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Sahitya Ratna Award: 10वीं में हुए थे फेल, पर लेखनी ने दी पहचान, लिख चुके हैं 68 किताबें, देश-विदेश में मिले कई पुरस्कार

पंजाब में फरीदकोट से आने वाले साहित्यकार निंदर घुग्याणवी को हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने साहित्य रत्न पुरस्कार से नवाज़ा है. निंदर ने अब तक 68 किताबें लिखी है.

Nindar Ghugianvi Nindar Ghugianvi
हाइलाइट्स
  • बतौर मीडिया सलाहकार किया काम 

  • पूरे गांव को है उनपर गर्व 

पंजाब के जिला फरीदकोट के एक छोटे से गांव घुग्याना के रहने वाले साहित्यकार निंदर घुग्याणवी ने पूरे देश में अपना और इलाके का नाम रोशन किया है. बीते दिनों चंडीगढ़ में में पंजाब विश्वविद्यालय के 71वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में निंदर घुग्याणवी को सम्मानित किया गया था. देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी यहां मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे. इसी समारोह में धनखड़ ने निंदर घुग्याणवी को साहित्य रत्न पुरस्कार 2024 से नवाज़ा. 

इससे पहले भी पंजाब के कई बड़े नेता जैसे स्वर्गीय सरदार प्रकाश सिंह बाद, कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और कनाड़ा के प्रधानमंत्री ने भी सम्मानित किया है. सीएम भगवंत मान भी अपने भाषण में कई बार इनकी मिसाल देते हैं. 48 साल की उम्र में निंदर लगभग 68 किताबें लिख चुके हैं. कई टेली फिल्म और नाटकों में भी वह काम कर चुके हैं. उनकी टेली फिल्म, जज दा अडदली काफी पॉपुलर भी रही. 

बतौर मीडिया सलाहकार किया काम 
निंदर के करियर की बात करें तो कैप्टन सरकार के समय नवजोत सिंह सिद्धू ने इनको मीडिया सलाहकार के तौर पर साथ रखा था. सेंट्रल यूनिवर्सिटी महाराष्ट्र ने भी इनको लेखक और रेजिडेंट चेयर के मुखी के तौर पर हायर किया था. पंजाब के कई सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में सलाहकार के तौर पर भी काम कर चुके हैं. इतना ही नहीं, अलग-अलग जगहों पर उन्हें लेक्चर्स के लिए बुलाया जाता है. उनके लेक्चर्स IAS, IPS और PPS अफसर भी बैठकर सुनते हैं.  

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निंदर कहते हैं कि पैसा और प्रसिद्धि कोई मायने नहीं रखती इंसान में प्रतिभा होनी चाहिए. साहित्य रत्न पुरस्कार से पहले भी उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं. 2020 में कैप्टन सरकार ने उन्हें शिरोमणि साहित्यकार अवॉर्ड देने की घोषणा की थी, हालांकि यह अवॉर्ड उन्हें अभी मिला नहीं है. लेकिन इससे पहले स्टेट अवॉर्ड, और भाषा विभाग में भाई वीर सिंह पुरस्कार मिला था. लंदन के पार्लियामेंट में भी उन्हें पुरस्कार मिला था. 2001 में जब वह पहली बार कनाड़ा गए तो उसे समय के प्रधानमंत्री ने भी उन्हें सम्मान दिया.

पूरे गांव को है उनपर गर्व 
निंदर की मां रूपरानी को अपने बेटे की कामयाबी पर गर्व है. उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने अपने काम के साथ-साथ घर और गांव का भी जिम्मेदारी निभाई. बेटे की वजह से ही उन्हें भी मौजूदा चीफ मिनिस्टर भगवंत मान के हाथों मान-सम्मान मिला जो एक मां के लिए बहुत बड़ी बात है. गांव के सरपंच ने बताया कि अब उनका गांव निंदर के नाम से जाना जाने लगा है. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके गांव का दसवीं फेल लड़का आज दुनियाभर में अपने नाम के साथ-साथ गांव का नाम भी रोशन करेगा.

(प्रेम पासी की रिपोर्ट)