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लोगों को हेल्दी खाना खिलाने के लिए छोड़ी बैंक की नौकरी, आज 2 हजार किसानों से जुड़कर बढ़ा रहे हैं उनकी आमदनी

लोगों तो हेल्थी खाना खिलाने के लिए बैंकिंग छोड़कर एक कपल ने किसानी शुरू कर दी. आज वे 2 हजार किसानों से जुड़कर उनकी आमदनी बढ़ा रहे हैं. वे आज ऑर्गेनिक फूड के जरिए उन सभी की जिंदगी बदल रहे हैं. इस बिजनेस को कोरोना से समय में नया जीवनदान मिला. 

प्रतीक और प्रतीक्षा प्रतीक और प्रतीक्षा
हाइलाइट्स
  • किसानों को नहीं मिलता था मार्केट

  • फल-सब्जियों के साथ ऑर्गेनिक मसाले भी कर रहे तैयार

बैंकिंग सिस्टम के कभी टॉप मैनेजमेंट में काम करने वाले प्रतीक और प्रतीक्षा आज ऑर्गेनिक खेती के भी मास्टर हो चुके हैं. प्रतीक और प्रतीक्षा किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित करते हैं उन्हें बताते हैं कि कैसे ऑर्गेनिक खेती के जरिए वो अपनी जमीन को, मिट्टी को पेस्टिसाइड से खराब होने से बचा सकते हैं. साथ ही साथ अपनी इनकम को भी बढ़ा सकते हैं.10 साल  बैंकिंग सेक्टर में काम करने के बाद प्रतीक ने नौकरी छोड़ी और ग्रीन एंड ग्रेंस नाम की एक कंपनी की शुरुआत की. प्रतीक बताते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग करने की शुरुआत तब महसूस हुई जब हमारी बेटी हुई. वे चाहते थे कि बेटी को सब कुछ शुद्ध खिलाया जाए, लेकिन जब उन्होंने ऑर्गेनिक फूड की मार्केट में खोज करनी शुरू की तो उन्हें बहुत कम ऑप्शन मिलते थे. इस समस्या ने उन्हें ऑर्गेनिक फूड की खेती करने के लिए प्रेरित किया. 

'किसानों को नहीं मिलता था मार्केट'

प्रतीक बताते हैं, “ऑर्गेनिक फार्मिंग ट्रेडिशनल फार्मिंग से थोड़ी ज्यादा महंगी होती है. किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग करने से इसलिए बचते थे क्योंकि उनकी पहुंच सीधे कंज्यूमर तक नहीं थी. उन्हें नहीं पता था कि ऑर्गेनिक सब्जियां उगा लेने के बाद उन्हें कहां बेचना है. बीच में जो मिडिलमैन होता था वह उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा रख लेता है जिसकी वजह से किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग में इंटरेस्ट नहीं ले रहे थे. हमने इसी कमी को पूरा करने की कोशिश की हमने किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए प्रेरित किया और उनके प्रोडक्ट को कस्टमर तक पहुंचाने की और किसान को अच्छा मुनाफा दिलाने की गारंटी दी.”

'घरवालों से मांगे दो साल'

प्रतीक बताते हैं कि उन्होंने जब डिसाइड कर लिया था कि वे खेती करेंगे तो उनके घर वाले बहुत परेशान हो गए थे. उस दौैरान सभी ने उनको यह काम ना करने के लिए कहा. लेकिन प्रतीक ने घर वालों से 2 साल का वक्त मांगा. हालांकि इन 2 साल में वो ठीक तरह से पैर नहीं जमा पाए थे और कई बार यह सोचते थे बिजनेस बंद करते हैं और दोबारा बैंकिंग सेक्टर में लौट जाते हैं. लेकिन फिर हिम्मत जुटाते और काम पर लग जाते थे. 

