IPS Mandeep Singh Sidhu
IPS Mandeep Singh Sidhu पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी मनदीप सिंह सिद्धू राज्य की तस्वीर बदलने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. वह नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ साइकिल रैलियां आयोजित करते हैं, गरीब परिवारों की योग्य बेटियों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था करते हैं, और पंजाबी भाषा को बढ़ावा देने के अलावा, राज्य के युवाओं को उनकी खेलों में आगे बढ़ाने के लिए स्केटिंग और बॉक्सिंग रिंग के निर्माण में मदद करते हैं.
वर्तमान में पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) (मुख्यालय) के पद पर तैनात, सिद्धू एक उच्च सम्मानित अधिकारी हैं, जिन्हें सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, कर्तव्य के प्रति उत्कृष्ट समर्पण के लिए मुख्यमंत्री पदक और डीजीपी की प्रशस्ति डिस्क से सम्मानित किया गया है.
छोटे-छोटे कदमों से बड़े बदलाव की कोशिश
पिछले महीने सिद्धू ने लुधियाना में ड्रग्स के खिलाफ एशिया की सबसे बड़ी साइकिल रैली आयोजित की थी, जहां वह पुलिस आयुक्त के रूप में तैनात थे. इस रैली ने 25,000 से अधिक लोगों की भागीदारी के साथ एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई, जिनमें लगभग 10,000 लोगों में स्कूली बच्चों सहित युवा शामिल थे. रैली का आयोजन देश के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी करतार सिंह सराभा के शहीदी दिवस पर किया गया था.
यह पहली बार नहीं था जब सिद्धू ने "ड्रग्स को ना" कहते हुए साइकिल रैली आयोजित की थी. 2017 में संगरूर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात रहते हुए उन्होंने इसी तरह की एक रैली का आयोजन किया था जिसमें लगभग 6,000 लोगों ने भाग लिया था. 2022 में उनकी एक रैली में करीब 16 हजार लोग शामिल हुए थे.
सकारात्मक बदलाव लाना है लक्ष्य
नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने में पुलिस की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, सिद्धू कहते हैं कि इस तरह के आयोजन नागरिकों को याद दिलाते हैं कि यह सिर्फ कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समुदाय की जिम्मेदारी है कि वे नशीली दवाओं के खतरे को खत्म करने के लिए मिलकर काम करें. वह कहते हैं, ''इस तरह के आयोजन करके हमारा लक्ष्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है.''
बच्चों की कर रहें हैं मदद
नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ निरंतर सक्रियता के अलावा, सरकारी स्कूलों में छात्रों के बीच शिक्षा को भी वह बढ़ावा दे रहे हैं. बच्चे पैसे की तंगी के कारण पढ़ाई न छोड़ें, इसके लिए साल 2022 में, उन्होंने निजी संरक्षकों की सहायता से एक पहल शुरू की, जिसके तहत 4,800 से ज्यादा सरकारी स्कूलों के छात्रों की फीस दी जा रही है.
गरीबों और वंचितों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. इन बच्चों की एक साल की फीस का भुगतान करने से यह सुनिश्चित हुआ कि वे शिक्षा नहीं छोड़ेंगे, भले ही उनके माता-पिता फीस न भर सकें. जब उन्हों यहने शुरुआत की तो यह छोटे पैमाने पर थी. फिर लोग इसमें शामिल होते रहे और शिक्षा को बढ़ावा देने में योगदान दिया.