पीएम मोदी ने कहा कि केवल बस्ती में पानी पहुंचाना काफी नहीं, लक्ष्य यह है कि हर घर में नियमित, शुद्ध और मानक के अनुरूप पानी पहुंचे. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पहले पेयजल की जिम्मेदारी राज्यों और पंचायतों के पास थी. 73वें संशोधन के बाद पानी की आपूर्ति का काम ग्राम पंचायतों को सौंपा गया, पर संसाधनों की कमी के कारण प्रभावी परिणाम नहीं मिल पाए.
पेयजल मिशन का लक्षय
2019 से पहले स्वजलधारा और राजीव गांधी पेयजल मिशन जैसे कार्यक्रम मौजूद थे, जिनका ध्यान मुख्य ट्यूबवेल लगाने तक सीमित था. जल जीवन मिशन ने पहली बार लक्ष्य तय किया हर ग्रामीण घर तक पाइप्ड पानी पहुंचाना. इसकी अनुमानित लागत लगभग 3.6 लाख करोड़ आंकी गई थी. लेकिन अभी तक कुल खर्च 4.33 लाख करोड़ हुआ जिसमें अतिरिक्त 73,000 करोड़ अनुमान से ज़्यादा खर्च हुए है. छह लाख से अधिक गांवों में काम जारी है. कोविड का असर, फिर भी 81% घरों तक कनेक्शन पहुंचाये जा चुके है. कोविड-19 के दो वर्षों में परियोजना की गति धीमी हुई. इसके बावजूद 81% ग्रामीण घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाए जा चुके हैं. इस परियोजना में पानी का मानक यह है कि
• 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन
• BIS 10500 के अनुरूप शुद्ध पानी
• नियमित सप्लाई
2022–24 में की गई जांच में सामने आया कि 14–16% जगहों पर पानी नियमित रूप से नहीं आ रहा था, जबकि कनेक्शन दे दिए गए थे.
केंद्र ने सेंट्रल नोडल ऑफिसर्स केंद्र सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों राज्यों में भेजकर शिकायतों की फील्ड जांच करवाई. रिपोर्ट पीएम को सौंपी गई और राज्यों से Action Taken Report मांगी गई है.
केंद्र का कहना है कि राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर सभी राज्यों ने सहयोग किया है. लेकिन O&M ढांचे में लगातार समस्याएं आ रही हैं. खासकर उत्तर भारत में जहां पंचायतों की क्षमता सीमित है. दूसरी तरफ केरल जैसे राज्यों में पंचायतें मजबूत हैं, वहां मॉडल बेहतर काम कर रहा है.
बिहार में मिशन का परिणाम
बिहार ने शुरुआत में केंद्र से कहा था कि उसे जल जीवन मिशन से एक रुपये की भी सहायता नहीं चाहिए. कई राज्यों ने दो मॉडल अपनाए. कुछ जगह विभाग, कुछ जगह मुखिया. छोटी-छोटी टंकियां बनाकर लक्ष्य पूरा दिखाया गया. लेकिन जल जीवन मिशन के फंक्शनलिटी टेस्ट में बिहार सिर्फ 63% पर खरा उतरा. कई स्थानों पर पानी पहुंच ही नहीं रहा था. अब बिहार ने 7.5 लाख घरों में कनेक्शन के लिए फंड मांगा है. केंद्र सरकार की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है पहले चरण की जांच पूरी होने तक नई स्वीकृति नहीं दी जाएगी.
पीएम जल जीवन मिशन से जुड़ी बैठकों में कई बार दो टूक कहा है अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी और शिकायतें खत्म किए बिना आगे का पैसा नहीं मिलेगा. केंद्र ने राज्य सरकारों को साफ कर दिया है कि ATR आने के बाद ही पीएम समीक्षा करेंगे और उसके बाद कैबिनेट फंड जारी करने पर फैसला लेगी.
(रिपोर्ट हिमांशु शर्मा)
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