'शादी रुकते रुकते बची'

प्रतीक की पत्नी प्रतीक्षा के पिता रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं. प्रतीक्षा बताती हैं कि प्रतीक शुरू से ही फार्मिंग को लेकर काफी पैशनेट थे. प्रतीक्षा बताती हैं, “जब प्रतीक और उनकी फैमिली की फर्स्ट मीटिंग हुई इस मीटिंग में बातों-बातों में प्रतीक ने बोल दिया कि अगर नौकरी नहीं करूंगा तो मैं खेती करूंगा. इस बात पर मेरे पिता थोड़ा नाराज हो गए और उन्होंने हमसे कहा कि तुम्हें इतना पढ़ाया-लिखाया इसलिए नहीं कि तुम कल को खेती करो. इस बात से एक वक्त तो ऐसा लगा कि हमारी शादी नहीं हो पाएगी लेकिन फिर बाद में सब कुछ ठीक हो गया.”

'जब कैंसर पेशेंट के पिता ने कहा थैंक्यू'

प्रतीक्षा बताती हैं कि इस पूरी जर्नी में कई बार ऐसा हुआ जब हमें बिजनेस बंद करने का ख्याल आया लेकिन अक्सर किसान या फिर कस्टमर का रिएक्शन देखकर हमें काम करने की प्रेरणा मिलती है. प्रतीक्षा बताती हैं, “हमारे बताए गए तरीकों की वजह से कई किसानों की आय में इजाफा हुआ. वहीं एक बार हमारे एक कस्टमर ने बताया कि उनके बच्चे को कैंसर हो गया और डॉक्टर ने उसे सिर्फ ऑर्गेनिक फूड ही खिलाने के लिए कहा है लेकिन उन्हें मार्केट में कहीं भी अच्छा ऑर्गेनिक फूड नहीं मिल रहा था. प्रतीक और प्रतीक्षा के जरिए उन तक वह ऑर्गेनिक फूड पहुंचने लगा. उसके पिता ने हमें थैंक्यू बोला. ऐसे लोगों की बात ही हमारे लिए सोर्स ऑफ एनर्जी है.”

'मम्मी-पापा से भी सब्जियां बिकवाई'

प्रतीक्षा आगे बताती हैं कि जब हमने ऑर्गेनिक फार्मिंग में कदम रखने के बाद अपने घर वालों को बताई तो मेरे घर वाले बहुत नाराज हो गए पापा ने मुझसे कहा कि तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है. लेकिन जैसे-जैसे हमारा काम आगे बढ़ा तो उनको भी एहसास हुआ कि हम कुछ अच्छा काम कर रहे हैं. शुरुआत में हमारे पास हमारी सोसाइटी के ही लोग कस्टमर थे. यहां तक कि मैंने अपने मम्मी पापा से भी उनकी सोसाइटी में अपनी सब्जियां बिकवाई हैं.

प्रतीक और प्रतीक्षा बताते हैं, “बिजनेस में एक वक्त ऐसा भी आया कि सब कुछ पैक करने की सोच ली हमें लगा कि अब ये काम हमसे नहीं हो पाएगा. हम फाइनेंशली भी बहुत दिक्कतों में थे लेकिन तभी कोरोना आ गया.  कोविड में लोग इम्यूनिटी की बात करने लगे और इम्यूनिटी के जरिए ऑर्गेनिक फूड की बात होने लगी इसके बाद ऑर्गेनिक फूड का चलन बढ़ा और हमारी दुकान चल पड़ी. 

फल-सब्जियों के साथ ऑर्गेनिक मसाले भी कर रहे तैयार

प्रतीक और प्रतीक्षा के बिजनेस से जुड़े किसान भी बताते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग करने के बाद उन्हें भी कई तरीकों से पैदा हुआ है. वह न सिर्फ अब अपनी जमीन को बचा पाए बल्कि उनकी कमाई भी दोगुनी हो गई है. प्रतीक और प्रतीक्षा बताते हैं कि आज उनके पास कस्टमर के लिए एंड टू एंड सर्विसेस मौजूद हैं. आप किचन में खड़े हो जाइए और आपको जिस भी चीज की जरूरत होगी हम वह आपको ऑर्गेनिक प्रोवाइड कर आएंगे आज हम 6 स्टेट तक पहुंच चुके हैं. वे कहते हैं, “फल सब्जियों के साथ-साथ हम अब ऑर्गेनिक मसाले भी तैयार कर रहे हैं हम यह कोशिश करते हैं कि किस स्टेट की जो भी इस  स्पेशलिटी है उसे वहीं से लाया जाए.”