 Longwa Village
 Longwa Village  Longwa Village
 Longwa Village किसी भी दूसरे देश में जाने के लिए सभी को वीजा की जरूरत पड़ती है. भारत में हर नागरिक के पास भारत की नागरिकता है जिससे पता चलता है कि वे इसी देश में रहते हैं. लेकिन जरा सोचिये कि अगर आपसे कोई कहे कि वे दो देशों में रहते हैं? या उनके घर का किचन एक देश में है और बैडरूम दूसरे देश में? चौंक गए न? जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के एक ऐसे ही अनोखे गांव के बारे में. इसका नाम है लोंगवा. इस गांव के लोगों के पास भारत और म्यांमार, दोनों देशों की नागरिकता है.
गांव के लोगों के पास दो नागरिकता
दरअसल, लोंगवा गांव नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 380 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां के सभी लोग एक नहीं बल्कि दो देशों के निवासी हैं. इन्हें भारत और म्यांमार दोनों देशों की नागरिकता दी गई है. यहां के स्थानीय लोग बिना वीज़ा के दूसरे देश में आसानी से आ जा सकते हैं. या यूं कहिए कि यहां के लोगों का किचन भारत में है तो बैडरूम म्यांमार में.
आधा गांव भारत में तो आधा म्यांमार में है
आपको बता दें कि लोंगवा भारत की पूर्वी अर्तराष्ट्रीय सीमा पर बसा हुआ है. यह गांव इसलिये खास है कि इस गांव के बीचोंबीच से भारत और म्यांमार की अर्तराष्ट्रीय सीमा गुजरती है. जिसकी वजह से यहां के लोगों को दो देशों की नागरिकता मिली हुई है. बताते चलें कि नागालैंड, पूर्वोत्तर भारत के सेवन सिस्टर्स के नाम से जाने वाले 7 राज्यों में से एक है. ये 11 जिलों से मिलकर बना है. इसमें से एक जिला है, मोन. ये उत्तरी भाग में स्थित है. और यही कारण है कि इसका सबसे बड़ा गांव लोंगवा भारत और म्यांमार के बीच बसा हुआ है.
आपको बता दें कि यहां ज्यादा लोग नहीं रहते हैं. साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार यहां 732 परिवार हैं. इनकी संख्या करीब 5132 है.
कैसे जा सकते हैं?
अगर आप भी यहां जाने का मन बना रहे हैं तो सीमा सड़क संगठन (BRO) के सौजन्य से ओंगवा गांव आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां रोड कनेक्टिविटी अच्छी खासी है.  मोन गांव इस शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर है. आप नागालैंड राज्य परिवहन निगम की बसों से मोन जिले तक पहुंच सकते हैं और फिर लोंगवा के लिए एक कार किराए पर ले सकते हैं.