Nazim Shaikh
Nazim Shaikh सपनों के शहर मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया बहुत फेमस है. जो मुंबई जाता है एक बार यहां जरूर जाता है. लेकिन आज हम बता रहा हैं इस जगह के एक नायाब इंसान के बारे में. इस शख्स ने साबित किया है कि हीरो सिर्फ फिल्मों में नहीं होते हैं बल्कि असल जिदंगी में भी होते हैं. यह कहानी है नाज़िम शेख की.
नाज़िम मुंबई की सड़कों पर वड़ा पाव बेचकर अपने परिवार का पेट पालते है, लेकिन उनका असली जुनून उनकी वडा पाव स्टॉल से कहीं आगे है. वह जरूरत पड़ने पर समुद्र में डूब रहे लोगों को बचाते हैं. वह पिछले 30 सालों से लाइफगार्ड के तौर पर काम कर रहे हैं.
बचपन से ही पानी से लगाव
नाज़िम का पानी से रिश्ता बचपन से ही गहरा था. जब वह सिर्फ 14 साल के थे, तब तक वह एक माहिर तैराक बन चुके थे. उनके अंदर का डर खत्म हो चुका था और पानी में तैरना उनका शौक बन गया था. आगे चलकर यही लगाव उन्हें लाइफगार्ड (जलरक्षक) बनने की ओर ले गया. जब पहली बार उन्होंने लाइफगार्ड का काम किया तो उन्हें लगा जैसे खुदा ने उन्हें इसी काम के लिए बनाया है.
बचा चुके हैं 300 से ज्यादा जिंदगी
निज़ाम मुंबई में वड़ा पाव बेचते हैं, जिससे अपने बच्चों का पालन-पोषण कर सकें. लेकिन असली पहचान समंदर के किनारे की सेवा है, जहां वह मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करते हैं, उन्हें डूबने से बचाते हैं. अब तक वह 300 से ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं.
एक तरफ़ जीवन-यापन, तो दूसरी तरफ़ जीवन-रक्षक की भूमिका, नाज़िम ने इन दो दुनियाओं के बीच एक बेहतरीन संतुलन बना लिया है. नाज़िम को लाइफगार्ड के काम के लिए कोई पैसा नहीं मिलता, लेकिन लोगों की दुआएं उन्हें अमीर बना देती हैं.वह इस काम से एक पैसा नहीं कमाते, लेकिन जब कोई आकर कहता है- ‘नाज़िम भाई, आपने आज मुझे दूसरी ज़िंदगी दी है’, तो सब कुछ सार्थक लगने लगता है.