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10 लाख पौधे लगा रही हैं यह सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर, Moringa Girl के नाम से हुई पॉपुलर

ऐन का यह सफर कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुआ. तब लोग अपने घरों में बंद थे और सभी के लिए सेहत सबसे बड़ी चिंता थी. उसी समय, ऐन ने "नेचर, पेट्स गार्जियन नागालैंड" नाम से एक समूह की शुरुआत की.

Aien Amri planting Moringa plants (Photo: Instagram) Aien Amri planting Moringa plants (Photo: Instagram)

यह कहानी है उत्तर-पूर्व भारत की, जहां लोग प्रकृति और पर्यावरण के बहुत ज्यादा करीब हैं. यहां आपको बहुत से उदाहरण मिलेंगे जो दूसरों को पर्यावरण के लिए कुछ करने की प्रेरणा देते हैं जैसे असम के जादव पायेंग, जिन्होंने अकेले एक द्वीप पर जंगल उगा दिया. वैसे ही नागालैंड के मोकोकचुंग जिले की एक युवा महिला ऐन अमरी भी पर्यावरण की रक्षा के लिए जुटी हुई हैं. 

ऐन का यह सफर कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुआ. तब लोग अपने घरों में बंद थे और सभी के लिए सेहत सबसे बड़ी चिंता थी. उसी समय, ऐन ने "नेचर, पेट्स गार्जियन नागालैंड" नाम से एक समूह की शुरुआत की. न्यूज़एक्स से बात करते हुए ऐन ने बताया कि उन्होंने और उनके मेंटर डॉ. लेबन सेर्टो ने मिलकर लोगों को पेड़ लगाने और सब्जियों के बीज भेजने के लिए प्रेरित किया, ताकि वे अपना किचन गार्डन शुरू करें और पेड़ लगाने की आदत डालें. 

लगा रही हैं मोरिंगा के पौधे 
इस सबके दौरान एक पेड़ ने ऐन का खास ध्यान खींचा और वह है मोरिंगा (Moringa) यानी सहजन का पेड़. यह अपनी औषधीय खूबियों और स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है. यह पेड़ न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बल्कि जमीन की गुणवत्ता भी सुधारता है. इसी सोच के साथ ऐन और उनकी टीम ने नागालैंड में मोरिंगा के पौधे लगाना शुरू किया. 

जुलाई 2021 में उन्होंने “10k+ Moringas in Southeast Asia” अभियान शुरू किया और उसी साल 50,000 से ज़्यादा मोरिंगा के पेड़ लगा दिए. ऐन ने कहा कि वह मोरिंगा इसलिए लगा रही है क्योंकि यह पोषक तत्व देता है, सेहत सुधारता है और मिट्टी की हालत ठीक करता है. यह इंसानों और पर्यावरण, दोनों के लिए फायदेमंद है, और सस्टेनेबल विकास का प्रतीक बन सकता है. 

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10 साल मोरिंगा के पौधे लगाने का लक्ष्य
अब ऐन का लक्ष्य है कि जून 2025 तक हिमालयन रेंज बायोस्फीयर में 1 मिलियन (10 लाख) मोरिंगा के पेड़ लगाए जाएं. वह सिर्फ पेड़ लगाकर रुकना नहीं चाहतीं. वह आगे चलकर और भी स्थानीय पौधों को बढ़ावा देना, नर्सरी बनाना, ट्रेनिंग देना, और मोरिंगा की पत्तियों व ड्रमस्टिक्स (सहजन) की खेती को आगे बढ़ाना चाहती हैं. 

उनका यह काम सोशल मीडिया पर खूब फैल रहा है, क्योंकि ऐन एक कंटेंट क्रिएटर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी हैं. नागालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल की मदद से उन्होंने अब तक 1.5 लाख मोरिंगा के पौधे लगाए हैं. उनकी पहल अब नागालैंड के कई जिलों जैसे मोकोकचुंग, जुन्हेबोटो, दीमापुर, कोहिमा, मोन, पेरेन के साथ-साथ मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय और नेपाल तक फैल चुकी है.

उनका संदेश है कि हमारी धरती ICU में है. जैसे हम अपने परिवार के किसी सदस्य को ICU में देखकर हर संभव कोशिश करते हैं उसे बचाने की, वैसे ही हमें भी मिलकर अपनी धरती को बचाना होगा. यह हमारी जिम्मेदारी है. ऐन की लगन और मेहनत यह दिखाती है कि एक इंसान भी बड़ा बदलाव ला सकता है.