New Zealand Mount Taranaki
New Zealand Mount Taranaki
न्यूजीलैंड में एक पहाड़, जिसे वहां के माओरी समुदाय अपने पूर्वज के रूप में मानते हैं, को एक नया कानून पास होने के बाद इंसान के सभी अधिकार और कर्तव्यों के साथ "कानूनी व्यक्ति" का दर्जा दिया गया है. यह पर्वत है माउंट तारानाकी, जिसे अब इसके माओरी नाम "तारानाकी माउंगा" के नाम से पहचाना जाएगा.
यह पहला मौका नहीं है जब न्यूजीलैंड ने किसी प्राकृतिक चीज को इंसान का दर्जा दिया हो. इससे पहले 2014 में Te Urewera जंगल और 2017 में Whanganui River को भी इसी प्रकार का कानूनी दर्जा मिला था.
माउंट तारानाकी को क्यों मिला इंसान का दर्जा?
तारानाकी माउंगा न्यूजीलैंड के नॉर्थ आइलैंड पर स्थित है और समुद्र तल से 2,518 मीटर (8,261 फीट) की ऊंचाई पर है. यह पर्वत न केवल प्राकृतिक सुंदरता का केंद्र है बल्कि माओरी जनजाति के लिए एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जगह भी है.
ब्रिटिश काल के दौरान माओरी जनजाति से यह पहाड़ छीन लिया गया था. 1865 में, माओरी विद्रोह को दबाने के लिए न्यूजीलैंड की सरकार ने इस पहाड़ और आसपास के क्षेत्रों को जबरन कब्जे में ले लिया था.
माओरी समुदाय की पारंपरिक प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उनकी जमीन पर शिकार और पर्यटन को बढ़ावा दिया गया. लेकिन 1970 और 80 के दशक में माओरी समुदाय ने अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया. ये आंदोलन उनकी भाषा, संस्कृति और अधिकारों को कानून में मान्यता दिलाने के लिए था. इस पहाड़ को कानूनी व्यक्ति का दर्जा मिलना, 2023 में आठ माओरी जनजातियों के साथ हुए एक समझौते का हिस्सा है.
पहाड़ को कानूनी दर्जा देने का मतलब क्या है?
इस नए कानून के तहत माउंट तारानाकी को "ते काहुई टुपुआ" नाम के कानूनी व्यक्ति का दर्जा दिया गया है. यह पहाड़ और उसके आसपास के क्षेत्र को जीवित माना जाएगा.
एक संस्था इस पहाड़ का चेहरा और आवाज बनेगी, जिसमें चार सदस्य स्थानीय माओरी जनजातियों से और चार सदस्य देश के संरक्षण मंत्री द्वारा नियुक्त होंगे. इसके कानूनी अधिकार पहाड़ के स्वास्थ्य और संरक्षण के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे. इसमें इसका उपयोग करना और पहाड़ के मूल वन्यजीवों की रक्षा करना शामिल होगा.
भारत की बात करें, तो 2017 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा और यमुना नदियों को कानूनी व्यक्ति का दर्जा दिया था. इस फैसले के तहत इन नदियों को प्रदूषण से बचाने और उनके जल को संरक्षित करने की जिम्मेदारी सरकार की हो गई. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. भारत में संविधान का अनुच्छेद 48A यह प्रावधान करता है कि राज्य पर्यावरण, वन और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. हालांकि, किसी प्राकृतिक संरचना को इंसान का दर्जा देना अभी भी एक विवादास्पद मुद्दा है.