

गुजरात के पाटन जिले में एक शहर है जिसका नाम है सिद्धपुर. सिद्धपुर शहर में व्होरावाद गलियों की बड़ी चर्चा है. चर्चा इसीलिए क्योंकि इस गली को पेरिस ऑफ गुजरात के नाम से जाना जाता है. इस गली की बनावट ही कुछ ऐसी है कि इसे देखने के लिए देश नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं. इन गलियों की खास बात यह है कि इनमें बनाई गई इमारतें, घर और हवेली की बनावट यूरोप के देशों से मेल खाती है. जब आप इन गलियों में कदम रखेंगे तो आपको ऐसा आभास ही नहीं होगा कि आप गुजरात के किसी जिले में आ रहे हैं. यहां आकर आपको ऐसा ही लगेगा कि आप पैरिस या फिर जर्मनी में आए हुए हैं.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन हवेलियों का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है. यहां पर इसी तरह से कुल 1700 घर हैं जिनमें आज से कुछ साल पहले तक कई लोग रहा करते थे. लेकिन आज यह संख्या घटकर 300 हो चुकी है. और यह वही परिवार हैं जो अपनी प्राचीन विरासत को संजोने का बचाने का काम कर रहे हैं.
इन सबके अलावा भी देखा जाए तो इन घरों की सबसे खास बात यह है कि यह लकड़ी से बने हुए घर हैं. इन पर की गई नक्काशी पर कलाकारी अभी बिना किसी मशीन के इस्तेमाल के हाथ से की गई हैं. बताया जाता है कि इन घरों को दाऊदी बोहरा समाज द्वारा बनाया गया था. दाऊदी बोहरा एक बहुत ही घनिष्ठ समुदाय हैं, और इस प्रकार, पूरा समुदाय 19वीं सदी के अंत और 20वीं शताब्दी की शताब्दी की शुरुआत के बीच शहर के एक हिस्से में बस गया.इसलिए इन 'हवेलियों' को "बोहरावाड़" के नाम से जाना जाने लगा.
घर की समग्र शैली बहुत ही परंपरागत और असाधारण है. ऊंचे चबूतरे या ओट्लस, घर के प्रवेश द्वार के लिए एक आधार देने का काम करते हैं, एक ऐसी विशेषता जो लंबे समय से न केवल गुजरात में बल्कि पूरे भारत में घरों में उपयोग की जाती है. ओटलस का उपयोग सामाजिक स्थानों के रूप में किया जाता है, जहां दाऊदी बोहरा के परिवार शाम के बाद एक साथ मिलते हैं-. ये घर संकरे लेकिन गहरे हैं, जिसमें केंद्र में एक छोटा सा आंगन है- एक अन्य तत्व जो अधिकांश 'हवेलियों' में पाया जा सकता है जो एक गर्म और शुष्क जलवायु क्षेत्र के मूल निवासी हैं. पारंपरिक संरचनाओं को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक घर अगले के साथ दीवारों को साझा करता है और मुख्य रूप से लकड़ी के साथ बनाया जाता है.
इन घरों के अंदर इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजें पुश्तैनी है. ऐसी नक्काशी और कारीगरी आपको बहुत ही कम जगहों पर देखने को मिलेगी. युसूफ भाई का भी परिवार उन्हीं परिवारों में से एक है जिनके पूर्वजों ने घर का निर्माण किया था. बताते हैं कि उनके घर में सभी सामान पुश्तैनी है. लकड़ी की बनाई गई हर एक वस्तु हस्तकला पर आधारित है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुजरात का पैलेस कहे जाने वाले उन गलियों में कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. बॉलीवुड से लेकर हाल ही में शूट हुई साउथ की फिल्म आर आर आर को भी फिल्माया गया. केवल भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पर इन गलियों की खूबसूरती को निहारने आते हैं.