प्रमोद नाम के आदमी ने उनसे पूछा कि क्या वह पढ़ना चाहती हैं. उस नेकदिल इंसान ने लिलिमा को उडयन केयर नामक अनाथालय में भेजने में मदद की, जहां उन्हें पहली बार पढ़ाई करने का मौका मिला. बीच में, उनकी एक रिश्तेदार उन्हें अपने घर ले गईं. लेकिन उन्होंने भी लिलिमा पर अत्याचार ही किया.
अपने हाथ में ली अपनी जिंदगी की बागडोर
हॉटरफ्लाई की रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल बाद लिलिमा का बड़ा भाई वापस आया और लिलिमा को तैमूर नगर वापस आने को कहा. लेकिन लिलिमा ने मना कर दिया और इसके बजाय, एक सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से वह कश्मीरी गेट के किलकारी रेनबो होम पहुंच गई. यह लड़कियों के लिए एक आश्रय स्थल है.
लिलीमा को पहली नौकरी ट्रेस नामक जॉरबाग में एक फाइन डाइनिंग रेस्तरां में मिली. वह शुरुआत में स्टाफ के लिए खाना बनाती थीं, लेकिन वह और कुछ करना चाहती थीं. इसलिए, उन्होंने हेड शेफ से खाना बनाने और पाक कला के बारे में ज्यादा सीखने के लिए कहा. समय के साथ, लिलीमा ट्रेस के पैंट्री सेक्शन की जिम्मेदारी संभालने लगीं.
ट्रेस के बंद होने के बाद, उन्होंने दिल्ली के दूसरे टॉप रेस्तरां में काम करती रहीं. 2019 में, उन्होंने डियर डोना में शेफ डी पार्टी के रूप में शामिल हुईं. एक साल बाद, वह सूस शेफ बन गईं, और 35 लोगों की टीम को लीड करने लगीं. कड़ी मेहनत, फोकस, और समर्पण के साथ, लिलिमा ने अपने अतीत को अपनी पहचान नहीं बनने दिया. आज, वह हर किसी के लिए एक रोल मॉडल हैं.