
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक पालतू कुत्ते, रॉकी की समय पर चेतावनी ने 63 लोगों की जान बचाई, जहां 29 जून की रात को भारी मानसूनी बारिश के कारण विनाशकारी भूस्खलन हुआ था. यह घटना धरमपुर क्षेत्र के लंगौनी पंचायत के अंतर्गत स्थित सियाठी गांव में रात 12:30 से 1:00 बजे के बीच हुई.
जब मूसलाधार बारिश ने इलाके को लबालब भर दिया, तो एक घर के ग्राउंड फ्लोर पर सो रहा कुत्ता असामान्य रूप से भौंकने और चीखने लगा. उसके मालिक, ललित कुमार शोरगुल सुनकर उठे तो उन्होंने देखा कि दीवार में एक बड़ी दरार है और पानी तेजी से घर में भर रहा है.
कुत्ते ने दी चेतावनी
ललित ने कहा, "मेरे कुत्ते की अजीब तरह की भौंकने की आवाज़ ने मुझे जगाया, जैसे कि वह मुझे चेतावनी देने की कोशिश कर रहा हो. जब मैं उसके पास पहुंचा, तो मैंने देखा कि दीवार में एक बड़ी दरार है और पानी अंदर आ रहा है." ललित ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दूसरी मंजिल से नीचे भागकर कुत्ते को उठाया और अपने परिवार और आस-पास के ग्रामीणों को जगाना शुरू कर दिया.
आसन्न खतरे को भांपते हुए, ललित ने घर-घर जाकर निवासियों को सचेत करने लगा. उनके प्रयासों की बदौलत, सभी 22 परिवार अपने घर और सामान छोड़कर सुरक्षित स्थान पर भागने में सफल रहे.
दर्जनभर घर हुए जमींदोज
कुछ ही मिनटों बाद, गांव में एक ज़बरदस्त भूस्खलन हुआ, जिससे लगभग एक दर्जन घर जमींदोज हो गए. केवल चार या पांच इमारतें ही दिखाई दे रही हैं, जबकि 6-7 घर पूरी तरह से मलबे में दब गए हैं, और कई अन्य को भारी नुकसान पहुंचा है. अच्छी बात यह रही कि सभी 63 ग्रामीण सुरक्षित बच गए.
इस उपलब्धि का श्रेय कुत्ते की सतर्कता और ललित की तुरंत प्रतिक्रिया को जाता है. ललित ने कहा कि रॉकी पांच महीने का है और वह तीन महीने पहले सैंडहोल-मंडी में उनके भाई को मिला था. कुत्ते ने उन्हें सचेत किया लेकिन वह फिर फंस गया, जिसके बाद लोगों ने उसे बचाया.
गांव के पूर्व सरपंच देसराज ने कहा, "यह हमारी किस्मत और कुत्ते की मेहनत थी, जिसने हमें बचा लिया."
नैना मंदिर में ली शरण
प्रभावित परिवारों ने घटनास्थल से लगभग 500 मीटर दूर, पास के त्रियंबला गांव में नैना देवी मंदिर में शरण ली है. वे वहां एक हफ़्ते से ज़्यादा समय से रह रहे हैं. यहां लोकल लोग मदद के लिए आगे आए हैं और सरकार ने हर एक प्रभावित परिवार को तत्काल राहत के रूप में 10,000 रुपये दिए हैं.
(अमन भारद्वाज की रिपोर्ट)